2017-05-13 15:33:00

संत पापा ने फातिमा में बीमार भाई बहनों को सांत्वना दी


फातिमा, शनिवार, 13 मई 2017 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 13 मई को फातिमा स्थित पवित्र रोजरी की माता मरियम महागिरजाघर में समारोही ख्रीस्तयाग अर्पित करने के उपरांत बीमार भाई बहनों का अभिवादन किया।

उन्हें सम्बोधित कर उन्होंने कहा, ″सभी बीमार भाइयो एवं बहनो, जैसा कि मैंने उपदेश में कहा, प्रभु सदा हमारे आगे चलते हैं। हम जिस किसी तरह के क्रूस का अनुभव करते हों उन्होंने पहले ही उनका अनुभव कर लिया है। अपने दुःखभोग में उन्होंने हमारे सभी दुःखों को अपने ऊपर ले लिया है। येसु दुःख और दर्द के अर्थ को जानते हैं। वे हमें समझते हैं, हमें सांत्वना प्रदान करते तथा हमें बल देते हैं जैसा कि उन्होंने संत फ्राँसिस मारतो एवं संत जसिन्ता तथा सभी संतों के साथ किया है। मैं संत पेत्रुस की याद करता हूँ जो येरूसालेम के बंदीगृह में चेन से जकड़ा हुआ था तथा पूरी कलीसिया उनके लिए प्रार्थना कर रही थी। प्रभु ने पेत्रुस को सांत्वना प्रदान किया। संत पापा ने कहा कि यही कलीसिया की प्रेरिताई है। कलीसिया प्रभु से आप लोगों के समान सभी पीड़ितों के लिए प्रार्थना करती है तथा वे ऐसे सहानुभूति प्रदान करते हैं कि आप उसे देख भी नहीं सकते। वे दिल की गहराई में सांत्वना प्रदान करते तथा हमें संबल बनाते हैं।

संत पापा ने तीर्थयात्रियों से कहा, ″प्रिय तीर्थयात्रियो, हमारे सम्मुख येसु अदृश्य किन्तु यूखरिस्त में साक्षात रूप से प्रस्तुत हैं। ठीक उसी तरह जिस तरह हमारे बीमार और पीड़ित भाई-बहनों के घावों में वे उपस्थित रहते हैं। वेदी पर हम येसु के पावन शरीर की आराधना करते हैं हमारे इन भाई-बहनों में उनके घावों को देखते हैं। ख्रीस्तीय येसु की आराधना करते, उन्हें खोजते तथा येसु के घावों को देख सकते हैं।

आज माता मरियम हम सभी से वही सवाल दुहरा रही है जिसको सौ सालों पहले गड़ेरिये बच्चों से किया था, ″क्या तुम अपने आप को ईश्वर के लिए अर्पित करना चाहते हो? उनका उत्तर था, जी हाँ, हम अर्पित करना चाहते हैं। हमें उन्हें समझने एवं उनके जीवन का अनुसरण करने हेतु योग्य बनाइये। संत पापा ने कहा कि उन्होंने उनके आनन्द एवं दुःख को प्रभु को अर्पित करते हुए अपना जीवन जीया। 

संत पापा ने सभी पीड़ितों को निमंत्रण दिया कि वे अपने जीवन को उपहार के रूप में स्वीकार करें। उन्होंने कहा, ″हम उन चरवाहे बच्चों के समान, माता मरियम को जवाब दें कि हम अपने जीवन को पूरे हृदय से ईश्वर को अर्पित करना चाहते हैं।

आप अपने को एक दीन प्रापक के रूप में न सोचें किन्तु एहसास करें कि आप कलीसिया के जीवन एवं मिशन में पूरी तरह सहभागी हैं। शब्दों की बाढ़ की अपेक्षा, आपकी मौन उपस्थिति अधिक प्रभावशाली है। आपकी प्रार्थना, दुनिया की मुक्ति हेतु क्रूसित येसु को प्रतिदिन अर्पित अपनी पीड़ा, धीरज और सहर्ष स्वीकार की गयी अपनी स्थिति, ये सभी आध्यात्मिक स्रोत हैं, हरेक ख्रीस्तीय समुदाय की सम्पति। कलीसिया के बहुमूल्य खजाना बनने से लज्जित न हों।

संत पापा ने कहा कि पवित्रतम संस्कार में येसु आपके लिए अपने सामीप्य एवं प्रेम के चिन्ह स्वरूप आपके नजदीक से होकर गुजरेंगे। अपने दुःखों, पीड़ाओं एवं अपनी चिंताओं को उन्हें अर्पित करें। कलीसिया की प्रार्थनाएं आपके लिए विश्व के सभी कोनों से स्वर्ग की ओर उठ रही हैं। ईश्वर हमारे पिता हैं और वे हमें कभी नहीं भूलेंगे।   








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