2017-07-03 15:59:00

एफएओ के 40वें आमसभा सम्मेलन के प्रतिभागियों को संत पापा का संदेश


रोम, सोमवार, 3 जुलाई 2017(रेई) : रोम में आयोजित एफएओ की 40वीं  आमसभा सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में संत पापा फ्राँसिस ने प्रतिभागियों को संदेश दिया।

संत पापा ने रोम में आयोजित विश्व कृषि और खाद्य आपूर्ति संगठन (एफएओ) की 40वीं आमसभा सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में उपस्थित ना हो पाने पर खेद प्रकट किया और कहा कि उनके संदेश को वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पियेत्रो परोलीन पढ़ कर सुनाएंगे।

संत पापा ने विश्व कृषि और खाद्य आपूर्ति संगठन के निदेशक तथा अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों का अभिवादन कर कहा कि आप लोग कृषि उत्पादन और खाद्य आपूर्ति मुद्दों पर विचार विमर्श करने एकत्रित हैं आप पर लाखों लोगों की उम्मीदें टिकी हुई हैं।

संत पापा ने कहा कि परमधर्मपीठ अंतरराष्ट्रीय समुदाय के कामों को करीब से देखता है। विकास लक्ष्यों को बढ़ावा न केवल सिद्धांतों के रुप में बल्कि भूख और कुपोषण के उन्मूलन हेतु अपने वास्तविक प्रयासों से सहायता करना चाहता है।

हम सभी जानते हैं कि हर किसी को अपनी रोजमर्रा की रोटी प्रदान करने का इरादा पर्याप्त नहीं है। बल्कि, यह समझने की आवश्यकता है कि सभी को इसका अधिकार है और इसलिए उन्हें इसके लाभ से अवगत कराना होगा। अगर हम जारी किये गये लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाये हैं तो काफी हद तक इसका कारण ‘एकता की संस्कृति’ की कमी है। इसी की वजह से अन्य अंतरराष्ट्रीय गतिविधियाँ आगे बढ़ने में विफल हो जाती हैं।

प्रत्येक देश की प्रतिबद्धता पोषण के स्तर को बढ़ाने, कृषि गतिविधि और ग्रामीण आबादी की जीवन शैली में सुधार लाने, कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन देने, उत्पादन में वृद्धि या खाद्य आपूर्ति के प्रभावी वितरण को बढ़ावा देना चाहिए। हालंकि यह पर्याप्त नहीं है वस्तुतः हर व्यक्ति को गरीबी और भूख से मुक्त होने का अधिकार पूरे मानव परिवार के कर्तव्यों पर निर्भर करता है जो जरूरत के मुताबिक उनको व्यावहारिक सहायता प्रदान करते हैं।

जब एक देश गरीबी, जलवायु परिवर्तन या असुरक्षा की स्थितियों की वजह से आवश्यकताओं की पूर्ति करने में असमर्थ हैं तो एफएओ और अन्य अंतरसरकारी संस्थानों को विशेष रूप से हस्तक्षेप करने और पर्याप्त ठोस कार्रवाई करने में सक्षम होना चाहिए। चूँकि ईश्वर द्वारा बनाई गई वस्तुएँ सभी लोगों के लिए है। अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में सहयोग के सभी रूपों को प्रोत्साहित करने के लिए एकता की तत्काल जरूरत है।

संत पापा ने कहा कि हम वर्तमान विश्व की स्थिति पर एक नज़र दौड़ायें तो हम पाते हैं कि भूख और कुपोषण न केवल भौतिक भौगोलिक क्षेत्रों में प्राकृतिक या संरचनात्मक घटनाएं हैं, लेकिन कई लोगों की उदासीनता या कुछ के स्वार्थ का नतीजा है। युद्ध, आतंकवाद के कृत्यों और मजबूर विस्थापन आदि विकास के कार्यों में बहुत बड़े बाधक हैं। हमें उन सबसे कमजोर वर्ग को भी सोचना है जो न केवल उत्पादन की प्रक्रियाओं से बाहर हैं लेकिन अक्सर शरण और आशा की खोज में अपनी भूमि छोड़ने के लिए बाध्य हैं।

हमें इस बात से अवगत होना चाहिए कि इन मामलों में चुनाव की स्वतंत्रता के प्रति सभी को एकजुट होना चाहिए। इस संबंध में, सरकारों को प्रोत्साहित करने की इच्छा से प्रेरित होकर मैं एफएओ कार्यक्रम में एक प्रतीकात्मक योगदान करना चाहता हूँ जो कि संघर्ष और सूखा के संयुक्त प्रभाव से प्रभावित क्षेत्रों में ग्रामीण परिवारों को बीज प्रदान करता है। इस कार्य के अलावा पेशकश की जाती है कि कलीसिया अपने कार्यों द्वारा दुनिया के गरीबों के पक्ष में खड़े होने और उनकी ओर से सभी की प्रभावी प्रतिबद्धता जारी रखती है।

 सभी को खाद्य सुरक्षा प्रदान करना विकास एजेंडा 2030 का एक लक्ष्य है और इस लक्ष्य को हासिल करने में आज हमारी प्रतिबद्धता की मांग करता है। यह एफएओ और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सभी संस्थानों के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। कलीसिया भी इस चुनौती का सामना करने के लिए प्रतिबद्ध है।

अपने संदेश के अंत में संत पापा ने एफएओ के कार्यों की सराहना करते हुए उन्हें धन्यवाद दिया और दूने उत्साह के साथ कार्य को आगे बढ़ने हेतु उन्हें शुभकामनाएं दी।

कार्डिनल परोलिन ने संत पापा के संदेश को पढ़ने के बाद आधिकारिक तौर पर घोषणा की कि 16 अक्टूबर  को विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर इस साल "प्रवासियों का भविष्य बदलना" विषय पर चिंतन करने के लिए संत पापा फ्राँसिस एफएओ कार्यालय में उपस्थित होंगे।








All the contents on this site are copyrighted ©.