2017-05-15 14:45:00

सभी माताओं को येसु की माता मरियम के चरणों सिपुर्द करें, संत पापा


वाटिकन सिटी, सोमवार, 15 मई 2017 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 14 मई को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में 25 हज़ार भक्तों के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया। स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, ″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।″

″कल शाम मैं फातिमा की तीर्थयात्रा से लौटा, हम फातिमा की माता मरियम को प्रणाम करते हैं। आज की हमारी प्रार्थना का विशेष मतलब है। यह उन लोगों के लिए यादगारी एवं भविष्यवाणी से पूर्ण है जो इस इतिहास को विश्वास की नजरों से देखते हैं। फातिमा में मैं पवित्र लोकधर्मियों के साथ प्रार्थना में एक हो गया था। प्रार्थना जो समस्त विश्व के लिए माता मरियम की ममतामय सुरक्षा की याचना करने हुए सौ सालों से नदी के समान बह रही है। मैं प्रभु को धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने कुँवारी मरियम के चरणों में आशा एवं शांति के तीर्थयात्री के रूप में मुझे वहाँ आने का अवसर प्रदान किया। मैं धर्माध्यक्षों, फातिमा के धर्माध्यक्ष, राज्य के अधिकारियों, देश के राष्ट्रपति तथा उन सभी को धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने इस अवसर पर अपना बहुमूल्य सहयोग दिया।

संत पापा ने तीर्थयात्रा की याद कर कहा, ″आरम्भ से ही, जब दिव्य दर्शन को समर्पित प्रार्थनालय में मैं लम्बे समय तक मौन प्रार्थना में बिताया, सभी तीर्थयात्रियों ने मेरे साथ मौन प्रार्थना में भाग लिया, एक शांत एवं भव्य माहौल तैयार किया गया, जहाँ प्रार्थना के कई अवसर मिले तथा सब कुछ के केंद्र में पुनर्जीवित ख्रीस्त थे, जो पवित्र वचन एवं यूखरिस्त बलिदान के माध्यम से अपने लोगों के बीच उपस्थित थे। उन बीमार लोगों के बीच, जो अन्य सभी तीर्थालयों की तरह फातिमा की धर्मविधि एवं प्रेरितिक जीवन के मुख्य पात्र हैं।″  

फातिमा में माता मरियम ने निर्दोष हृदय एवं निष्कपट नन्हें फ्राँसिस, जसिन्ता तथा लुसिया को अपने संदेश वाहक के रूप में चुना। इन बच्चों ने माता मरियम के दिव्य दर्शन का साक्ष्य पूरी विश्वसनीयता के साथ दिया तथा ख्रीस्तीय जीवन का आदर्श प्रस्तुत किया। फ्राँसिस एवं जसिन्ता की संत घोषणा के साथ मैं समस्त कलीसिया के सामने, ख्रीस्त के प्रति निष्ठा के उनके आदर्श तथा सुसमाचारी साक्ष्य को प्रस्तुत करता हूँ एवं पूरी कलीसिया से यह प्रस्ताव करता हूँ कि वह बच्चों की देखभाल करे। उनकी पवित्रता दिव्य दर्शन का नहीं किन्तु निष्ठा एवं धार्मिकता का परिणाम था जिसके लिए उन्हें धन्य कुँवारी मरियम के दर्शन का सौभाग्य मिला था। उन्होंने जिन्हें ‘सुन्दर नारी’ पुकारा, उनसे मुलाकात के उपरांत, बहुधा रोजरी प्रार्थना की, पापियों के लिए प्रायश्चित्त किया एवं युद्ध की समाप्ति एवं उन आत्माओं के लिए अपनी तपस्या अर्पित की जिन्हें दिव्य करुणा की आवश्यकता थी। 

संत पापा ने कहा कि आज भी, हमें बहुत अधिक प्रार्थना एवं प्रायश्चित की आवश्यकता है, मन- परिवर्तन की कृपा एवं युद्दों के अंत के लिए प्रार्थना करने की जरूरत है जो विश्व के सभी ओर फैल चुका है और गहराता ही जा रहा है, साथ ही साथ, छोटे बड़े हर प्रकार के संघर्ष एवं हिंसा जो मानवता के चेहरे को विकृत करता है।

संत पापा ने विश्वासियों का आह्वान करते हुए कहा, ″आइये, हम फातिमा से आने वाले प्रकाश से संचालित हों। निष्कलंक माता मरियम सदा हमारा आश्रय, सांत्वना तथा मार्ग बने जो हमें ख्रीस्त की ओर ले चले।″

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

स्वर्ग की रानी प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने देश-विदेश से एकत्रित सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया।

उन्होंने मध्यपूर्व में युद्ध और संघर्ष से प्रभावित लोगों को शांति की रानी माता मरियम को अर्पित करते हुए कहा, ″शांति की रानी मरियम को मैं युद्ध एवं संघर्ष के शिकार लोगों के दुर्भाग्य को अर्पित करता हूँ, विशेषकर, मध्यपूर्व के लोगों को। कई निर्दोष लोगों को कठिन परिस्थिति का सामना करना पड़ रहा है, ख्रीस्तीय एवं मुस्लिम सहित विभिन्न अल्पसंख्यक समुदायों को जिन्हें हिंसा एवं भेदभाव की दुखद परिस्थिति झेलनी पड़ रही है। मैं अपनी प्रार्थनाओं के साथ उन की याद करता हूँ और उन लोगों को धन्यवाद देता हूँ जो मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु प्रतिबद्ध हैं। संत पापा ने विभिन्न समुदायों को प्रोत्साहन देते हुए कहा, ″विभिन्न समुदायों को प्रोत्साहन देता हूँ कि वे सामाजिक मित्रता एवं मेल-मिलाप के रास्ते पर, हर प्रकार के युद्धों से दूर, भावी सम्मान, सुरक्षा एवं शांति के निर्माण हेतु आगे बढ़ें।″  

संत पापा ने सूचना देते हुए कहा, ″कल, डबलिन में जेस्विट पुरोहित जॉन सुल्लिवान की धन्य घोषणा हुई। उन्होंने 18वीं एवं 19वीं सदी के बीच आयरलैंड में जीवन व्यतीत किया था। उन्होंने अपना जीवन युवाओं की शिक्षा एवं आध्यात्मिक प्रशिक्षण के लिए समर्पित किया था और जो ग़रीबों एवं पीड़ितों के पिता के रूप में बहुत अधिक सम्मानित थे। हम उनके साक्ष्य के लिए धन्यवाद देते हैं।″  

संत पापा ने रोम तथा विश्व के विभिन्न हिस्सों से आये विश्वासियों का अभिवादन करते हुए कहा, ″मैं आप सभी का अभिवादन करता हूँ, रोम तथा इटली एवं विभिन्न देशों के तीर्थयात्री, विशेषकर, इब्रेया, सलेरनो, वालमोंतोने तथा रिमीनी एवं पोतेंत्सा और मोत्सो के विश्वासीI मैं ″खाली पर्यटक″ पहल के प्रतिभागियों तथा बोर्दिगेरा के माताओं के दल का अभिवादन करता हूँ। हमारे समाज का भविष्य हम प्रत्येक से मांग करता है, खासकर, संस्थाओं से कि वे जीवन एवं मातृत्व पर ठोस रूप से ध्यान दें। यह अपील आज विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जब कई देशों में माताओं का दिवस मनाया जा रहा है। आइये, हम कृतज्ञता एवं स्नेहपूर्वक अपनी माताओं की याद करें, चाहे वे स्वर्ग में ही क्यों न हों। हम उन्हें येसु की माता मरियम के चरणों सिपुर्द करें। संत पापा ने माताओं के लिए प्रार्थना का आह्वान करते हुए कहा, आइये हम कुछ देर मौन रहकर, हमारी माताओं के लिए प्रार्थना करें।″  

अंत में उन्होंने सभी को शुभ रविवार की मंगल कामनाएँ अर्पित की तथा प्रार्थना का आग्रह करते हुए विश्वासी समुदाय से विदा लिया।








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