2017-08-11 12:02:00

भोपाल महाधर्माध्यक्ष ने कहा वर्तमान स्थिति चिन्ताजनक


भोपाल, शुक्रवार, 11 अगस्त 2017 (ऊका समाचार): मध्य प्रदेश राज्य में एक प्रमुख बांध परियोजना से प्रभावित 40,000 परिवारों के लिए मुआवजा और पुनर्वास की मांग के समर्थन में काथलिक कलीसिया के अधिकारियों ने उनकी भूख हड़ताल का समर्थन किया है। इस भूखहड़ताल में इन्दौर धर्मप्रान्त के पुरोहित फादर रॉय थॉमस सहित विभिन्न धर्मों के कई लोगों ने भाग लिया।

प्रदर्शनकारियों का मानना है कि सरदार सरोवर बांध में जल स्तर बढ़ने से 912 गाँव जलमग्न हो जायेंगे, जबकि अधिकारियों का कहना है कि प्रभावित लोगों को पहले से ही मुआवजा दिया जा चुका है और उन्हें 'पुनर्वास' उपायों से भी लाभ हुआ है।

पुलिस ने 07 अगस्त को, धार ज़िले के चिकहाल्दा गाँव में, 27 जुलाई से भूखहड़ताल करनेवाले 12 प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज किया। इसी दौरान मानवाधिकार कार्यकर्त्ता मेधा पाटकर घायल हो गई थी जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। छः अन्य लोगों को आई गहरी चोटों की वजह से पुलिस को उन्हें भी अस्पताल भेजना पड़ा।

सरदार सरोवर बांध नर्मदा नदी पर सन् 1979 में शुरू हुई विशाल नर्मदा घाटी परियोजना के हिस्से के रूप में बनाई गई 30 बांधों में से एक है, इसका उद्देश्य खेत के सिंचाई करना तथा और पनबिजली उत्पादन करना है। हालांकि,  मानवाधिकार समूहों एवं पर्यावरण कार्यकर्ताओं द्वारा बड़े पैमाने पर पर्यावरणीय क्षति और लोगों के विस्थापन का हवाला देने के उपरान्त यह परियोजना विवादास्पद हो गई है।  

भोपाल के महाधर्माध्यक्ष लियो कॉरनेलियो ने कहा कि वर्तमान स्थिति एक बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि किसी भी व्यक्ति को उसके जीने के अधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिये। उन्होंने सरकार का आह्वान किया कि वह नये सिरे से सर्वेक्षण कर यह निर्धारित करे कि कितने लोगों की क्षति पूर्ति की जानी चाहिये तथा कितने लोगों को पुनर्वास पैकेज मिलना चाहिये।

नर्मदा बचाव आंदोलन 200,000 प्रभावित लोगों के लिए उपयुक्त पुनर्वास की मांग कर रहा है। आन्दोलन के लोगों की शिकायत है कि इन लोगों ने अपने घरों, खेतों, भूमि और साथ ही आय के अन्य स्रोतों को खो दिया है।

इसी बीच, केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री संजीव कुमार बल्यान ने संसद को बताया कि इस परियोजना से प्रभावित सभी लोगों को पानी के विवाद ट्रिब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सहायता प्रदान की जा चुकी है।

दूसरी ओर मानवाधिकार कार्यकर्त्ताओं का कहना है कि पुनर्वास के लिये जो कुछ दिया गया है वह पर्याप्त नहीं है। इन्दौर धर्मप्रान्त के सामाजिक कार्यकर्त्ता फादर रॉय थॉमस ने ऊका समाचार से कहा कि बहुत से छोटे किसानों की क्षतिपूर्ति नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि कुछेक स्थानों पर सरकार ने पतरे के झोपड़े बनवाये हैं जिनमें न तो पानी और न ही सफ़ाई आदि की सुविधाएँ हैं। उन्होंने कहा कि यह अस्थाई झोपड़े मनुष्यों के रहने के योग्य जगह नहीं हैं। 








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