2017-09-12 16:42:00

संत पापा की विमान में पत्रकारों से बातचीत


रोम, मंगलवार, 12 सितम्बर 2017 (एशियान्यूज़): संत पापा फ्राँसिस ने कोलंबिया की प्रेरितिक यात्रा समाप्त करने के उपरांत वाटिकन लौटते वक्त विमान में, पत्रकारों से विभिन्न विषयों पर चर्चा की। जिनमें मुख्य विषय थे- राजनीतिक नेताओं की जिम्मेदारी जो जलवायु परिवर्तन पर मानवीय भूमिका से इनकार करते हैं, विस्थापितों के मामले जिन्हें एकीकरण की आवश्यकता है, अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प से उम्मीद कि वे ‘ड्रीमर्स’ को निष्कासित नहीं करेंगे, बेनेजुएला के संकट में संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप की आशा जिसमें परमधर्मपीठ भी शामिल है।

संत पापा ने विस्थापितों के संबंध में बातें करते हुए इटली और ग्रीस को धन्यवाद दिया क्योंकि उन्होंने विस्थापितों के लिए अपना हृदय द्वार खोला है। उन्होंने कहा, ″उन्हें स्वीकार करना ईश्वर की आज्ञा है... किन्तु एक सरकार को इस समस्या का निपटारा विवेक के साथ करना चाहिए अतः पहले प्रश्न करना चाहिए कि मेरे पास कितने स्थान हैं।″

उन्होंने कहा कि विस्थापितों को न केवल स्वीकार करना किन्तु उन्हें एकीकृत भी किया जाना आवश्यक है। संत पापा ने कहा, ″मैंने इटली में सम्मिलित किये जाने के सुन्दर उदाहरण देखे हैं। जब मैंने रोम के विश्व विद्यालय का दौरा किया तो मैंने वहाँ एक विद्यार्थी के परिचित चेहरे को देखा जो लेसबोस से रोम लौटते समय विमान में मेरे साथ थी। उसने भाषा सीख ली है और अपनी आगे की पढ़ाई कर रही है। यही एकीकरण कहलाता है।″    

मानवीय समस्याओं पर दृष्टिपात करते हुए उन्होंने कहा कि शिविरों में शरणार्थियों की हालात से हम परिचित हैं। मैंने तस्वीरों को देखा है। मुझे लगता है कि इटली की सरकार इस समस्या के समाधान हेतु हर संभव प्रयास कर रही है। इसके लिए ऐसा हृदय चाहिए जो हमेशा खुला हो, विवेकशील हो, एकीकरण एवं मानवीय सामीप्य की भावना से प्रेरित हो। विस्थापितों के बारे बोलते हुए संत पापा ने अपने विचार अमरीका की ओर रखे तथा उस निर्णय की ओर जिसमें 800,000 युवा निष्कासित होंगे जो गैरकानूनी रूप से विस्थापित लोगों के बच्चे हैं।

संत पापा ने इस विषय में अपनी अधूरी जानकारी को स्वीकार किया तथा आशा व्यक्त की कि उन टूटते युवाओं को निष्कासित नहीं करने हेतु नियम लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि यह ऐसा हो पाता है तो मैं आशा करता हूँ कि इस पर पुनः विचार किया जाएगा क्योंकि अमरीका के राष्ट्रपति ने अपने को जीवन समर्थक बतलाया है। जीवन का एक अच्छा समर्थक समझ सकता है कि परिवार जीवन का पालना है और इसकी एकता की रक्षा की जानी चाहिए। 

जलवायु परिवर्तन पर अपनी राय रखते हुए संत पापा ने कहा कि जो कोई इसका बहिष्कार करता है उसे वैज्ञानिकों के पास जाकर पूछना चाहिए। वे बहुत स्पष्ट और सही शब्दों में बतलाते हैं। हम जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को देख रहे हैं और हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम इसकी रक्षा हेतु निर्णय लें। मैं सोचता हूँ कि यह अत्यन्त गंभीर है अतः यह सभी की एक नैतिक जिम्मेदारी है।  

संत पापा ने पुराने व्यवस्थान के शब्दों को दुहराते हुए कहा, ″मनुष्य मूर्ख है, हठी है, वह देख नहीं सकता है। वह एक ऐसा जानवर है जो उसी गड्ढे में दो बार गिरेगा। वह विद्रोही और मिथ्याभिमान है। बहुत सारे लोग धन पर निर्भर करते हैं।″    

बेनेजुएला के राष्ट्रपति मादुरो एक ओर संत पापा के साथ होने की बात करते जबकि दूसरी ओर धर्माध्यक्षों के लिए कड़े शब्दों का प्रयोग करते हैं। इसपर अपनी विचार रखते हुए संत पापा ने कहा कि इसके संबंध में परमधर्मपीठ ने स्पष्ट एवं कड़े शब्दों में कहा है। मदुरो जो कहते हैं उन्हें उसकी व्याख्या देनी चाहिए। मैं नहीं जानता कि उनके दिमाग में क्या है। परमधर्मपीठ ने अपनी ओर से बहुत कुछ किया है। उसने एक उच्च स्तरीय प्रेरितिक राजदूत को भेजा है। मैंने देवदूत प्रार्थना में कई बार इसका जिक्र किया है तथा बाहर निकलने हेतु एक रास्ता ढूढ़ने का प्रयास किया है एवं इस परिस्थिति से बाहर निकलने में मदद करने की कोशिश की है। किन्तु ऐसा लगता है कि यह बहुत कठिन है। सबसे दुखद बात है मानवीय समस्या। कई लोग भाग रहे हैं अथवा पीड़ित हैं। हमें किसी भी तरह इस समस्या का समाधान करना चाहिए। मैं सोचता हूँ कि संयुक्त राष्ट्र को इसकी मदद के लिए आगे आना होगा।

अंततः संत पापा ने कोलंबिया पर प्रकाश डाला तथा कहा कि इस यात्रा की विषयवस्तु थी, ″आइये हम पहला कदम लें।″ वहाँ से लौटने के बाद मेरा आदर्श वाक्य होगा, ″आइये हम दूसरा कदम लें।″  

उन्होंने कहा कि गोरिल्ला संघर्ष 54 वर्षों तक चला और जिसके कारण आपस में बहुत अधिक घृणा की भावना आयी, कई बीमार आत्माएँ हैं। बीमारी को कोसा नहीं जाना चाहिए किन्तु गोरिल्ला विद्रोहियों एवं अर्द्धसैनिक बलों ने घिनौना पाप किया है और इसी ने घृणित बीमारी को लाया है किन्तु कुछ कदम आशा प्रदान करते हैं। अंतिम कदम है नेशनल लिबरेशन आर्मी द्वारा युद्धविराम का निर्णय, मैं इसके लिए अत्यन्त कृतज्ञ हूँ। मैं समझौता में आगे बढ़ने की चाह रखता हूँ। लोग सांस लेना चाहते हैं तथा हमें उन्हें प्रार्थना और अपनी करीबी के द्वारा साथ देना चाहिए। 








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