2017-05-30 16:19:00

कलीसिया के धर्माध्यक्षों की विशेषताएँ


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 30 मई 2017 (वीआर सेदोक): संत पापा ने कहा कि सच्चा चरवाहा अपनी छोटी कलीसिया से विच्छेद करना जानता है क्योंकि वह भलीभाँति समझता है कि वह खुद इतिहास का केंद्र नहीं है किन्तु एक स्वतंत्र व्यक्ति है जो बिना किसी समझौता के कलीसिया की सेवा करता है।

संत पापा ने मंगलवार को वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में एक अच्छे चरवाहे की विशेषता पर ध्यान आकृष्ट किया।

उन्होंने प्रेरित चरित से लिए गये उस पाठ पर चिंतन किया जहाँ संत पौलुस अपने द्वारा स्थापित एफेसुस की कलीसिया से विदा लेते हैं। संत पापा ने कहा कि एक चरवाहे को अपनी कलीसिया से विदा लेकर दूसरी ओर जाने हेतु तैयार रहना चाहिए।

उन्होंने कहा, ″एक समय आता है जब प्रभु हमें एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर भेजते हैं। जिसके लिए हमें पूरी तरह तैयार होना चाहिए। एक चरवाहा जो पूरी तरह चला जाना नहीं जानता इसका अर्थ है कि विश्वासियों के साथ उसका अच्छा संबंध बन गया है। संत पापा ने इस संबंध को येसु के क्रूस के लिए पूरी तरह शुद्ध नहीं होना बतलाया।″  

संत पापा ने कहा कि विदाई के दिन संत पौलुस ने एफेसुस के सभी पुरोहितों को बुलाया तथा वहाँ एक छोटी सभा में उन्हें कई परामर्श दिये।

संत पापा ने संत पौलुस के तीन मनोभावों पर प्रकाश डाला। पहला, मोह रहित मनोभाव। इस मनोभाव के द्वारा वे पीछे खींचे जाने का अनुभव कभी नहीं किया। उन्होंने कहा कि यह भावना एक याजक को शांति प्रदान करेगा जब वह याद करेगा कि उसने कभी भी समझौता करते हुए कलीसिया का संचालन नहीं किया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए साहस की आवश्यकता है।

दूसरा मनोभाव है पवित्र आत्मा के प्रति खुलापन का मनोभाव। संत पौलुस कहते हैं कि वे पवित्र आत्मा की प्रेरणा से विवश होकर येरूसालेम जा रहे हैं जहाँ उन्हें मालूम नहीं है कि क्या होने वाला है। संत पापा ने कहा कि पौलुस पवित्र आत्मा की आज्ञा का पालन करते हैं। उन्होंने कहा कि चरवाहे को मालूम होना चाहिए कि वह यात्रा पर है।

संत पापा ने कहा कि वे बिना किसी समझौते के कलीसिया का संचालन कर रहे थे किन्तु अब पवित्र आत्मा उन्हें वहाँ ले जा रहा था जिसके बारे उसे कुछ भी पता नहीं था। वे उनका अनुसरण करते हैं क्योंकि वे अपने आप से कुछ नहीं करते। उन्होंने सेवा दी थी और अब ईश्वर उन्हें उस स्थान को छोड़ने के लिए कह रहे थे। पवित्र आत्मा ने प्रकट किया था कि येरूसालेम में बेड़ियाँ एवं कष्ट उनका इंतजार कर रहे थे। इस बात को जानते हुए भी वे किसी और कलीसिया में जाकर सेवा करने की इच्छा प्रकट नहीं किये। वे ईश्वर की वाणी के लिए सदा खुले थे अतः वे प्रभु के आदेश अनुसार आगे बढ़े।

संत पापा ने तीसरे मनोभाव के बारे कहा कि संत पौलुस में सेवक का मनोभाव था। संत पौलुस अपने आपके महान होने का दावा कभी नहीं किया, वे खुद को इतिहास का केंद्र नहीं मानते थे बल्कि एक सेवक कहा। इस प्रकार हर तरह के समझौते से मुक्त वे आगे बढ़ें। 

संत पापा ने विश्वासियों से आग्रह किया कि वे कलीसिया के परमाध्यक्ष, धर्माध्यक्षों एवं पल्ली पुरोहितों के लिए प्रार्थना करें ताकि वे समझौता रहित जीवन जीते हुए अपनी यात्रा पर आगे बढ़ते रहें, वे खुद इतिहास के केंद्र में न जीयें किन्तु त्यागना सीखें।  








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