2017-09-10 12:15:00

संत पापा ने मेडल्लिन स्थित "संत जोसेफ भवन″ का दौरा किया


मेडल्लिन,रविवार, 10 सितम्बर 2017 (रेई) :  संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार को मेडलिन स्थित संत जोसेफ भवन के बच्चों और उनकी देख-भाल करने वाले अधिकारियों से मुलाकात कर कहा, मैं इस भवन में आप लोगों के बीच आकर बहुत खुश हूँ। मेरे स्वागत हेतु इतनी बड़ी तैयारी और अभिवादन के लिए निदेशक मोन्सिन्योर अरमान्दो सान्तामरिया और आप सभी को धन्यवाद देता हूँ।

संत पापा ने क्लाउदिया येसेनिया को उसके साहसपूर्ण गवाही के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि उनके जीवन की कठिन परिस्थितियों को सुनकर वे दुनिया भर के अनेक लड़के लड़कियों को याद किया जिन्हें अन्यायपूर्ण पीड़ा सहनी पड़ती है। दूसरे बुराई करते हैं और उसका फल इन निर्दोष लोगों को सहना पड़ता है। संत पापा ने कहा बालक येसु भी नफरत और उत्पीड़न के शिकार हुए थे। मृत्यु से बचने के लिए उसे भी अपने परिवार के साथ अपना धर और अपना देश छोड़ना पड़ा था। बच्चों को पीड़ा सहते देख हमारा हृदय दुःख से भर जाता है क्योंकि बच्चे येसु के प्यारे थे। हम यह कभी स्वीकार नहीं कर सकते कि बच्चों के साथ दुर्व्यवहार हो, उनसे उनकी शांति और आनंद के साथ अपना बचपन जीने के अधिकार छिन जाए एवं उम्मीद के भविष्य से वंचित हो जाएँ ।

संत पापा ने कहा कि येसु उन बालक बालिकाओं को जो दुःख और पीड़ा सहते है,कभी अकेला नहीं छोड़ते वे उन्हें प्यार करते हैं। संत पापा ने कलाउदिया का उदाहरण देते हुए कहा कि इतनी कठिन परिस्थिति में क्लाउदिया येसेनिया को ईश्वर ने अकेला नहीं छोड़ा। उसकी देख-भाल के लिए अपनी बुआ को दिया। अस्पताल में उसे सेवा मिली और अंत में उसे इस समुदाय ने स्वीकार किया। य़ह घर और यह समुदाय येसु के प्रेम का चिन्ह है और येसु आपके बहुत करीब रहना चाहता है। इस घर के अच्छे लोगों द्वारा ईश्वर आपको प्यार करते हैं और आपको शिक्षा देते हैं। इस घर की धर्मबहनें और कार्यकर्ता सभी परिवार के सदस्य बन गये हैं। यह स्थान आपके लिए एक घर बन गया है जहाँ आप प्यार से एक साथ रहते, एक दूसरे को स्वीकार करते, एक दूसरे की भलाई और एक दूसरे के लिए चिंता करते हैं।

संत पापा ने कहा, मुझे यह जानकर खुशी हुई कि इस घर का नाम संत जोसेफ रखा गया है। और दूसरे घरों का नाम “मजदूर येसु” और “बेथलेहम”  रखा गया है। इसका अर्थ है कि आप सब यहाँ अच्छे लोगों के साथ हैं।″ संत पापा ने उन्हें याद दिलाते हुए कहा कि संत मत्ती अपने सुसमाचार में लिखते हैं कि हेरोद ने अपनी मूर्खता में बालक येसु को मार डालना चाहा तो ईश्वर ने दूत के माध्यम से संत जोसेफ को स्वप्न में बालक येसु और मरियम को बचाने और उनकी देख-भाल करने का उत्तदायित्व सौंपा। योसेफ दूत का संदेश सुनते ही तुरंत मरियम और बालक को लेकर रातों-रात मिस्र रवाना हो गये।(मत्ती 2:14). मुझे विश्वास है कि जिस तरह संत जोसेफ ने पवित्र परिवार की रक्षा और देख-भाल की, उसी तरह वे आप लोगों की देख-भाल करते, आपके साथ रहते और हर कठिनाईयों से आपको बचाते हैं। उनके साथ माता मरियम और येसु भी हैं क्योंकि संत जोसेफ कभी भी मरियम और येसु के बिना नहीं रह सकते।     

संत पापा ने धर्मसंघियों, धर्मबहनों और इन घरों में काम करने वाले लोकधर्मियों को संबोधित कर उन्हें याद दिलाते हुए कहा कि वे उन बच्चों की देख-भाल करते हैं जो बचपन से उत्पीड़न के शिकार हुए हैं। इन कमजोर और असहाय बच्चों में येसु उपस्थित हैं अतः उनका परम कर्तव्य बनता है कि वे बड़े प्रेम और खुशी से इन बच्चों का पालन पोषण करें। संत जोसेफ आपको सुरक्षा प्रदान करे और इन छोटे बच्चों की सेवा हेतु आपको प्रेरित करें, जो कोलंबियाई समाज, कलीसिया और विश्व के भविष्य हैं, जिससे कि वे येसु के समान ज्ञान और अनुग्रह में बढ़ते जायें। (लूका 2:52) ″येसु मरियम और संत जोसेफ आप को सुरक्षा प्रदान करें आप के साथ रहें और आपको अपनी कोमलता, आनंद और शक्ति से भर दें।″

अंत में संत पापा ने उन्हें अपनी प्रार्थना का आश्वासन दिया जिससे कि यह घर पारिवारिक प्रेम, शांति और आनंद में बढ़ते जाये। ईश्वर हर परिस्थिति में उनके साथ हैं वे कभी भी उन्हें अकेला नहीं छोड़ेंगे।








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