2017-09-11 16:17:00

कोलंबिया की प्रेरितिक यात्रा के समापन का ख्रीस्तयाग, मानव प्रतिष्ठा के पहचान की मांग


कार्तागेना, सोमवार, 11 सितम्बर 2017 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने कोलंबिया में प्रेरितिक यात्रा के अंतिम दिन 10 सितम्बर को कार्तागेना में ख्रीस्तयाग अर्पित किया जहाँ उन्होंने मानव व्यक्ति की प्रतिष्ठा एवं उसके अधिकार की रक्षा पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, ″यह शहर जो दो सौ सालों पूर्व स्वतंत्रता की रक्षा में दृढ़ता के कारण ‘बहादुर’ समझा जाता है, मैं यहाँ कोलंबिया की प्रेरितिक यात्रा के समापन का ख्रीस्तयाग अर्पित कर रहा हूँ। विगत 32 सालों से कार्तागेना कोलंबिया में मानव अधिकार का केंद्र है।″ संत पापा ने जेस्विट पुरोहित पीटर क्लावेर, अलोनसो दी संदोवाल एवं ब्रादर निकोलास गोंजालेस की याद की जिन्होंने मानव अधिकार की रक्षा हेतु अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

संत पापा ने सुसमाचार पाठ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संत मती के सुसमाचार पाठ में येसु उन लोगों से कहते हैं जिन्होंने समुदाय का सहयोग करने का निश्चय किया है, जो जीवन को महत्व देते तथा उस योजना की कल्पना करते हैं जो सभी को सम्मिलित करता है। पाठ के अगले भाग में भला चरवाहे को प्रस्तुत किया गया है जो 99 भेड़ों को छोड़कर उस भेड़ की खोज में जाता है जो खो गयी है। यह दृश्य पूरे पाठ में अधिक प्रभावशाली है। इस परिप्रेक्ष्य में हम देख सकते हैं कि किसी व्यक्ति द्वारा किया गया पाप सभी को चुनौती देता है फिर भी पाप करने वाले की जिम्मेदारी ही प्रमुख है। इसके लिए पहल किये जाने की आवश्यकता है ताकि जिसने नुकसान पहुँचाया है वह न खो जाए।

संत पापा ने कहा कि विगत कुछ दिनों में मैंने कई लोगों के साक्ष्यों को सुना है जो अपनी हानि पहुँचाने वाले तक पहुँचे हैं। उनके घाव अत्यन्त दर्दनाक हैं जो आँखों में अब भी आँसू लेकर आते हैं। फिर भी वे अपनी ओर से पहल करते हुए उनके पास गये। कई सालों से कोलंबिया शांति हेतु प्रयास कर रहा है किन्तु जैसा कि येसु सिखलाते है दोनों पक्षों द्वारा वार्ता के लिए एक-दूसरे तक पहुँचना काफी नहीं है। पापों से चंगाई पाने के लिए वार्ता के साथ-साथ कई कार्यों को पूरा करना भी आवश्यक है। येसु सुसमाचार में कहते हैं ″यदि तुम्हारा भाई तुम्हारी नहीं सुनता है तो तुम्हारे साथ और दो तीन व्यक्तियों को ले लो।″ (मती. 18:16).

हमने सीखा है कि इस तरह से शांति निर्माण के प्रयास में लोगों को सम्मिलित किये जाने की अवहेलना नहीं की जा सकती। शांति, प्रामाणिक रूपरेखाओं और राजनीतिक या आर्थिक समूहों के बीच संस्थागत व्यवस्थाओं द्वारा प्राप्त नहीं होती। येसु इसे दो दलों के व्यक्तिगत मुलाकात में पाते हैं।

संत पापा ने कहा कि कोलंबिया जो नया कदम लेना चाहता है उसके लिए हम अपना बड़ा सहयोग दे सकते हैं। येसु बतलाते हैं कि समुदाय में पुनः प्रवेश कराने की प्रक्रिया दो व्यक्तियों के बीच बातचीत से होती है। इस चंगाईपूर्ण मुलाकात का स्थान कोई दूसरी चीज नहीं ले सकती। मुलाकात करने, सफाई देने एवं क्षमा करने के अलावा कोई दूसरी प्रक्रिया नहीं है।

गहरे ऐतिहासिक घाव अनिवार्य रूप से उस अवसर की मांग करती है जहाँ न्याय किया जाता है, जहां पीड़ितों को सच्चाई को जानने का अवसर मिलता है, जहाँ नुकसान की क्षतिपूर्ति की जाती है तथा स्पष्ट प्रतिबद्धता होती है ताकि अपराधों को न दुहराया जाए। किन्तु यह मात्र ख्रीस्तीय प्रत्युत्तर की शुरूआत है। हमें नीचले स्तर से ही संस्कृति में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है ताकि हम मृत्यु एवं हिंसा की संस्कृति का प्रत्युत्तर जीवन एवं मुलाकात की संस्कृति से दे सकें। उन्होंने कहा कि इस सांस्कृतिक नुकसान को किसी चाँदी से नहीं बल्कि शांति की शिक्षा द्वारा ठीक किया जा सकता है।

संत पापा ने प्रश्न किया कि शांति के लिए हमने कितना काम किया है? अपनी बर्बरता के कारण हमने कितने लोगों का बहिष्कार किया है? येसु हमें इस तरह के व्यवहार का सामने करने का आह्वान करते हैं जबकि हमने नबी की तरह आवाज उठाने के बदले कितनी बार हिंसा एवं सामाजिक बहिष्कार के तर्क को ‘सामान्य’ बनाने का प्रयास किया है।

एक दूसरे से मुलाकात करने के द्वारा हम हमारे अधिकारों को पहचानते हैं तथा अपने जीवन का निर्माण पुनः करते हैं ताकि हम सच्चे अर्थों में मानव के रूप में पुनः ऊपर उठ सकें। विश्व के साथ भाईचारा एवं हर मानव जीवन की पवित्रता के प्रति सम्मान की सही समझदारी के द्वारा ही सभी लोगों का आम घर विकसित हो सकता है। हर पुरूष एवं महिला, गरीब, बूढ़े, बच्चे, अजन्मे, बेरोजगार और परित्यक्त को योग्य समझा जाना चाहिए क्योंकि वे भी समाज के अंग हैं।

येसु इस संभावना को भी दिखलाते हैं कि व्यक्ति बंद रह सकता है, बदलने से इनकार एवं बुराई में बने रह सकता है। हम इस बात की अनदेखी नहीं कर सकते कि लोग पापों में जीते हैं जो हमारे समाज में संबंधों पर दुष्प्रभाव डालता है। संत पापा ने नशीली पदार्थों के दुरूपयोग पर दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि वे नैतिक एवं नागरिक कानूनों का अपमान करके मुनाफा कमाने की कोशिश करते हैं। मैं प्राकृतिक संसाधनों की बर्बादी, जारी प्रदूषण तथा श्रम के शोषण की त्रासदी के बारे सोचता हूँ। अवैध धन तस्करी और वित्तीय अटकलें, समस्त सामाजिक एवं आर्थिक प्रणाली के लिए हिंसक और हानिकारक हैं जो लाखों गरीब लोगों का शोषण कर रहे हैं। मैं बलात्कार के बारे सोचता हूँ जो हर दिन निर्दोष लोगों को अपना शिकार बनाता है, खासकर, युवाओं से उनका भविष्य छीन लेता है। नबालिकों की मानव तस्करी, अपराध एवं शोषण को सोचता हूँ गुलामी के दहशत को जो विश्व के कई हिस्सों में अब भी जारी है। अप्रवासियों की त्रासदी को जो शर्मनाक और अवैध हेरफेर के चंगुल में पड़ जाते हैं। ″बाँझ वैधता″ समर्थक अमन-चैन वाले जो नवजात शिशु को अस्वीकार करते हैं जो कि ख्रीस्त के शरीर का अंग है। इन सबके बीच शांति पूर्ण तरीके से जीना तभी संभव है जब हमारे जीवन को नुकसान पहुँचाने वाले कार्यों को त्याग दिया जाए। इस परिवेश में हम उन लोगों की याद करते हैं जिन्होंने साहस एवं अथक रूप से इसके लिए कार्य किया है और यहाँ तक कि मानव व्यक्ति की प्रतिष्ठा और अधिकार की रक्षा में अपने जीवन को भी गवाँ दिया है।

संत पापा ने कहा कि येसु हमसे प्रार्थना की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि आज हम उनके विनाश के लिए नहीं किन्तु सुधार के लिए प्रार्थना करें, बदला लेने के लिए नहीं किन्तु न्याय के लिए। भूलने के लिए नहीं किन्तु सच्चाई में चंगाई पाने के लिए। हम आदर्श वाक्य ″ आइये हम पहला कदम लें″ के पूरा होने के लिए प्रार्थना करें ताकि यह पहला कदम सार्वजनिक दिशा की ओर लिया जा सके।

पहला कदम, सबसे बढ़कर दूसरों से मुलाकात करने और अंततः ख्रीस्त से मिलने के लिए हो। संत पापा ने कहा कि हम भाई बहनों से मुलाकात करने के लिए बुलाये जा रहे हैं एक सुधार के लिए जोखिम उठाने जो एकीकृत करता है। हम उदार बनने के लिए बुलाये जा रहे हैं। संक्षेप में, शांति के निर्माण हेतु हमसे मांग की जा रही है। जीभ से केवल बोलने के लिए नहीं किन्तु हाथों एवं कामों द्वारा उसे पूरा करने के लिए एवं स्वर्ग की ओर दृष्टि लगाने के लिए। प्रभु हमारे हर तरह के बंधन खोल देंगे। उन्होंने अंत तक हमारा साथ देने की प्रतिज्ञा की है वे हमारे हर प्रयास को सफलता तक पहुँचायेंगे।

 








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