2017-06-03 15:59:00

दुःख और परिवर्तन पर बच्चों के सवाल का संत पापा ने दिया जवाब


वाटिकन सिटी, शनिवार, 3 जून 2017 (वीआर सेदोक): ईश्वर बच्चों को क्यों दुःख सहने देता है? बच्चे किस तरह विश्व में परिवर्तन ला सकते हैं तथा बड़े होने के भय से वे किस तरह बाहर आ सकते हैं? 

 ये तीन अहम सवाल, बच्चों द्वारा संत पापा फ्राँसिस से उस समय पूछे गये जब उन्होंने ″ई क्वालियेरी″ या शूरवीर कहे जाने वाले मध्य विद्यालय संगठन के सदस्यों से मुलाकात की।

शुक्रवार को इटली के इस युवा शूरवीर दल ने जब संत पापा से मुलाकात की तो उनके साथ स्पेन, पुर्तगाल, फ्राँस, स्वीटजरलैंड एवं अमरीका के बच्चे भी ऑन लाईन जुड़े थे।

मुलाकात के दौरान मार्था नाम की एक बालिका ने संत पापा से प्रश्न किया कि वह हाई स्कूल जाने एवं अपने वर्तमान के सभी दोस्तों को अलविदा कहने के भय से किस तरह बाहर निकल सकती है? संत पापा ने कहा कि जीवन लगातार छोटी एवं बड़ी मुलाक़ातों एवं बिछुड़नों की एक लम्बी यात्रा है। नये मित्रों से मिलते हुए हम आगे बढ़ते हैं तथा पुराने मित्रों को पीछे छोड़ जाते हैं। उन्होंने कहा कि इससे वे नहीं डरें किन्तु एक चुनौती के रूप में लें। दीवार के पीछे क्या है उसकी चिंता न करें बल्कि उस क्षितिज की कल्पना करें जिसको सुदूर क्षेत्र में देखा जा सकता है तथा अपने उस नये क्षितिज की ओर सदा आगे बढ़ने का प्रयास करें।

दूसरे प्रश्न में जुलियो ने संत पापा से पूछा कि बेहतरीकरण हेतु युवा विश्व में किस तरह परिवर्तन ला सकते हैं? 

इस सवाल के उत्तर में संत पापा ने बच्चों से पूछा कि यदि उनके पास दो मिठाई हो और उनका कोई मित्र आ जाए तो वे क्या करेंगे? क्या वे उसे बांटना चाहेंगे अथवा पॉकेट में डाल देंगे ताकि उसके चले जाने पर अकेले खा सकें। उन्होंने कहा कि खुला और उदार हृदय ही विश्व में परिवर्तन ला सकता है।

संत पापा ने बच्चों को परामर्श दिया कि यदि स्कूल में उनके कोई मित्र ऐसे हो जिसे वे पसंद नहीं करते हों तो उसके बारे में दूसरों के साथ बहस न करें क्योंकि ऐसा करना बंद हृदय को दर्शाता है। यदि कोई आपका अपमान करे तो बदले में उसका अपमान नहीं किया जाना चाहिए बल्कि उदारता एवं एकात्मता के छोटे कार्यों द्वारा प्रतिदिन परिवर्तन लाने का प्रयास करना चाहिए। संत पापा ने कहा कि येसु हमें अपने मित्रों एवं शत्रुओं जो हमें दुःख देते हैं उनके लिए प्रार्थना करने की सलाह देते हैं जैसा कि हमारे स्वर्गीय पिता भले एवं बुरे दोनों पर सूर्य चमकाते हैं।

अंत में तानियो नाम के एक बुलगेरिन बालक ने संत पापा को बतलाया कि वह एक अनाथालय में छोड़ दिया गया था तथा पाँच साल की उम्र में एक इटालिन परिवार के द्वारा गोद लिया गया। एक साल के बाद ही उसकी नई माँ की मृत्यु हो गयी। बाद में उसके दादा दादी भी मर गये। बालक ने संत पापा से प्रश्न किया कि हम किस तरह विश्वास कर सकते हैं कि ईश्वर हमें प्यार करते हैं जबकि हमें इस तरह अपनों को खोना पड़ता है।

संत पापा ने कहा कि यही सवाल वे भी पूछते हैं जब वे अस्पतालों में बीमार बच्चों से मुलाकात करते हैं। हम किस तरह विश्वास कर सकते हैं कि ईश्वर हमें प्रेम करते हैं जब हम बच्चों को विश्व के विभिन्न हिस्सों में भूखे देखते हैं जबकि दूसरे जगहों में बहुत अधिक खाद्य पदार्थ नष्ट किये जाते हैं? संत पापा ने कहा कि इन सवालों का कोई जवाब नहीं है। एक मात्र जवाब हम उन्हीं लोगों के प्रेम में पा सकते हैं जो बच्चों की सेवा एवं देखभाल करते हैं।

उन्होंने बच्चों से कहा कि ईश्वर उनके किसी सवाल का उत्तर नहीं देते किन्तु जब वे क्रूस पर नजर डालते हैं तथा याद करते हैं कि ईश्वर ने अपने एकलौटे पुत्र को दुःख सहने दिया, तब उन्हें लगता है कि इसका कुछ अर्थ जरूर है। उन्होंने कहा कि वे इसकी व्याख्या उन्हें नहीं दे सकते हैं किन्तु उन्हें इसका उत्तर खुद मिल जायेगा। संत पापा ने कहा कि जीवन में कुछ ऐसे सवाल एवं परिस्थितियाँ हैं जिनका कोई जवाब नहीं है फिर भी ईश्वर का प्रेम उसमें भी है तथा अगल-बगल के लोग उनके जीवन में उनकी उपस्थिति का एहसास दिलाते हैं।








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