2017-08-09 14:29:00

ईश्वरीय करुणा ख्रीस्तियों की आशा


वाटिकन सिटी, बुधवार 09 अगस्त 2017, (रेई) संत पापा फ्राँसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर पौल षष्टम् के सभागार में जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को आशा पर अपनी धर्मशिक्षा माला के दौरान संबोधित करते हुए कहा,

प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात,

हमने सिमोन फरीसी के घर में लोगों को कानाफूसी करते हुए सुना, “यह कौन है जो पापों को भी क्षमा प्रदान करता हैॽ” येसु के कार्यों के कारण एक विवाद उत्पन्न हो गया था। शहर की एक नारी जो पापिनी के रुप में जानी जाती थी सिमोन के घर में प्रवेश करती जहां येसु अपने चेले के साथ अतिथि के रुप में आये थे। वह झुककर येसु के पैरों को अपने आंसुओं से धोती और केशों से पोंछते हुए उन पर सुगंधित इत्र का विलेपन करती है। इस घटना को देखने वाले सभी इसकी टीका-टिप्पणी करते हैं, यदि यह नबी है तो यह जानता कि जो नारी ये कार्य कर रही है वह कौन है अतः वह उसे ऐसा करने नहीं देता। उस समय की परंपरा के अनुसार शुद्ध और अशुद्ध, पापी और धर्मी व्यक्ति के बीच एक स्पष्ट अन्तर की भावना रखी जाती थी।

संत पापा ने कहा लेकिन येसु के मनोभाव एकदम अलग हैं। गलीलिया में अपने प्रेरिताई कार्य की शुरुआती दिनों से ही येसु ने कोढ़ियों, पापियों, रोगियों और समाज से बहिष्कृत लोगों हेतु अपने को दे दिया। येसु के ये मनोभाव सामान्य जन-जीवन से भिन्न थे अतः यह स्वाभाविक था कि समाज में “तिरस्कृत” लोगों के प्रति उनके सांत्वना के भाव उनके समकालीनों को बृहद रुप में विचलित करता है। येसु किसी भी पीड़ित व्यक्ति को देख कर उसके जीवन में सहभागी होते हैं और उस व्यक्ति की पीड़ा येसु की पीड़ा बन जाती है। येसु उन दुःख तकलीफों को साहसिक रुप से वहन करने हेतु दर्शन शास्त्री फरीसियों के समान लोगों को उपदेश नहीं देते हैं बल्कि वे मानव जीवन के दुःख-दर्द का अंग बनते हैं। पीड़ितों के प्रति उनका यह मनोभाव ख्रीस्तीय जीवन का एक मनोभाव बनता है जिसे हम करुणा की संज्ञा देते हैं। वे हमारे लिए अपने प्रेम और करुणा को प्रदर्शित करते हैं। वे अपने अन्दर एक गहरी प्रतिक्रिया का अनुभव करते हैं। हम सुसमाचार में कितनी मर्तबा इस तरह के दृश्यों से अपने को रूबरू होते हुए पाते हैं। संत पापा ने कहा कि येसु का हृदय ईश्वर के प्रेममय हृदय को हमारे लिए व्यक्त करता है जिसके फलस्वरूप वह दुःख में पड़े हुए किसी भी स्त्री या पुरुष को चंगाई, स्वास्थ्य और नया जीवन प्रदान करने की चाह रखते हैं।

यही कारण है येसु अपनी बाँहों को पापियों के लिए फैलाते हैं। उन्होंने कहा कि आज कितने ही लोग हैं जो जीवन के बुरे कार्यों में गिरे हैं क्योंकि वे अपने जीवन में किसी भी व्यक्ति को नहीं पाते जो उनकी ओर एक स्नेह भरी नजरें फेरे, जो उन्हें ईश्वरीय प्रेमी हृदय और आशा की अनुभूति दिलाये। संत पापा ने कहा कि हम येसु में इस बात को देखते हैं कि वे उनके लिए भी नये जीवन की इच्छा रखते हैं जो अपने जीवन में ढेरों पापों और बुराइयों के शिकार हो गये हैं।

कभी-कभी हम येसु के इन मनोभावों को देख कर अपने में इस बात को भूल जाते हैं कि ऐसा करना उनके लिए आसान और सहज नहीं था। संत मारकुस के अध्याय 2.12 में हमें इस बात का वृतांत मिलता है जहाँ हम येसु को अर्द्धांगरोगी के पापों से क्षमा करने पर नकारात्मक बातों का शिकार होते हुए पाते हैं। वह व्यक्ति निश्चित तौर पर अपने में मृत्यु के दौर से होकर गुजर रहा था क्योंकि वह चल-फिर नहीं सकता था, वह अपनी स्थिति के कारण लाचार था। येसु इस बात का एहसास करते हैं कि अपने में असहाय अनुभव करना बीमारी से अधिक कष्टदायक होती है अतः वह उसे उसकी स्थिति से अतिशीघ्र मुक्त करने की सोचते और उससे कहते हैं, “बेटा, तुम्हारे पाप क्षमा हो गये हैं।” ये वे ही फरीसी थे जो वहाँ उपस्थिति थे जो येसु की बातों को सुनकर अपने में आश्चर्य का अनुभव करते हैं क्योंकि यह ईश निंदा के समान है क्योंकि ईश्वर को छोड़कर और कोई पाप क्षमा नहीं कर सकता है।  

संत पापा ने कहा कि हम अपने जीवन में बहुत बार पाप क्षमा को अति “सहज” रुप में लेते हैं, हम अपने को इस बात की याद दिलायें कि ईश्वर ने हमें कितना अधिक प्रेम किया है। उन्होंने कहा कि येसु सूली को अपने खातिर इसलिए नहीं चुनते क्योंकि वे हमें चंगाई प्रदान करते, हमें प्रेम दिखाते और हमें धन्यताओं की शिक्षा देते हैं वरन वे क्रूस पर अपने को इसलिए अर्पित कर देते हैं क्योंकि वे हमें हमारे पापों से पूरी तरह माफ करना चाहते हैं, वे मानव हृदय को पापों के बंधन से पूर्णरूपेण मुक्त करना चाहते हैं। वे यह नहीं चाहते हैं कि मानव का हृदय पापों के अमिट चिन्ह से इस भांति भरा रहे कि वह अपने को ईश्वर के करुणावान हृदय से वंचित पायें।

संत पापा ने कहा, अतः पापियों को उनके पापों से क्षमा मिलती है। उन्हें केवल मनोवैज्ञानिक रुप से सांत्वना का एहसास नहीं होता क्योंकि वे अपने पापों से मुक्त किये जाते हैं वरन येसु इससे भी बड़ा कार्य उनके जीवन में सम्पादित करते हैं, जिन्होंने अपने में आशा को खो दिया है वे उन्हें अपने प्रेम से भरते हुए नये जीवन की सौगात प्रदान करते हैं। चुंगी जमा करने वाला मत्ती येसु का शिष्य बन गया। येरिको का धनी बेईमान जकेयुस गरीबों का मददगार बना। समारिया की नारी जो पाँच पुरुषों की पत्नी रह चुकी थी जो किसी और पुरुष के साथ रहती थी अपने हृदय के अंतस्थल में “जीवन झरने” को प्रवाहित होने की अनुभूति प्राप्त करती है।

संत पापा ने कहा कि यह हमारे लिए विचार करने की बात है कि ईश्वर ने अपनी कलीसिया की स्थापना हेतु सर्वप्रथम उन लोगों का चुनाव नहीं किया जिन्होंने अपने जीवन में कभी गलती नहीं की वरन कलीसिया उन पापियों के द्वारा निर्मित है जो अपने जीवन में ईश्वर की करुणा और क्षमा का अनुभव करते हैं। पेत्रुस ने मुर्ग़े के बाँग देने पर अपनी उदारता की अपेक्षा अपने जीवन की सच्चाई को समझा जिसके कारण वह अपने गुरुवर के प्रेम से गद्गद हो गया।

संत पापा ने कहा कि हम सब पापी, दीन-दुःखी हैं और हमें ईश्वर की दया की जरूरत है जो हमारे जीवन को परिवर्तित करते और रोज दिन हमें अपनी आशा से भर देते हैं। वे जो अपने जीवन में ईश्वर की मूलभूत सच्चाई को समझते हैं ईश्वर उन्हें दुनिया में अति सुन्दर प्रेरिताई कार्य सौंपते हैं विशेषकर अपने भाई-बहनों को प्रेम करते हुए इस बात को घोषित करने की जिम्मेदारी जहाँ ईश्वर किसी का परित्याग नहीं करते हैं।

इतना कहने के बाद संत पापा फ्राँसिस ने अपनी धर्म शिक्षा माला समाप्त की और सभी तीर्थयात्रियों और विश्वासियों का अभिवादन किया और उन पर ईश्वरीय आशा और करुणा की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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