2017-07-18 15:33:00

भारतीय धार्मिक नेताओं द्वारा शांति सद्भाव बहाल करने हेतु सरकार से अपील


नई दिल्ली, मंगलवार, 18 जुलाई 2017 (उकान) : भारत के धार्मिक नेताओं ने धार्मिक असहिष्णुता, नफरत और हिंसा की जांच के लिए एक कार्य योजना तैयार की है। 16 जुलाई को नई दिल्ली में विभिन्न धर्मों के 40 नेताओं की बैठक हुई।

बैठक भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन द्वारा बुलाई गई थी ताकि "डर के माहौल को समाप्त करने के लिए" संघीय सरकार से मदद की मांग कर सकें। आतंक और भय का माहौल आज पूरे देश में फैलता जा रहा है।

बैठक में पांच मुद्दों के तत्काल कार्यक्रम पर सहमति हुई:

- नफरत की विचारधारा एक वास्तविकता है और उसे सरकारों, राजनीतिक दलों, नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं, आपराधिक न्याय व्यवस्था और धार्मिक समुदायों द्वारा एक ठोस तरीके से चुनौती दी जानी चाहिए।

-लोगों की अंतर्निहित एकता पर जोर देने के लिए धार्मिक नेताओं को जमीनी स्तर पर कार्य करना चाहिए। इससे सार्वजनिक विश्वास को बहाल करने और आपसी संदेह को दूर करने में मदद मिलेगी।

-नेताओं को झूठ और नफरत को चुनौती देने के लिए परंपरागत साहित्य और सोशल मीडिया द्वारा सामग्री का निर्माण करना चाहिए। सामाजिक मीडिया को वास्तव में नफरत को खत्म करने और समुदायों के बीच संबंध को मजबूत करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

-सामुदायिक नेताओं को विभिन्न स्तरों पर एक साथ आना चाहिए ताकि तनाव को दूर किया जा सके और आपसी भरोसा बहाल हो और इसे मजबूत किया जा सके। इसी तरह, राष्ट्रीय संस्थान सहित राष्ट्रीय और राज्य अल्पसंख्यक आयोगों और अन्य संरचनाओं को शांति से बहाल करने और शासन के कानून को मजबूत करने में सक्रिय रूप से काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

-जितनी जल्दी हो सके एक राष्ट्रीय अंतरधार्मिक और नागरिक समाज सम्मेलन आयोजन किया जाए जिसमें विकास और उन उपायों पर चर्चा हो जिसे सरकारों को राष्ट्रीय और राज्य स्तरों पर लेने की जरूरत है।

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के महासचिव धर्माध्यक्ष थेओदोर मसकरेन्हास ने ऊका समाचार से कहा,"हमें लगता है कि देश की पारंपरिक शांति और सामंजस्य बिखर गयी है। ऐसा प्रतीत होता है कि लोगों को सिर्फ दण्ड से मुक्ति देने के लिए मार दिया जा रहा है और इस कारण हम परेशान हैं।" उन्होंने कहा, "हम यह भी महसूस करते हैं कि इन घटनाक्रमों ने न सिर्फ धर्मनिरपेक्षता को धमकी दी, बल्कि देश के संविधान और लोकतांत्रिकता पर भी प्रहार किया है।"

धर्माध्यक्ष ने 17 जुलाई से 11 अगस्त की संसद के मानसून सत्र की पूर्व संध्या को बैठक आयोजन किया था। भारतीय संसद 19 सत्रों को आयोजित करेगी जिसमें भारत के नए राष्ट्रपति और उपाध्यक्ष के चुनाव भी सम्मिलित है। इस सत्र में शिक्षा, सुरक्षा, वित्त, श्रम, जलयात्रा और आंकड़ों जैसे कई मुद्दों को शामिल करने वाले विधेयकों को पेश करने और चर्चा करने की संभावना है।








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