2017-09-05 16:01:00

मदर तेरेसा की आत्मा गरीबों की सेवा में जीवित


मुम्बई, मंगलवार, 5 सितम्बर 2017 (एशियान्यूज़): संत मदर तेरेसा की आत्मा 20 सालों पहले मर नहीं गयी किन्तु मिशनरीस ऑफ चैरिटी की धर्मबहनों की सेवा में अब भी जीवित है। यह हमें ग़रीबों के बीच सबसे गरीब की सेवा करने हेतु प्रेरित करती है। यह बात मुम्बई के मिशनरीस ऑफ चैरिटी की धर्मबहन मेडाड ने कही।

मदर तेरेसा की 20वीं पुण्यतिथि की पूर्व संध्या, कलकत्ता में उनकी मृत्यु की यादगारी मनाते हुए उन्होंने एशियान्यूज से कहा, ″मदर तेरेसा की धर्मबहनों का कार्य उन सभी जगहों में है जहाँ गरीबी रहते हैं, कुछ स्थलों में भौतिक गरीबी नहीं भी है किन्तु वहाँ अंतरिक गरीबी है जो कि एक अजीब तरह का अकेलापन और अस्वीकृति का एहसास कराता है। इन सब कार्यों के द्वारा हम येसु की प्यास बुझाने का प्रयास कर रहे हैं जो आत्माओं के प्यासे हैं।″

उन्होंने कहा कि 4 सितम्बर को उनकी संत घोषणा की भी पहली वर्षगाँठ है जो वाटिकन में गत साल संम्पन्न हुई थी। मदर तेरेसा की स्मृति में मिशनरीस ऑफ चैरिटी के सभी घरों में ख्रीस्तयाग समारोह मनाया जाएगा।

मुम्बई में ख्रीस्तयाग समारोह का अनुष्ठान सहायक धर्माध्यक्ष अंजेलो ग्रेसियस करेंगे, जिसका आदर्शवाक्य है, ″कलकत्ता की संत तेरेसा कुँवारी एवं संस्थापिका।″

सि. मेडाड ने मदर तेरेसा के साथ काफी करीबी के साथ काम किया है। उनकी पहली मुलाकात लंदन में हुई थी जब उन्हें सन् 1973 ई. में टेंपलटन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इस मुलाकात के बाद ही सि. मेडाड ने मिशनरीस ऑफ चैरिटी धर्मसंघ में प्रवेश करने का निश्चय किया था।

मदर तेरेसा के स्नेह का उदाहरण देते हुए उन्होंने बतलाया कि जब सन् 1976 में मदर तेरेसा ने मेक्सिको में एक समुदाय स्थापित करने के लिए वहाँ के राष्ट्रपति लुईस एकेवेरिया से मुलाकात की थीं तब सि. मेडाड उनके साथ थी। राष्ट्रपति से मदर को बतलाया कि उनके देश में धार्मिक परिधान धारण करने की अनुमति नहीं है, इस पर मदर ने तत्काल जवाब दिया था कि ″प्रिय राष्ट्रपति महोदय, क्या धार्मिक परिधान? यह तो साड़ी है इसके साथ हमें विश्व के सभी जगहों में स्वीकार किया जाता है। यदि आप हमें मेक्सिको में बुलाना चाहते है तो आपको हमारी साड़ी स्वीकार करनी पड़ेगी। इस तरह वहाँ भी साड़ी को स्वीकार किया गया और आज मेक्सिको में कई समुदाय बन चुके हैं।

सि. मेडाड महाराष्ट्र में बच्चों के गोद लेने की प्रक्रिया के काम से जुड़े हैं जहाँ 7000 बच्चों को गोद लेकर विभिन्न दम्पतियों ने माता-पिता होने का सुख प्राप्त किया है।

सि. मेडाड ने जानकारी दी कि अब मिशनरीस ऑफ चैरिटी की धर्मबहनें बाढ़ पीड़ितों की भी मदद कर रही हैं। उन्होंने कहा, ″हम उनके लिए भोजन सामग्रियों का वितरण करती हैं (10 के.जी. चावल, दाल, चीनी और तेल) तथा 200 से अधिक विस्थापित लोगों के लिए बिस्किट और मिठाईयों को बांटती हैं। कलकत्ता से कुछ नर्स बहनें भी आयी हैं जो प्राकृतिक आपदा से पीड़ित गरीब लोगों की मदद कर रही हैं।″  

 








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