2017-05-29 15:50:00

येसु के स्वर्गारोहण पर चिंतन


वाटिकन सिटी, सोमवार, 29 मई 2017 (आर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 28 मई को वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, प्रभु के स्वर्गारोहण के अवसर पर भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया। स्वर्ग की रानी प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, ″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।″

आज इटली तथा अन्य देशों में पास्का के चालीस दिनों बाद येसु के स्वर्गारोहण का पर्व मनाया जा रहा है। संत मती सुसमाचार पाठ के अंतिम पृष्ट पर (मती. 28: 16-20) पुनर्जीवित येसु का अपने शिष्यों से बिदा लेने की घटना का वर्णन करते हैं। यह दृश्य गलीलिया का है जहाँ पर से येसु ने उन्हें अपना अनुसरण करने तथा एक नये समुदाय का निर्माण करने हेतु बुलाया था। अब इन शिष्यों ने दुखभोग एवं पुनरुत्थान को पार किया तथा पुनर्जीवित प्रभु को देखकर उन्होंने दण्डवत किया किन्तु किसी-किसी को उनपर संदेह भी हुआ। संत पापा ने कहा कि इसी भयभीत समुदाय को येसु ने संसार में सुसमाचार सुनाने का महान कार्य सौंपा। उन्होंने इस कार्य को शिक्षा देकर एवं पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम पर बपतिस्मा देकर पूरा करने का आदेश दिया। (पद. 19)

इस प्रकार येसु के स्वर्गारोहण द्वारा उनका मिशन पूरा हुआ जिसको उन्होंने पिता से प्राप्त किया था तथा कलीसिया द्वारा मिशन को आगे बढ़ाने की शुरूआत हुई। संत पापा ने कहा कि स्वर्गारोहण के इसी समय से, संसार में येसु की उपस्थिति को शिष्यों ने तथा उन सभी ने अनुभव किया है जो उनपर विश्वास करते एवं उनकी घोषणा करते हैं। यह मिशन दुनिया के अंत तक जारी रहेगा तथा जी उठे प्रभु की सहायता का अनुभव करता रहेगा, जो आश्वासन देते हैं, ″मैं संसार के अंत तक सदा तुम्हारे साथ हूँ।″(पद. 20)

संत पापा ने येसु के कथन की सार्थकता बतलाते हुए कहा, ″उनकी यह उपस्थिति सुसमाचार प्रचार एवं प्रेरिताई के दौरान मिलने वाले अत्याचार में बल, समस्याओं में सांत्वना तथा कठिन परिस्थितियों में समर्थन प्रदान करता है, स्वर्गारोहण हमें येसु की सहायता का स्मरण दिलाता है तथा साहस प्रदान करने वाली आत्मा तथा संसार में ख्रीस्तीय साक्ष्य को सुरक्षा प्रदान करता है। यह हमें कलीसिया के अस्तित्व के उद्देश्य को प्रकट करता है। यह बतलाता है कि कलीसिया का अस्तित्व सुसमाचार का प्रचार करने के लिए है। साथ ही यह भी व्यक्त करता है कि कलीसिया का आनन्द सुसमाचार का प्रचार करने में है। हम सभी ने कलीसिया में बप्तिस्मा प्राप्त किया है। आज हम इस बात को बेहतर समझने के लिए निमंत्रित किये जा रहे हैं कि ईश्वर ने हमें महान प्रतिष्ठा एवं उत्तरदायित्व सौंपा है कि हम दुनिया में उनका प्रचार करें तथा सभी मनुष्यों के लिए इसे पहुँचायें। यह हम प्रत्येक जिन्होंने कलीसिया में बपतिस्मा प्राप्त किया है बड़े सम्मान की बात है ।

संत पापा ने येसु के स्वर्गारोहण पर चिंतन करते हुए कहा, ″स्वर्गारोहण पर्व दिवस पर जब हम स्वर्ग की ओर निहार रहे हैं जहाँ ख्रीस्त आरोहित होकर पिता की दाहिनी ओर विराजमान हुए, हम पृथ्वी पर अपने कदमों को संबल कर सकें ताकि हम साहस और उत्साह के साथ हमारी यात्रा को जारी रख सकेंगे। साक्ष्य देने की हमारी प्रेरिताई तथा हर परिस्थिति में सुसमाचार को जी सकें। किन्तु हम ध्यान दें कि यह प्राथमिक रूप से हमारी शक्ति, संगठनात्मक कौशल तथा मानवीय संसाधनों पर निर्भर नहीं करता। पवित्र आत्मा के प्रकाश एवं सामर्थ्य द्वारा ही हम येसु के प्रेम एवं कोमलता को प्रदान करने के मिशन को प्रभावशाली ढंग से पूरा कर सकते हैं।

संत पापा ने इसके लिए माता मरियम की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना करने का परामर्श दिया। उन्होंने कहा, ″हम धन्य कुँवारी मरियम की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना करें कि हम स्वर्गीय वस्तुओं पर मनन-चिंतन कर सकें जिनकी प्रतिज्ञा प्रभु ने हमसे की है तथा हम उनके सच्चे जीवन पुनरूत्थान के अधिक से अधिक विश्वसनीय साक्षी बन सकें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

स्वर्ग की रानी प्रार्थना का उपरांत उन्होंने देश विदेश से एकत्रित सभी तीर्थयात्रियों एवं पयर्टकों का अभिवादन किया।

संत पापा ने मिस्र में ख्रीस्तीय लोगों की हत्या की याद कर कॉप्टिक परमाध्यक्ष एवं वहाँ के सभी ख्रीस्तीयों के प्रति अपनी सहानुभूति प्रकट की एवं उनके लिए प्रार्थना अर्पित की।

उन्होंने कहा, ″मैं अपने प्रिय भाई परमाध्यक्ष तावाद्रोस द्वितीय को अपना आध्यात्मिक सामीप्य प्रकट करता हूँ तथा मिस्र के सभी लोगों को एवं मिस्र में कॉप्टिक समुदाय के विश्वासियों के प्रति सहानुभूति प्रकट करता हूँ जिन्होंने दो दिनों पूर्व भयंकर हिंसा का सामना किया है। जिसके शिकार बच्चों समेत कई लोग हुए हैं। वे प्रार्थना करने हेतु तीर्थयात्रा पर थे। उनकी हत्या ख्रीस्तीय विश्वास को त्यागने से इनकार करने के कारण की गयी। प्रभु इन शहीदों को अनन्त शांति प्रदान करे जिन्होंने अत्यन्त साहस पूर्ण साक्ष्य दिया है। संत पापा ने प्रार्थना की कि ईश्वर उन उग्र आतंकवादियों के हृदयों को परिवर्तित कर दे।″

रविवार को विश्व सामाजिक संप्रेषण दिवस था जिसकी याद दिलाते हुए संत पापा ने कहा, ″आज विश्व सामाजिक संप्रेषण दिवस मनाया जा रहा है। जिसकी विषयवस्तु है, ″डरो मत क्योंकि मैं तुम्हारे साथ हूँ।″ (इसा. 43.5).  उन्होंने कहा कि सामाजिक संचार माध्यम हमें द्रुत गति से समाचारों के आदान-प्रदान करने हेतु अवसर प्रदान करता है। ये समाचार सुखद अथवा दुखद तथा सच्चे अथवा झूठे भी हो सकते हैं। संत पापा ने सभी रूपों में संचार के कार्यों के लिए प्रार्थना की कि यह सचमुच रचनात्मक हो, पूर्वाग्रहों को दूर करते हुए, यह हमारे समय में आशा और विश्वास को फैलाने के द्वारा जीवन की सच्ची सेवा कर सके।

संत पापा ने कई दलों का अभिवादन किया, जिनमें उन्होंने कोलोराडो के विश्वासियों, बावारियन लोक समूह तथा पोलैंड के विश्वासियों का नाम लिया। 

उन्होंने कम्बोनी मिशनरीस जो अपने धर्मसमाज की स्थापना की 150वीं वर्षगाँठ मना रहे हैं, असकोली पिकानो की बहनों, नापोली, स्कनदिची, थियेसी नोनानतोला एवं पलेरमों के स्कूल बच्चों का अभिवादन किया।

संत पापा ने अंगदान हेतु स्वयंसेवकों के कार्यों की सराहना करते हुए उनके कार्यों को प्रोत्साहन दिया। उन्होंने कहा, ″मेरा विशेष ध्यान अंगदान हेतु स्वयंसेवकों की ओर जाता है तथा मैं उन्हें प्रोत्साहन देता हूँ। यह एक महान एवं सराहनीय कार्य है।″   

संत पापा ने काम के अधिकार पर जोर देते हुए रोम के कर्मचारियों का स्वागत किया तथा उम्मीद जतायी कि न केवल योग्यता के आधार पर किन्तु सभी लोगों के अधिकार का सम्मान करते हुए, कंपनी की सद्भावना को साकार करने के उद्देश्य से, उनके कार्यों की स्थिति में सुधार हो पायेगी।

इसके बाद संत पापा ने जेनोवा के लोगों के प्रति उनके हार्दिक स्वागत के लिए कृतज्ञता व्यक्त की तथा प्रार्थना की कि प्रभु उन्हें प्रचुर आशीष प्रदान करे एवं ग्वारदिया की माता मरिया उनकी रक्षा करे।

अंत में उन्होंने सभी से प्रार्थना का आग्रह करते हुए शुभ रविवार की मंगलकामना की तथा भक्त समुदाय से विदा लिया।








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