2017-06-08 16:53:00

अंतरधार्मिक शिक्षा में महिलाओं की दृश्यता महत्वपूर्ण


न्यूयॉर्क, बृहस्पतिवार, 8 जून 17 (वीआर सेदोक): अंतरधार्मिक वार्ता की मेज पर महिलाएं क्या रख सकती हैं? अंतरधार्मिक सौहार्द के लिए महिलाएँ क्या दे सकती हैं? उनके विशिष्ट गुणों एवं क्षमताओं के प्रयोग हेतु कलीसिया उनकी भूमिका को किस तरह दृढ़ता प्रदान कर सकती है?

ये सवाल हैं जिनके प्रकाश में अंतरधार्मिक वार्ता हेतु बनी परमधर्मपीठीय समिति की आमसभा में विचार-विमर्श किया जा रहा है जो 7 से 9 जून तक वाटिकन में आयोजित है।

बुधवार को पहले सत्र में अंतरधार्मिक वार्ता हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल जाँ लुईस तौरान ने इस बात की ओर ध्यान आकृष्ट किया कि कुछ देशों में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने एवं उनके विरूद्ध शर्मनाक हिंसा को दूर करने के लिए कितना कुछ करना बाकी है। उन्होंने कलीसिया के दृष्टिकोण को रखते हुए जोर दिया कि सभी एक समान हैं क्योंकि हम सब ख्रीस्त के एक ही शरीर के अंग हैं। उन्होंने प्रश्न किया कि इस दृष्टिकोण को अपनाने के लिए और क्या किया जाना चाहिए ताकि बेहतर अंतरधार्मिक शिक्षा को बढ़ावा दिया जा सके?

अंतरधार्मिक वार्ता के कार्यक्रम समन्वयक एवं विश्व कलीसियाओं की समिति के संयोजक डॉ. क्लेर अमोस जो प्रमुख वक्ता भी थे वाटिकन रेडियो से कहा कि सभा की शुरूआत ‘सार्वभौमिक भाईचारा की शिक्षा में महिलाओं की भूमिका' की विषयवस्तु से हुई।

उन्होंने अंतरधार्मिक वार्ता की सभा में महिलाओं की दृश्यता पर गौर करते हुए कहा, ″यदि उन सभाओं में कोई महिला प्रतिनिधि नहीं है तब आप वास्तव में स्पष्ट वक्तव्य नहीं रख सकते हैं।″ 

आमोस ने कहा कि सभा में उन्होंने धर्म और हिंसा के क्षेत्र में उनके व्यापक कार्यों से संबंधित मुद्दों को उठाया है जो तब होता है जब धर्मसमाजी व्यक्ति अथवा संस्था यह सोचता है कि उन्हें कुछ जानना बाकी नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि हम पूर्ण नहीं हैं तथा पूर्ण सत्य को नहीं जानते हैं इस बात को स्वीकार करने के द्वारा भी हम अंतरधार्मिक वार्ता की मेज पर सहयोग दे सकते हैं। 








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