2017-06-09 11:46:00

शांति के लिये महिलाओं की भूमिका अहं, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 9 जून 2017 (सेदोक): सन्त पापा फ्रांसिस ने कहा है कि विश्व में शांति एवं भाईचारे की स्थापना हेतु महिलाओं की भूमिका अहं है।

कार्डिनल जॉन लूई तौराँ के नेतृत्व में सन्त पापा से मुलाकात हेतु शुक्रवार को वाटिकन पहुँचे परमधर्मपीठीय अन्तरधार्मिक सम्वाद परिषद की पूर्णकालिक सभा में भाग लेनेवाले प्रतिभागियों को सन्त पापा ने सम्बोधित किया। 

पूर्णकालिक सभा में "विश्वव्यापी भाईचारे की शिक्षा में महिलाओं की भूमिका" विषय पर विशद विचार-विमर्श किया गया तथा विचारों का आदान प्रदान किया गया। इस सन्दर्भ में सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि शांति एवं भ्रातृत्व की ओर अग्रसर मानवजाति की यात्रा में महिलाओं की भूमिका का प्राथमिक महत्व है।"

उन्होंने कहा, "दुर्भाग्यवश, आज महिलाओं की भूमिका, प्रायः, गौण कर दी जाती है तथा उसे मान्यता नहीं दी जाती। वस्तुतः, महिलाएं और यहाँ तक कि बच्चे भी हिंसा एवं शोषण के शिकार बनते हैं तथा जहाँ हिंसा और घृणा को प्रश्रय मिलता है वहाँ परिवार एवं समाज की क्षति होती है।" 

वैश्वीकरण एवं बहुलवाद के विश्व में महिलाओं की भूमिका के मूल्यांकन का सन्त पापा ने आह्वान किया कि और कहा, "सार्वभौमिक भ्रातृत्व को विश्वव्यापी स्तर पर प्रोत्साहन देने हेतु महिलाओं की क्षमता एवं योग्यता को पहचानने की नितान्त आवश्यकता है।"

उन्होंने कहा, "सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक एवं राजनैतिक जीवन में, राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भी, महिलाओं की भूमिका को मान्यता देना तथा उनकी प्रतिष्ठा को प्रोत्सहन प्रदान करना आवश्यक है क्योंकि भाईचारे के क्षेत्र में महिलाओं से श्रेष्ठकर कोई और नहीं है।" इसी प्रकार, उन्होंने कहा, "महिलाएँ सम्वाद को भी आगे बढ़ा सकती है तथा विभिन्न धर्मों एवं समुदायों के बीच मैत्री एवं शांति की स्थापना में सफल हो सकती हैं।








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