2017-08-23 15:02:00

ईश्वर सब कुछ नया बना देंगे


वाटिकन सिटी, बुधवार 23 अगस्त 2017, (रेई) संत पापा फ्राँसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर पौल षष्टम् के सभागार में जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को आशा पर अपनी धर्मशिक्षा माला के दौरान संबोधित करते हुए कहा,

प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात,

हमने प्रकाशना ग्रंथ में ईश्वर के वचनों को सुना, “देखो मैं सब कुछ नया बना देता हूँ।” ख्रीस्तीय आशा ईश्वरीय विश्वास में टिकी है जो मानव जीवन, इतिहास और भूमण्डल की सारी चीजों को नवीन बना देते हैं जो हमें आश्चर्यचकित कर देता है।

ख्रीस्तीय के रुप में हम अपनी नज़रों को क्षितिज की ओर उठाये बिना नहीं चल सकते हैं मानो हमारे जीवन की राह कुछ ही मील का सफर हो जहाँ हम बिना किसी उद्देश्य के यूँ ही अपने जीवन में भटकने हेतु छोड़ दिये गये हों।

धर्मग्रंथ के अंतिम भाग में विश्वासी के रुप में हम अपने जीवन यात्रा की क्षितिज का उल्लेख पाते हैं जो हमारे लिए स्वर्गीय येरुसलेम के बारे में कहता है। यह हमारे लिए ईश्वर के उस बृहद ख़ेमे की चर्चा करता है जहाँ ईश्वर हम सभों का स्वागत अनंत जीवन के लिए करेंगे। संत पापा ने कहा कि जब हम ईश्वर के साथ होंगे तो वे हमारे साथ क्या करेंगे। वे हमारे लिए अपनी अनंत करुणा को प्रदर्शित करेंगे जैसे कि एक पिता अपने थके मांदे बेटे का स्वागत करता है जो एक लम्बी दूरी तक करते हुए घर लौटकर आ रहा हो। प्रकाशना ग्रंथ इसकी चर्चा करते हुए हमें कहता है, “देखो, यह है मनुष्यों के बीच ईश्वर का निवास। वह उनके बीच निवास करेगा। वे उसकी प्रजा होंगे और ईश्वर स्वयं उनके बीच रह कर उनका अपना ईश्वर होगा। वह उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा। इसके बाद न मृत्यु रहेगी, न शोक, न विलाप और न दुःख क्योंकि पुरानी बातें बीत चुकी हैं।” (प्रका. 21.3-5),

संत पापा ने कहा कि हम धर्मग्रंथ के इन पदों पर चिंतन करें, अमूर्त रूप में नहीं वरन मूर्त रूप में जहाँ हम अपने जीवन में दुखदायी ख़बरों से रूबरू होते हैं। हमें उन बच्चों के चेहरों को देखने का प्रयास करें जो युद्ध के भय से आतंकित हैं, माताएँ जो को शोकित हैं, युवा जिनके सपने टूट गये हैं, शरणार्थी जो भयावह यात्रा करते हैं। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश हमारी जीवन की यात्रा ऐसे ही होती है। अपने जीवन में हम यह भी कह सकते हैं जीवन इन सारी चीजों से बढ़कर है।

संत पापा ने कहा कि लेकिन एक पिता हैं जो अनंत करुणा में अपने बच्चों के लिए आंसू बहाते हैं। वे हमारे जीवन में अपनी सांत्वना प्रदान करने की चाह रखते हैं क्योंकि वे हमारे जीवन की कठिनाइयों से वाकिफ हैं और उन्होंने हमें भविष्य में एक दूसरे जीवन के लिए बनाया है। मानव रुप में यह हमारे जीवन की सबसे बड़ी आशा है जो हमारे रोज दिन के जीवन में विकसित होती और हमें आगे बढने को प्रेरित करती है।

उन्होंने कहा कि ईश्वर ने हमें गलती से नहीं बनाया और न ही वे हमारे साथ जोर ज़बरदस्ती से पेश आते हैं। वे हमें जीवन देते हैं क्योंकि वे हमारी खुशी की कामना करते हैं। इस तरह यदि हम अपने वर्तमान समय में जीवन की एक कठिन अनुभूति से होकर गुजरते, तो पिता ईश्वर अपने बेटे येसु ख्रीस्त द्वारा हमारे जीवन की उस कठिनाई से हमें छुटकारा दिलाने हेतु कार्यशील होते हैं। हम जानते हैं कि मृत्यु और घृणा मानव जीवन के दृष्टांत के अंतिम शब्द नहीं हैं। ख्रीस्तीय होने का अर्थ हमें जीवन को एक नये रुप में, आशा की नज़रों से देखने की मांग करता है। कुछ इस बात पर विश्वास करते हैं कि युवावस्था जीवन में खुशी का एक दौर है जो धीरे-धीरे कम होता जाता है। कुछ इस बात का अनुभव करते हैं कि खुशी प्रासंगिक और भावना मात्र मानव के जीवन में लिखा गया है। ख्रीस्तीय के रुप में हम इस पर विश्वास नहीं करते हैं। हम इस बात पर विश्वास करते हैं कि मानव के क्षितिज में एक सूर्य है जो सदैव चमकता रहता है। हम इस तथ्य पर विश्वास करते हैं कि हमारे जीवन में अति सुन्दर चीज़ें अभी आने वाली हैं। मानव के रुप में हम वसंत और पतझड़ ऋतु से भिन्न हैं क्योंकि हम डालियों की पीली पत्तियों के बदले धरती में उगने वाले हरे नये पौधों को देखते हैं। हम अपने जीवन की पुरानी यादों और बीते जीवन के दुःखों में विलाप नहीं करते क्योंकि हम जानते हैं कि ईश्वर हमें एक प्रतिज्ञा और कभी न खत्म होने वाले स्वप्न का अंग होने हेतु बुलाते हैं।

संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि एक ख्रीस्तीय ईश्वरीय राज्य के बारे में जानता है जो ईर्ष्या के बीच भी प्रेम में एक बड़े लहलहाते गेहूँ के खेत-सा बढ़ता है। वह जानता है कि उसके जीवन के अंत में बुराई का अंत हो जायेगा। उन्होंने कहा कि हम अपने भविष्य के बारे में नहीं जानते हैं लेकिन हम यह जानते हैं कि येसु ख्रीस्त हमारे जीवन की सबसे बड़ी कृपा है। वे हमारे लिए न केवल दुनिया के अंत में पिता के आलिंगन हैं जो हमारी बाट जोहते वरन वे येसु अपने बेटे में हमारे जीवन की यात्रा में हमारे साथ चलते और हमें सांत्वना प्रदान करते हैं। वे हमें हमारे अन्य भाई-बहनों के साथ पिता के निवास की ओर ले चलते हैं जहाँ वे हमारे जीवन की दुःख तकलीफों और हमारे आंसूओं को पोंछ डालेंगे। पिता मात्र छः दिनों में सृष्टि को पूरा नहीं करते वरन वे बिना थके हमारे लिए मेहनत करते हैं क्योंकि वे सदा हमारी चिंता करते और कहते हैं, “देखो, मैं सारी चीजों को नया बना देता हूँ।” संत पापा ने कहा कि हाँ हमारे ईश्वर वे पिता हैं जो अपनी नवीनता में हमें आश्चर्यचकित करते हैं। हम उस दिन अपने मैं अत्यन्त खुशी का अनुभव करेंगे और हमारी आंखों से खुशी की आंसू बह निकलेगी।

इतना कहने के बाद संत पापा फ्राँसिस ने अपनी धर्म शिक्षा माला समाप्त की और सभी तीर्थयात्रियों और विश्वासियों का अभिवादन किया और उन्होंने ईश्वरीय विश्वास में मजबूत होने के साथ उनके प्रेम के साक्षी बनने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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