2017-06-02 11:59:00

पेरिस जलवायु समझौते से ट्रम्प के पीछे हटने पर काथलिक नेता निराश


वाशिंग्टन, शुक्रवार, 2 जून 2017 (सीएनआ): अमरीका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प द्वारा, गुरुवार को, पेरिस जलवायु समझौते से पीछे हटने की घोषणा पर सम्पूर्ण विश्व के काथलिक नेताओं को निराशा हुई है।   

2015 में सम्पन्न पेरिस जलवायु समझौते का मुख्य लक्ष्य वैश्विक तापमान में हो रही बढ़ोतरी को दो डिग्री से नीचे रखना है किन्तु ट्रम्प की घोषणा के बाद समझौते के लक्ष्यों को पाना शेष विश्व के लिये और अधिक मुश्किल हो गया है।

  विशेषज्ञों के अनुसार वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में अमरीका का 15 फ़ीसदी योगदान है। इसके साथ ही अमरीका विकासशील देशों में बढ़ते तापमान को रोकने के लिए वित्तीय और तकनीकी मदद मुहैया करना वाला सबसे अहम स्रोत है।

इस सिलसिले में, वाटिकन में न्याय एवं शांति सम्बन्धी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष, कार्डिनल पीटर तुर्कसन ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा था, "इस समय समझौते से पीछे हटने का निर्णय ऐसा फ़ैसला है जिसकी हम आशा करते हैं कि वह कभी न आये।"

"सृष्टि की देखभाल, आर्थिक न्याय, शरणार्थी संकट, और शांति पर वाटिकन का परिप्रेक्ष्य" शीर्षक से  वाशिंग्टन में आयोजित सम्मेलन से पूर्व संवाददाताओं से उन्होंने कहा था, "यह एक विश्वव्यापी सार्वजनिक सम्पदा है जिसकी देखभाल करने की नितान्त आवश्यकता है।" 

इसके अलावा गुरुवार दोपहर राष्ट्रपति ट्रम्प की घोषणा से पूर्व अमरीका के काथलिक धर्माध्यक्षों ने भी पेरिस जलवायु समझौते के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का सम्मान करने के लिए सरकार पर दबाव डाला था।

इसी बीच गूगल, ऐपल और सैकड़ों बड़े जीवाश्म ईंधन उत्पादक कंपनियों ने राष्ट्रपति ट्रंप से आग्रह किया था कि वह पेरिस जलवायु समझौते के साथ बने रहें किन्तु ट्रम्प की घोषणा के बाद इन कम्पनियों ने भी निराशा व्यक्त की है। 

ग़ौरतलब है कि सन् 2015 में पेरिस समझौते पर विश्व के 190 राष्ट्रों ने हस्ताक्षर किये थे।








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