2017-06-01 15:45:00

संत पौलुस के जीवन के तीन मुख्य पहलु प्रेरिताई में सहायक


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 1 जून 2017 (वीआर सेदोक): सुसमाचार प्रचार, अत्याचार एवं प्रार्थना ये ही तीन शब्द थे बृहस्पतिवार को वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में, ख्रीस्तयाग के दौरान संत पापा फ्राँसिस के प्रवचन के मुख्य बिन्दु।

संत पापा ने इन तीनों शब्दों का प्रयोग प्रेरित संत पौलुस के जीवन पर प्रकाश डालने हेतु किया जो आज भी सुसमाचार के प्रचार हेतु विश्वासियों को प्रेरणा प्रदान करते हैं।  

संत पापा ने कहा, ″संत पौलुस का जीवन एक ऐसा जीवन था जो हमेशा सक्रिय था उनके लिए समुद्र के किनारे सूर्य का ताप लेने अथवा विश्राम के बारे सोचना मुश्किल था। वे एक ऐसे व्यक्ति थे जो हमेशा चलते रहते थे।″

प्रवचन में संत पापा ने प्रेरित चरित से लिए गये उस पाठ पर चिंतन किया जो संत पौलुस के जीवन के तीन आयामों को प्रकट करता है।  

संत पापा ने कहा कि संत पौलुस के जीवन का पहला आयाम था, सुसमाचार प्रचार करना, घोषणा करना। वे एक स्थान से दूसरे स्थान जाकर ख्रीस्त का प्रचार करते थे और जब वे प्रचार नहीं कर रहे होते थे तो काम करते थे। किन्तु उनके लिए अधिक महत्वपूर्ण था सुसमाचार का प्रचार करना। ख्रीस्त का प्रचार करना उनका एक जुनून था। वे मेज पर बैठे नहीं रहते थे किन्तु सदैव सक्रिय रहते थे। हमेशा ख्रीस्त की घोषणा में लगे रहते थे। उनके अंदर एक आग थी, उत्साह की आग... प्रेरितिक उत्साह जो उन्हें आगे बढ़ाता था। वे पीछे कभी नहीं लौटे किन्तु आगे ही बढ़ते गये।

संत पौलुस के जीवन का दूसरा आयाम था कठिनाई। उन्हें अत्याचारों का सामना करना पड़ा। वे कई बार फरीसियों एवं सदुकियों के सवालों के घेरे में पड़े और अदालत एवं जेल भी गये। 

संत पापा ने संत पौलुस के जीवन के तीसरे आयाम के बारे बतलाया कि वह प्रार्थना था। वे येसु ख्रीस्त के साथ संयुक्त थे। संत पौलुस की शक्ति प्रभु के साथ उनकी मुलाकात में थी जिसे वे प्रार्थना द्वारा प्राप्त करते थे। संत पौलुस ही वे व्यक्ति हैं जिन्होंने प्रभु से एक बार मुलाकात करने  बाद उन्हें कभी नहीं भूल पाये।

संत पापा ने कहा कि संत पौलुस के ये तीन मनोभाव हमें प्रेरितिक उत्साह, अत्याचार में धीर बने रहने एवं प्रार्थना करने की प्रेरणा देता है।

संत पापा ने ईश्वर से प्रार्थना की कि प्रभु हमें कृपा प्रदान करे ताकि हम ख्रीस्तीय जीवन के मनोभावों को सीख सकें, येसु ख्रीस्त का प्रचार करें, अत्याचारों में धीर बने रहें तथा प्रार्थना द्वारा येसु से मुलाकात कर शक्ति प्राप्त करें। 








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