2017-08-21 15:49:00

विश्व अप्रवासी एवं शरणार्थी दिवस पर संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी, सोमवार, 21 अगस्त 2017 (रेई): 104वें विश्व अप्रवासी एवं शरणार्थी दिवस हेतु संत पापा फ्राँसिस के संदेश को वाटिकन ने प्रकाशित किया। विश्व अप्रवासी एवं शरणार्थी दिवस 14 जनवरी को पड़ता है।

वाटिकन रेडियो पत्रकार अलेसांद्रो जिसोत्ती ने कहा, ″विश्व अप्रवासी एवं शरणार्थी दिवस हेतु संत पापा फ्राँसिस के संदेश के केंद्र में, अप्रवासियों एवं शरणार्थियों के स्वागत, सुरक्षा, प्रोत्साहन और एकीकरण जैसे शब्दों को रखा गया है।″

उन्होंने कहा कि संदेश में संत पापा ने ″समय के चिन्ह″ - युद्ध से भागने के कारण कई अप्रवासियों एवं शरणार्थियों की दुःखद परिस्थिति एवं गरीबी का बहिष्कार किया है तथा लम्पेदूस की यात्रा का स्मरण किया है। संत मती रचित सुसमाचार के 25वें अध्याय की याद कर संत पापा ने कहा है कि कोई भी परदेशी जब हमारे द्वार पर दस्तक देता है तब यह येसु ख्रीस्त के साथ मुलाकात करने का एक अवसर है।″ संत पापा ने कलीसिया के लिए एक बड़े कर्तव्य की याद दिलाते हुए कहा है कि कलीसिया को सभी के साथ बांटना चाहिए ताकि इसके द्वारा अप्रवासियों के प्रति सहानुभूति प्रकट किया जा सके।

इस प्रकार संत पापा ने संदेश में कलीसिया की धर्मशिक्षा सिद्धांत के आधार पर चार बिन्दुओं को प्रस्तुत किया है, जिनमें प्रथम है, स्वागत- संत पापा ने इसकी आवश्यक पर जोर दिया है तथा कहा है कि अप्रवासियों एवं शरणार्थियों को सुरक्षित एवं कानूनी तौर से अन्य देशों में प्रवेश करने हेतु अधिक अवसर दिए जाएँ। उन्होंने ‘मानवीय वीजा’ को सरलता से हासिल कर पाने तथा परिवारों की एकता पर बल दिया है। उन्होंने अप्रवासियों एवं शरणार्थियों के सामूहिक निष्कासन की कड़ी निंदा की है, विशेषकर, देश से निष्कासित किये जाने पर जो मौलिक अधिकारों का कद्र नहीं करता।

उन्होंने संदेश में मानव व्यक्ति के प्रमुख सिद्धांत को पुनः दोहराया है कि "राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा आवश्यक है।″ इस प्रकार संदेश में कहा गया है कि अप्रवासियों को रोकने हेतु समाधान के विकल्प को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

संत पापा सुरक्षा शब्द पर भी विशेष ध्यान आकृष्ट करते हैं। उनका कहना है कि यह सुरक्षा परिवार में उत्पन्न होता है तथा विस्थापन की भूमि तक जारी रहता है। इस प्रकार संत पापा अपील करते हैं कि प्रवासियों की क्षमताओं और कौशल को बढ़ाने के लिए, उन्हें मेजबान देश में कार्यकलाप की स्वतंत्रता और काम करने का अवसर मिलना चाहिए।

संत पापा अप्रवासी बच्चों को भी नहीं भूलते जिन्हें शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है तथा किसी प्रकार के बहिष्कार से रहित उन्हें अपने परिवारों के साथ जीने का अधिकार है।

संत पापा ने ″प्रोत्साहन ″ शब्द पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि इसका अर्थ है कि सभी शरणार्थियों को ऐसी परिस्थिति प्रदान की जाए ताकि वे भी अन्य लोगों की बराबरी का अनुभव कर सकें। संत पापा प्रवासियों के सामाजिक-व्यावसायिक एकीकरण पर जोर देते हैं। उनकी आशा है कि सहायताओं के वितरण में अप्रवासियों एवं शरणार्थियों की अधिकता से स्वागत करने वाले विकासशील देशों की आवश्यकताओं पर ध्यान दिया जाए।  

संत पापा ने चौथे शब्द ‘एकीकरण’ पर जोर दिया है किन्तु वे तत्काल इस बात पर गौर करते हैं कि एकीकरण का अर्थ स्वांगीकरण नहीं है जो उनकी सांस्कृतिक पहचान पर दबाव डाले या उसे भूलने हेतु मजबूर करे। संत पापा ने कहा कि यह एक लम्बी प्रक्रिया है जिसमें नागरिकता प्रदान कर गति बढ़ायी जा सकती है। संत पापा पुनः मुलाकात की संस्कृति को प्रोत्साहन दिये जाने की बात करते हैं उन्होंने चेतावनी दी है, कि हालांकि, "राजनीतिक समुदाय और नागरिक समाज का योगदान अपरिहार्य है उन्होंने राजनीतिक नेताओं से अपील की है कि अप्रवासियों एवं शरणार्थियों को समर्पित वैश्विक समझौता में मिले अनुमोदन को बढ़ाया जाए।








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