वाटिकन सिटी, मंगलवार, 1 अगस्त 2017 (रेई) : आज माता कलीसिया संत अल्फोंस मरिया दे लिगोरी का त्योहार मनाती है जो धर्माध्यक्ष और कलीसिया के आचार्य थे। उन्होंने रिडेम्पटोरिस्ट धर्मसमाज की स्थापना की। उन्हें कलीसिया एक विद्वान, नीति ईशशास्त्र विशेज्ञ और पापक्षमोचक रूप में याद करती है।
संत अल्फोंस मरिया दे लिगोरी के नामदिवस पर संत पापा फ्राँसिस ने ट्वीट प्रेषित कर अपने संदेश में लिखा, ″जब हम रोजमर्रा की जिंदगी की ठोस परिस्थितियों में बिना इनाम की चाह रखे कार्य संपन्न करते हैं तो वे कार्य बहुत ही प्रभावी होते हैं।″
संत अल्फोंस 18वीं शताब्दी के एक लोकप्रिय संत रहे हैं। उन्होंने पापमोचकों को इस बात के लिये प्रोत्साहन दिया कि वे पापस्वीकार करने वालों का स्वागत पूरी खुशी से करें और उन्हें ईश्वर पिता का अगाध प्रेम और असीम दया प्रदान करें।
सन् 1759 ई. में प्रार्थना करने के तरीकों पर एक महासम्मेलन हुआ था जिसमें संत अल्फोंस का योगदान अति महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने प्रार्थना को मुक्ति का एक ऐसा साधन बतलाया है जो ईश्वरीय कृपा ग्रहण करने के लिये अति ज़रूरी है।
संत अल्फोंस ने एक विशेष नारा दिया था जिसके अनुसार "जो प्रार्थना करता है मुक्ति प्राप्त करता है, जो प्रार्थना नहीं करता हैं नष्ट होता है।"
उन्होंने यह भी कहा था कि ‘हम ऐसा नहीं कह सकते हैं हमने प्रार्थना नहीं किया क्योंकि प्रत्येक को प्रार्थना का वरदान दिया गया है’। उनका मानना था कि जीवन की हर परिस्थिति में हम और कुछ नहीं पर प्रार्थना तो अवश्य ही कर सकते हैं, विशेष कर परीक्षा और चुनौतियों के समय।
ऐसे समय में हमें चाहिये कि हम ईश्वर के दरवाज़े पर दस्तख दें जो अपने लोगों की सदा चिंता करते हैं। हम घबराये नहीं पर पूरे विश्वास के साथ अपने निवदेनों को ईश्वर के चरणों में लायें और विश्वास करें कि हमें यह प्राप्त हो जायेगा।
All the contents on this site are copyrighted ©. |