2017-05-19 12:03:00

हन्टिंगटन पीड़ितों से सन्त पापा ने कहाः आप बहुमूल्य हैं


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 19 मई 2017(सेदोक): वाटिकन स्थित पौल षष्टम भवन में सन्त पापा फ्राँसिस ने गुरुवार को हन्टिंगटन रोग से ग्रस्त पीड़ितों से मुलाकात कर उन्हें अपना आशीर्वाद प्रदान किया।

हन्टिंगटन रोग, पार्किनसन बीमारी जैसी एक दुर्लभ और विकृतिपूर्ण न्यूरोलॉजिकल स्थिति है। यह एक जननिक विकार है जिससे, विश्वव्यापी स्तर पर, प्रति 1000 व्यक्तियों में 5 से 10 व्यक्ति ग्रस्त होते हैं। एशिया में प्रति दस लाख व्यक्तियों में एक व्यक्ति जबकि, वेनेज्यूएला के लेक माराकायबो क्षेत्र में प्रति एक लाख में 700 व्यक्ति इस बीमारी से ग्रस्त होते हैं। इस रोग से पीड़ित लोगों में गम्भीर शारीरिक विकारों के अलावा वृद्धावस्था के आते ही डिमेनशिया यानि भूल जाने की बीमारी शुरु हो जाती है।

गुरुवार को, हन्टिंगटन पीड़ितों, उनके परिजनों, उनकी देख-रेख करनेवालों, चिकित्सकों, शोधकर्त्ताओं एवं वकीलों को सम्बोधित कर सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "बहुत अधिक समय तक हन्टिंगटन रोग से ग्रस्त लोगों के जीवन को प्रभावित करनेवाला भय एवं कठिनाइयाँ बनी रही हैं जिसने इनके प्रति ग़ैरसमझदारी एवं बाधाओं को उत्पन्न किया है तथा इन्हें हाशिये पर रहने के लिये बाध्य किया है।" 

उन्होंने कहा, "दुर्भाग्यवश, इस रोग से पीड़ित लोगों एवं उनके परिजनों को कई बार लज्जा, अलगाव एवं परित्यक्ति का कटु अनुभव करना पड़ा है। आज, हालांकि, हम यहाँ उपस्थित हैं क्योंकि हम अपने आप से तथा सम्पूर्ण विश्व से कहना चाहते हैं, "छिपा हुआ अब कभी नहीं!"

पीड़ितों को सन्त पापा फ्राँसिस ने कलीसिया के समर्थन का आश्वासन देते हुए कहा, "आप में से कोई भी स्वतः को अकेला न महसूस करे; आप में कोई स्वतः को बोझ न समझे; कोई भी भागने के लिये स्वतः को मजबूर न समझे। आप ईश्वर की दृष्टि में बहुमूल्य हैं; आप कलीसिया की दृष्टि में अनमोल हैं।"   

अन्वेषकों एवं शोधकर्त्ताओं को प्रोत्साहन प्रदान करते हुए सन्त पापा ने उनसे आग्रह किया कि वे अपना काम अनवरत जारी रखें। इस क्षेत्र में उन्होंने ठोस एकात्मता का आह्वान करते हुए कहा कि हर शोध कार्य को सुसंगत ढंग से तथा मानव व्यक्ति की अलंघनीय प्रतिष्ठा को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिये। 








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