2017-08-21 15:40:00

कनानी नारी का विश्वास


वाटिकन सिटी, सोमवार 13 अगस्त 2017 (रेई) संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस महागिरजा घर के प्रांगण में जमा हुए हजारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को रविवारीय देवदूत प्रार्थना के पूर्व  संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात ।

आज का सुसमाचार हमारे लिए एक कनानी नारी के विश्वास को प्रस्तुत करता है जो यहुदियों के लिए एक अपरिचितता के समान है। ये सारी घटनाएँ येसु के साथ तिरूस और सिदोन की राह में घटती होती है जो गलीलिया शहर के उत्तरी पश्चिमी प्रान्त में है। सुसमाचार के इस दृश्य में हम उसी नारी को येसु से अपनी बेटी के लिए विनय करते हुए सुनते हैं जो एक अपदूत के द्वारा प्रताड़ित की जाती है। शुरू में येसु उस नारी की दर्द भारी बातों की अनसुनी करते हुए दिखाई देते हैं लेकिन उस नारी के बार-बार आग्रह करने पर शिष्य येसु के पास आकर उसकी सहायता हेतु येसु से विनय करते हैं। यहाँ येसु के द्वारा अपनी बातों की अनसुनी होना कनानी माता को किसी भी तरह से हतोत्साहित नहीं करता है।

संत पापा ने कहा कि यह नारी की आंतरिक प्रबलता को हमारे सामने प्रस्तुत करता है जिसके द्वारा वह अपनी बाधाओं पर विजय प्राप्त करती है। यह उसमें अपनी संतान के प्रति स्नेह और  येसु में उसकी चंगाई हेतु पूर्ण विश्वास को दिखलाता है। उसे अपने में यकीन है कि येसु उसकी मांग को पूरी कर सकते हैं। संत पापा ने कहा कि यह मुझे नारी शक्ति के बारे में विचार करने को प्रेरित करता है। अपनी ताकत के बल पर नारियाँ अपने जीवन में महान कार्यों को पूरा करने के काबिल होती हैं। उन्होंने कहा कि हमारे सामने इसके बहुत सारे उदाहरण हैं। हम कह सकते हैं कि यह प्रेम है जो विश्वास में परिलक्षित होता और अपने विश्वास के फलस्वरूप उन्हें प्रेम का उपहार प्राप्त होता है। अपनी संतान के प्रति माता का प्रेम एक कराह के रुप में हमारे सामने उभर कर आता है और वह येसु से गिड़गिडाकर निवेदन करती है, “दाऊद के पुत्र, मुझ पर दया कीजिए।” येसु पर अपने विश्वास के बावजूद येसु द्वारा उसकी बातों पर ध्यान नहीं देना उसे निराश नहीं करता है यद्यपि वह अपने विश्वास में येसु के सामने नतमस्तक होकर उनसे निवेदन करती है, “प्रभु मेरी सहायता कीजिए।”

संत पापा ने कहा कि कनानी नारी के अटल विश्वास को देख कर येसु उसकी प्रशंसा करते हैं, वे उसके विश्वास को देख कर आश्चर्यचकित हो जाते हैं। इस तरह येसु उनके विश्वास का प्रतिउत्तर देते हुए कहते हैं, “नारी, तुम्हारा विश्वास महान है, तुम्हारी इच्छा पूरी हो। और उसी क्षण उसकी बेटी चंगी हो जाती है।” उस नम्र नारी को येसु एक दृढ़ विश्वास के उदाहरण स्वरूप हमारे सामने रखते हैं। उसका येसु पर अटल विश्वास हमें इस बात हेतु प्रेरित करता है कि हम अपने जीवन की परिक्षाओं में हताश और निराश न हों। संत पापा ने कहा कि येसु हमारी ज़रूरतों से मुँह नहीं मोड़ते हैं यदि वे हमारी माँगों के प्रति थोड़े समय के लिए असंवेदनशील प्रतीत होते तो इसके द्वारा वे हमारे विश्वास को सुदृढ़ करना चाहते हैं। अतः हमें उस कनानी नारी के समान अपने विश्वास में अडिग बने रहते हुए येसु से निवेदन करने की आवश्यकता है, “प्रभु, मेरी सहायता कीजिए”,क्योंकि प्रार्थना के प्रति यह हमारे साहस को व्यक्त करता है।

संत फ्रांसिस ने कहा कि सुसमाचार का यह परिदृश्य हमें विश्वास में बढ़ने और येसु में अपने भरोसे को मजबूत करने का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि जब हमारे जीवन की राह समतल नहीं होते और हम कठिनाई और मुश्किलों का सामना करते हैं तो येसु हमारे जीवन को एक सही दिश प्रदान करने हेतु मदद करते और हमें विश्वासी और समर्पित बन रहने में सहायता करते हैं। हमें प्रतिदिन धार्मिक अनुष्ठानों में सहभागी हो कर उनके वचनों को ध्यान पूर्वक सुनने और अपने विश्वासमय जीवन को प्रेषित करने की जरूरत है। येसु को अपनी सहायता हेतु पुकारने के साथ हमें अपने पडोसियों के प्रति भी एक उचित मनोभाव में करुणा के कार्य करने की जरूरत है।

संत पापा ने विश्वास में मजबूती हेतु सभों का आहृवान करते हुए कहा कि आइए हम पवित्र आत्मा में विश्वास करें जो हमारे जीवन में विश्वास को पुख्ता बनाते हैं। पवित्र आत्मा हम विश्वासियों के हृदय में साहसिकता का संचार करते हैं। वे हम में जीवन का संचार करते और ख्रीस्तीय विश्वास और भरोसा का साक्ष्य देने में हमारी सहायता करते हैं। वे ईश्वर में विश्वासी बने रहने हेतु हमें प्रेरित करते और अपने भाई-बहनों के प्रति संवेदनशील बनाते हैं।

माता मरियम हमारे जीवन में ईश्वर और उनकी आत्मा की उपस्थिति के प्रति सजग बनाये जिससे हम दृढ़ विश्वास, पूर्ण प्रेम में बने रहें जो हमें ईश्वर की ओर साहस पूर्वक अपनी नजरें उन्मुख करने को मदद करती है। इतना कहने के बाद संत पापा फ्राँसिस ने विश्वासी समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया और सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
देवदूत प्रार्थना के उपरान्त संत पापा ने विश्व के विभिन्न स्थानों विशेष कर बुरकिना फासो, स्पेन और फिनलैण्ड में हुए आतंकी हमलों में मारे गये लोगों और घायलों हेतु मौन प्रार्थना का आहृवान किया। उन्होंने हिंसा और अमानवीय कार्यों की रोक हेतु सभों से साथ मिलकर दूत संवाद प्रार्थना का पाठ किया और तदोपरान्त रोम और विभिन्न स्थानों से आये हुए तीर्थयात्रियों और विश्वासी समुदाय का स्नेहपूर्ण अभिवादन करते हुए अंत में अपने लिए प्रार्थना का निवेदन किया और सभों को रविवारीय मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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