2017-09-19 17:00:00

कोलंबो में ‘खुला मस्जिद दिवस’ विभिन्न धर्मों के बीच सेतु


कोलंबो, मंगलवार, 19 सितम्बर 2017 (एशियान्यूज): कोलंबो में इस्लामी अध्ययन केंद्र (सीआईसी) ने विविधता के प्रति समझदारी एवं जागरूकता बढ़ाने के लिए कोलंबो ऐतिहासिक अकबार मस्जिद में ″खुला मस्जिद दिवस″ का आयोजन किया। 

इस अवसर पर मस्जिद का द्वार, ख्रीस्तीयों और हिन्दूओं के लिए खोल दिया गया था ताकि वे श्रीलंका में इस्लाम धर्म एवं उसकी परम्परा की जानकारी प्राप्त कर सकें, खासकर, ऐसे समय में जब मुसलमानों के खिलाफ नए सिरे से हिंसा की स्थिति है।

पहल की सराहना करते हुए बौद्ध मंदिर के माननीय दियाकादुवे सोमानंनदा ने एशियान्यूज़ से कहा, ″यह एक सकारात्मक पहल है जिसपर गौर किया जा सकता है। यह ऐसे समय में किया गया है जब इस्लामी विश्वास की परम्पराओं को हटाने की बात हो रही है। आज बहुत से लोग मुसलमानों के बारे बुरा सोच रखते हैं।

पंचीकावाट स्थित मंदिर श्री कारूमारी अम्मान कोविल के हिन्दू पुजारी राहूमानंन्दा शर्मा ने कहा कि अंतरधार्मिक का यह अवसर बहुत सफल रहा। उनकी आशा है कि सी आई एस दूसरे मस्जिदों के दर्शन का भी प्रबंध करेगा। उन्होंने कहा कि देश के सभी लोगों को इस तरह के अवसरों में भाग लेने का अवसर मिलना चाहिए। यह बहुत महत्वपूर्ण है।

″खुला मस्जिद दिवस″मुसलमानों के मूल्यों एवं परम्पराओं को जानने हेतु समर्पित था, साथ ही साथ, उन पूर्वाग्रहों का सामना करना, जो गैर-मुसलमानों के बीच विस्तृत रूप से प्रचलित है।

कई बौद्ध एवं काथलिक महिलाओं ने कहा, ″इस अवसर के पहले महिलाओं एवं इस्लामी विवाह के संबंध में हमारी धारना गलत थी। अभी हमें समझ में आ गया है कि यह धर्म का ही भाग है।″ उदाहरण के लिए, महिलाएँ बुरका क्यों पहनती हैं? उन्हें बतलाया गया कि वे इसलिए पहनती हैं क्योंकि महिला खूबसूरत होती हैं जिनको अपने शरीर की रक्षा करनी चाहिए।    

प्रतिभागी अंग्रेजी, तमिल एवं सिंघल भाषाओं के आधार पर बटे हुए थे। हर दल के लिए एक अगुवा निर्धारित था जो शुद्धीकरण की रीति, हाथ एवं पैर की सफाई आदि की जानकारी देता था। उसके बाद उन्हें प्रार्थना स्थल दिखलाया जाता था। जिसमें महिलाओं और पुरूषों के लिए दो अलग-अलग स्थल थे। प्रार्थना करने के बारे में भी कई जानकारियाँ दी जा रही थी।

शिफन राफाईदीन जो अगुवाई का काम कर रहा था उन्होंने इस पहल का हिस्सा बनकर खुशी का अनुभव किया। उन्होंने कहा, ″एक मुसलमान होकर जागरूकता लाने हेतु की गयी पहल में भाग लेना महत्वपूर्ण है। सही जानकारी देते हुए पूर्वाग्रहों को दूर करना एक मुसलमान का बड़ा काम है।″  








All the contents on this site are copyrighted ©.