2017-08-26 16:11:00

कलीसिया के नेताओं ने भारत के नये राष्ट्रपति से मुलाकात की


नई दिल्ली, शनिवार, 26 अगस्त 2017 (ऊकान): काथलिक धर्मगुरूओं ने भारत के नये राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से शुक्रवार को मुलाकात कर, स्वास्थ्य, शिक्षा तथा देश के ग़रीबों की सहायता में की गयी काथलिक कलीसिया के कार्यों की जानकारी दी।

राम नाथ कोविंद ने राष्ट्रपति पद की शपथ 14वें राष्ट्रपति के रूप में 25 जुलाई को ली है। वे हिन्दू समर्थक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुआई वाली गठबंधन सरकार द्वारा मनोनीत किये गये थे जो संघ और विभिन्न राज्यों पर सतारूढ़ है। भारतीय राष्ट्रपति पद मुख्य रूप से एक औपचारिक पद है।

नवनियुक्त राष्ट्रपति कोविन्द से 24 अगस्त को राष्ट्रपति भवन में मुलाकात करने हेतु भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल बेसलियोस क्लेमिस ने प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व किया जिसमें दो अन्य कार्डिनल और पाँच धर्माध्यक्ष थे।

कार्डिनल क्लेमिस ने उका समाचार से कहा, ″यह एक औपचारिक मुलाकात थी।″ उन्होंने कहा कि कलीसिया के नेताओं द्वारा देश में काथलिक समुदाय की ओर से नवनियुक्त राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री से मुलाकात करना प्रथागत है।

उन्होंने कहा, ″ये मुलाकात हमारी पहचान को प्रस्तुत करने में मदद करता है।″ कार्डिनल ने राष्ट्रपति से की गयी बातचीत की जानकारी देते हुए कहा कि उन्होंने उन्हें 19 मिलियन काथलिकों द्वारा देश को उत्कृष्ट सेवा प्रदान किये जाने की बात से अवगत करायी।

उन्होंने कहा, ″हम अल्पसंख्यक हैं किन्तु शिक्षा और स्वास्थ्य के माध्यम से खासकर, गाँवों में बृहद स्तर पर एवं निजी क्षेत्रों में अपनी सेवा प्रदान करते हैं।″ उन्होंने बतलाया कि राष्ट्रपति ने उन्हें इसके लिए सराहा। 

भारत के 1.2 अरब लोगों में काथलिक 1.5 प्रतिशत हैं और यह देश में सबसे बड़ा ख्रीस्तीय समूह है जहां 2.3 प्रतिशत ख्रीस्तीय रहते हैं।

हालांकि यह मुलाकात ख्रीस्तीयों पर हिंदू चरमपंथी समूहों द्वारा रूपांतरण के आरोप की पृष्ठभूमि पर विरोध के रूप में आया किन्तु कलीसिया के अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि यह पूरी तरह एक औपचारिक मुलाकात थी।

2014 में जब बीजेपी की सरकार बनी, कई हिन्दू चरमपंथी दल उभर आये जो भारत को एक हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहते हैं। इसके एक भाग के रूप में, इन समूहों ने अपने ईसाई-विरोधी गतिविधियों को आगे बढ़ाया है।

नई दल्ली के महाधर्माध्यक्ष अनिल कुटो ने कहा, ″हमने मुलाकात में कोई मुद्दा नहीं उठाया। हमने भारत की काथलिक कलीसिया की ओर से उन्हें शुभकामनाएँ दीं।″

कोविंद पहले एक विवाद में उलझ चुके हैं जब 2010 में भाजपा नेता के रूप में उन्होंने कहा था, "इस्लाम और ईसाई धर्म भारत के लिए विदेशी हैं। उन्होंने यह भी सुझाव दिया था कि इन धर्मों के लोगों को सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों के लिए सामाजिक लाभ या कोटा नहीं देना चाहिए, भले ही वे एक गरीब सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से आते हों।

संवैधानिक रूप से, भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है जिसके तहत सभी धर्मों के लिए समान सम्मान लागू होता है। हालांकि, भाजपा के राजनीतिक संरक्षण के तहत, हार्ड लाइन हिंदू समूह, एक राष्ट्र बनाने के लिए काम कर रहे हैं धर्माध्यक्षों ने कहा कि उन्होंने इन में से किसी भी मुद्दा पर बहस नहीं किया।

कार्डिनल क्लेमिस ने कहा कि "भारत एक लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष गणतंत्र है और हम देश की पवित्र किताब - भारतीय संविधान के अनुसार जीते हैं।″








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