2017-06-13 16:37:00

ग़रीबों के लिए समर्पित प्रथम विश्व दिवस पर संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 13 जून 2017 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने ग़रीबों को समर्पित प्रथम विश्व दिवस के उपलक्ष्य में प्रस्तुत अपने संदेश में कहा कि हम न केवल अपने वचनों से किन्तु कार्यों से प्रेम प्रकट करें।

19 नवम्बर को ग़रीबों के लिए विश्व दिवस घोषित किया गया है। इस दिन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए संत पापा ने विश्वासियों को प्रेरित किया कि वे ग़रीबों की मदद हेतु आगे आयें।

उन्होंने 13 जून को प्रकाशित संदेश में संत योहन के शब्दों को दुहराते हुए लिखा, ″हम वचन से नहीं कर्म से, मुख से नहीं हृदय से एक-दूसरे को प्यार करें।″(2 Jn 3:18).

उन्होंने लिखा कि प्रेरित संत योहन के इन शब्दों की अवहेलना कोई भी ख्रीस्तीय नहीं कर सकता। येसु के प्रिय शिष्य ने जिस गंभीरता से येसु के आदेश को कलीसिया के लिए प्रदान किया है इसमें हमारे खाली शब्द और ठोस कार्य के बीच विरोधाभास है। प्यार का कोई बहाना नहीं है। हम उसी तरह प्रेम करने के लिए बुलाये गये हैं जिस तरह येसु ने किया। हमें प्रभु से उदाहरण लेना चाहिए खासकर, जब यह ग़रीबों के संबंधित हो। ईश्वर के प्रेम करने के तरीके को हम अच्छी तरह जानते हैं, उन्होंने हमें प्रेम किया और हमारे लिए अपने को पूरी तरह समर्पित कर दिया यहाँ तक कि अपना सारा जीवन ही न्योछावर कर दिया। (1 यो. 3:16) यह प्रेम अनुत्तरित नहीं रह सकता। ईश्वर के इस प्रेम के एहसास से, हम भी अपनी ओर से प्रेम करने हेतु प्रेरित होते हैं। यह तभी संभव है जब हम ईश्वर की कृपा एवं उनकी दया को अपने हृदय में स्वीकारते हैं तथा उससे अनुप्राणित होकर भाई बहनों की आवश्यकता में आगे बढ़ते हैं। 

″दीन हीन ने पुकारा और प्रभु ने उनकी सुनी।″ संत पापा ने कहा कि कलीसिया उनकी पुकार को हमेशा महत्व देती है। इसका उदाहरण हम प्रेरित चरित में पाते हैं जब ग़रीबों की देखभाल हेतु पवित्र आत्मा से परिपूर्ण सात व्यक्तियों की नियुक्ति की गयी। यह ग़रीबों की सेवा में दुनिया के मंच पर कलीसिया का पहला चिन्ह है। अपनी सम्पति बेचकर आवश्यकता के अनुसार उसे वे सभी के बीच बाटते थे।

संत पापा ने कहा कि इन अच्छे उदाहरणों के बीच कुछ समय ऐसे भी आये जब ख्रीस्तीयों ने ग़रीबों की आवाज पर ध्यान नहीं दिया और दुनियावी सोच अपनाया। फिर भी पवित्र आत्मा उन्हें इस भले कार्य के लिए प्रेरित करते रहे। उन्होंने कई ऐसे लोगों को प्रेरित किया जिन्होंने ग़रीबों की सेवा में अपना जीवन अर्पित कर दिया। इसके सबसे महान उदाहरण हैं आसीसी के संत फ्राँसिस। वे कोढ़ियों का आलिंगन करने एवं उन्हें दान देने मात्र से संतुष्ट नहीं हुए बल्कि उनके साथ रहने का निश्चय किया। उनका यह साक्ष्य उदारता की महान शक्ति एवं ख्रीस्तीय जीवन शैली को दर्शाता है। संत पापा ने कहा कि इस तरह की जीवन शैली हमें आनन्द और शांति प्रदान करती है क्योंकि इसके द्वारा हम अपने ही हाथों से ख्रीस्त के शरीर का स्पर्श करते हैं। यदि हम सचमुच ख्रीस्त से मुलाकात करना चाहते हैं तो हमें ग़रीबों के पीड़ित शरीर का स्पर्श करना होगा। 

संत पापा ने विश्वासियों से कहा कि हम ग़रीबों के नजदीक आने उनसे मुलाकात करने और उनका आलिंगन करने के लिए बुलाये गये हैं ताकि वे अपने एकाकी पन से बाहर निकलते हुए प्रेम का एहसास कर सकें।

संत पापा ने गरीबी का महत्व बतलाते हुए स्मरण दिलाया कि हम येसु की गरीबी का अनुसरण करने के लिए निमंत्रित किये गये हैं। अर्थात् उनके पीछे चलने, एक ऐसी यात्रा पर जो हमें स्वर्ग राज की ओर ले चलती है। गरीब होने का अर्थ है विनम्र हृदय धारण करना, सृष्ट जीव होने की सीमाओं को स्वीकारना, इस प्रकार यह हमें शक्तिशाली एवं अमर बनने के प्रलोभन से बचायेगा। गरीबी एक ऐसा मनोभाव है जो हमें धन एवं ऐशों आराम को, जीवन का लक्ष्य एवं आनन्द बनाने से बचाता है।

संत पापा ने अपने संदेश में सभी धर्माध्यक्षों, पुरोहितों, उपयाजकों तथा धर्मसमाजियों एवं हर प्रकार के संगठनों को सम्बोधित कर कहा कि उनकी बुलाहट गरीबों की मदद हेतु हुई है ताकि ग़रीबों को समर्पित विश्व दिवस पर सुसमाचार प्रचार हेतु ठोस योगदान दिया जा सके।    

उन्होंने कहा कि गरीब लोग समस्या नहीं हैं किन्तु वे स्रोत है जहाँ से हम सुसमाचार के सार को स्वीकार करने एवं जीने हेतु प्रेरित होते हैं।








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