2017-07-19 17:05:00

धार्मिक नेता गरीबी का अंत करने एवं शांति को बढ़ावा देने में मदद करें, वाटिकन


 न्यूयॉर्क, बुधवार,19 जुलाई 2017 (रेई) : संयुक्त राष्ट्र संघ में परमधर्मपीठ के प्रेरितिक राजदूत महाधर्माध्यक्ष बेर्नारदितो औजा ने सोमवार को न्यूयॉर्क में शांति के लिए धर्मों के विभाग द्वारा आयोजित उच्च स्तरीय राजनीतिक बैठक के दौरान अपने संबोधन में गरीबी उन्मूलन और शांति को बढ़ावा देने में धार्मिक नेताओं और समुदायों की भूमिका के बारे कहा।

धार्मिक नेतागण राजनीतिक नेताओं और सामाजिक वैज्ञानिकों से अलग हैं, "वे जो हैं और जो नहीं हैं उसका दिखावा नहीं करते हैं।" उनका कार्य वैज्ञानिक संकेतक के माध्यम से लक्ष्यों और उद्देश्यों को मापना नहीं है। वे मुख्यतः लोगों को कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं। वे उनके कार्यों की सार्थकता और उद्देश्यों और कार्यों की महत्ता को समझाते हैं। वे आशावादी हैं और दूसरों को भी अपने कामों के प्रति आशावादी बने रहने की प्रेरणा देते हैं, जैसा कि संत पेत्रुस अपने पहले पत्र में व्याख्या करते हैं। हालांकि धार्मिक नेताओं का पहला उत्तरदायित्व विश्वासियों और लोगों की आध्यात्मिक आवश्यकता की पूर्ति करना है पर वे प्रत्येक व्यक्ति के संपूर्ण विकास के लिए काम करते हैं।

उन्होंने कहा कि सभी धर्म इस बात पर विश्वास और घोषणा करते हैं कि शांति विकास के लिए आवश्यक है। सभी अध्ययनों से पता चलता है कि देशों और क्षेत्रों में युद्ध-संघर्ष प्रगति को रोकता है। संत पापा पौल छठे ने भी 1967 में इस बात की पुष्टि की थी कि शांति का नया नाम विकास है। शांति को बनाये रखने के लिए विकास की आवश्यकता है। आर्थिक और राजनीतिक प्रभुत्व के दिखावे बिना, धर्मों और विश्वास पर आधारित संगठन आम तौर पर शांति निर्माण में निष्पक्ष दलालों के रूप में देखा जाता है।

उन्होंने कहा कि शांति की दिशा में टिकाऊ विकास के संकेतक "गुणात्मक होनी चाहिए, मात्रात्मक नहीं।"

"विशेष रूप से, धार्मिक नेताओं का नैतिक कर्तव्य बनता है कि वे लोगों के व्यक्तित्व और नैतिक विकास में उनकी मदद करें जिससे कि वे एक अच्छे इन्सान बन सकें और दूसरों को भी अपने भाइयों और बहनों की तरह देखभाल कर सकें।








All the contents on this site are copyrighted ©.