2017-07-29 15:55:00

दलित ख्रीस्तीयों को हाशिए पर रखने के खिलाफ आवाज उठानी है, बड़ौदा के प्रशासक


 मुम्बई, शनिवार 29 जुलाई 2017 (एशियान्यूज) : ″दलित ख्रीस्तीयों को हाशिए पर रखे जाने के खिलाफ लगातार आवाज उठानी है।″ उक्त बात बड़ौदा धर्मप्रांत के प्रशासक धर्माध्यक्ष स्तानिस्लास फेर्नांडीस ने दलित ख्रीस्तीय राष्ट्र संघ के वार्षिक सम्मेलन में कही।

वदोदरा स्थित जीवन दर्शन पास्टोरल केंद्र में 22-23 जुलाई को दलित ख्रीस्तीय राष्ट्र संघ का वार्षिक सम्मेलन संपन्न हुआ। दलित ख्रीस्तीय राष्ट्र संघ में भारतीय दलित अधिकारों के लिए लड़ने वाले सभी ख्रीस्तीय समूहों को शामिल किया गया है।

धर्माध्यक्ष ने कहा, "राष्ट्रीय संदर्भ में जहाँ दलितों के विरुद्ध अत्याचार हो रहा है और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जाता है, हमें उनके साथ अपनी एकता दिखाना चाहिए।"

"हालांकि सत्ताधारी केंद्र सरकार दलित ख्रीस्तीयों को अनुसूचित दर्जा देने के पक्ष में नहीं है, हम चुपचाप रह नहीं सकते। हमें अनुसूचित वर्ग सूची में शामिल किए जाने के लिए हमारे संवैधानिक अधिकारों की मांग जारी रखना होगा।"

25 जुलाई को नई दिल्ली में इसी मुद्दे को लेकर भारतीय कलीसियाओं की राष्ट्रीय परिषद (एनसीसीआई), भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (सीबीसीआइ) और दलित ख्रीस्तीय राष्ट्र संघ (एनसीडिसी) के प्रतिनिधियों की संयुक्त बैठक हुई थी। बैठक के अंत में ख्रीस्तीय नेताओं ने 7 दिसंबर को ‘विरोध दिवस’ आयोजित करने का निर्णय लिया। सभी ख्रीस्तीयों को बैठकों और प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया।

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के दलित और पिछड़े वर्ग हेतु बने विभाग के सचिव फादर देवसहाय राज कहा, ″यह भेदभाव संवैधानिक आदेश के कुख्यात अनुच्छेद 3 पर है।″

भारत के राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद द्वारा 10 अगस्त 1950 को हस्ताक्षरित "अनुसूचित जाति" पर 1950 का संवैधानिक आदेश कहता है कि "हिंदू धर्म के अलावा अन्य धर्म का कोई भी व्यक्ति अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं माना जा सकता" इसके बाद सन् 1956 में सिख और सन् 1990 में बौद्ध धर्म को अनुसूचित जाति में शामिल करने के लिए इस आदेश को संशोधित किया गया। ख्रीस्तीय और मुस्लिम दलित हाशिए पर हैं।

फादर देवसहाय राज ने भारत के सभी ख्रीस्तीयों को आमंत्रित करते हुए कहा,  ″ अगस्त 10 दलित ख्रीस्तीयों के 67 वर्षों के भेदभाव को उजागर करने के लिए "काला दिवस" होगा। आप अपने क्षेत्र, धर्मप्रांतों और संस्थानों में 10 अगस्त को एक काला दिवस के रूप में लें।"








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