2017-06-09 18:39:00

जीवन के अंधकार भरे क्षणों में प्रार्थना, धैर्य और ईश्वर पर आशा रखें


वाटिकन रेडियो, शुक्रवार, 9 जून 2017 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार को संत मार्था के प्रार्थनालय में अपने प्रातःकालीन मिस्सा के दौरान जीवन के अंधकार भरे क्षणों में प्रार्थना की ओर अभिमुख होते हुए धैर्य और ईश्वर पर आशा में बने रहने का संदेश दिया।

टोबीत के ग्रंथ से लिए गये पहले पाठ पर उन्होंने अपना चिंतन प्रस्तुत करते हुए उन्होंने टोबीयाह के पिता तोबीत जो कि अंधा हो गया था और सारा के जीवन गंथा की चर्चा की और कहा कि ईश्वर कैसे हमें अपने जीवन में आगे ले चलते हैं। उन्होंने कहा कि वास्तव में टोबीत और सारा अपने जीवन के “अच्छे” और “बुरे” दिनों से हो कर गुजरते हैं जैसा कि हमारे जीवन में होता है। टोबीत अपनी पत्नी के द्वार “सताया, चिढ़ाया और अपमानित” किया जाता है लेकिन वह अपने में बुरी महिला नहीं थी, उसे टोबीत के अंधेपन के कारण घर चलाने की चुनौती थी। पुत्र-वधू सारा को भी बहुत अपमानित होना पड़ता है और वह दुःख सहती है और अपने दुःख के कारण मर जाना उचित समझती है। 

संत पापा ने कहा, “हम सभी अपने जीवन में बुरे दौर से होकर गुजरते हैं। हमें मालूम है कि हम अपने जीवन के अंधकार और दुःख भरे क्षणों में किस प्रकार की अनुभूतियों से होकर गुजरते हैं। लेकिन तब सारा सोचती है कि यदि मैं खुदकुशी कर लूँ तो इसके द्वारा मैं अपने माता-पिता को दुःख दूंगी। अतः वह अपने इस विचार का परित्याग कर प्रार्थना की ओर अभिमुख होती है। टोबीत भी अपने जीवन में कहता है, “यह मेरा जीवन है मुझे अपने जीवन की विपत्तियों में भी आगे बढ़ना है और वह भी प्रार्थना करना शुरू करता है।” संत पापा ने कहा,“प्रार्थना हमें जीवन के बुरे दौर से बाहर निकालता है। हमें धैर्य की जरूरत है जैसे की टोबीत और सारा दोनों अपने जीवन के दुःख भरे क्षणों में अनुभव करते हैं। वे आशा में बने रहते हैं कि ईश्वर उनकी प्रार्थना को एक दिन सुनेंगे और उनकी सहायता करेंगे।” संत पापा ने विश्वासियों से कहा कि हमें अपने जीवन के उदासी, छोटे और अंधकार भरे क्षणों में प्रार्थना, धैर्य और आशा को धारण करने की जरूरत है। “हम इसे कभी न भूलें।”

उन्होंने कहा कि इस परीक्षा के बाद ईश्वर उनके पास आते और उन्हें बचाते हैं। “हमारे जीवन में कुछ सुन्दर और सच्चाई के क्षण होते हैं जो बनावटी रुप-सज्जा से भिन्न होते हैं। हमारे जीवन की आतिशबाजी हमारी आत्मा की सुन्दरता नहीं है। वे दोनों अपने जीवन के सुन्दर क्षणों में क्या करते हैंॽ वे अपने हृदय को बृहद बनाते हुए ईश्वर को धन्यवाद की प्रार्थना अर्पित करते हैं।”  

संत पापा ने विश्वासी समुदाय से कहा कि क्या हम अपने जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में आत्मा की परख करते हैं जो हमारे हृदय को प्रभावित करता है। क्या हम अपने जीवन के दुखदायी क्षणों को “क्रूस” समझकर वहन करते हैंॽ हमें अपने जीवन के “व्यर्थ” की चीजों से ऊपर उठते हुए धैर्य और आशा में बने रहने की जरूरत है क्योंकि ईश्वर सदैव हमारे साथ रहते हैं। वे हमें जीवन में जो खुशी प्रदान करते उसके लिए हमें उन्हें धन्यवाद अदा करने की जरूरत है। आत्म-निरिक्षण के द्वारा सारा इस बात का अनुभव करती है कि जीवन का अंत करना उचित नहीं है। टोबीत ने इस बात का अनुभव किया कि उसे आशा में बने रहते हुए ईश्वरीय मुक्ति की प्रतीक्षा करने  की जरूरत है। 








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