2017-05-09 17:40:00

हम वचन को विनम्रता से ग्रहण करें


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 9 मई 2017 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने मंगलवार 9 मई को वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित किया तथा प्रवचन में उन्होंने पवित्र आत्मा का विरोध नहीं करने बल्कि ईश वचन को विनम्रता के साथ स्वीकार करने की सलाह दी। 

उन्होंने कहा कि वचन को स्वीकार करने वाले का मनोभाव अच्छाई, शांति एवं आत्मसंयम का मनोभाव बन जाता है जो उसे जानते एवं उससे अच्छी तरह परिचित होते हैं।

संत पापा ने कहा कि विगत कुछ दिनों में हमने पवित्र आत्मा के विरोध के बारे में चिंतन किया है जिसका उदाहरण हम संहिता के पंडितों में पाते हैं जिन्होंने स्तेफन पर अभियोग लगाया। आज के पाठ में हम उसके ठीक विपरीत मनोभाव, पवित्र आत्मा के प्रति विनम्र ख्रीस्तीयों के बारे सुनते हैं।

उन्होंने कहा, ″स्तेफन की शहादत के बाद, येरूसालेम में भयंकर अत्याचार होने लगा। केवल प्रेरित वहाँ ठहरे जबकि विश्वासी साईप्रस, पोईनिसिया और अंतियोख आदि की ओर तितर-बितर हो गये तथा यहूदियों के बीच सुसमाचार का प्रचार किया। कुछ लोग अंतियोख में यूनानी लोगों के बीच भी सुसमाचार का प्रचार करने लगे क्योंकि उन्होंने अनुभव किया कि यह पवित्र आत्मा की प्रेरणा थी।″  यद्यपि वे लोकधर्मी थे तथापि अत्याचार के बावजूद उन्होंने सुसमाचार का प्रचार करना जारी रखा क्योंकि उनमें पवित्र आत्मा क्रियाशील था और वे विनम्र थे।

प्रेरित याकूब अपने प्रथम पत्र में आग्रह करते हैं, कि हम पवित्र आत्मा को विनम्रता के साथ ग्रहण करें। जिसके लिए हमें कठोर नहीं बल्कि खुला होने की आवश्यकता है। संत पापा ने कहा कि पवित्र आत्मा को स्वीकार करने का पहला चरण है विनम्र होना अर्थात् हृदय को खुला रखना। दूसरा है वचन को जानना, येसु को जानना, जो कहते हैं, ″मेरी भेड़ें मेरी आवाज पहचानती हैं और मैं उन्हें जानता हूँ और वे मेरा अनुसरण करती हैं। वे जानते हैं कि वे क्यों पवित्र आत्मा के प्रति उदार हैं।    

तीसरा चरण है वचन से गहरा परिचय। संत पापा ने कहा, ″अपने साथ हमेशा ईश वचन की प्रति रखें, उसे पढ़ें तथा वचन के लिए अपना हृदय खोलें एवं पवित्र आत्मा के लिए अपने आपको खोलें जो हमारे लिए वचन को समझाता है। परिणामतः हम वचन को ग्रहण कर पायेंगे और अपने साथ रख पायेंगे। ऐसे लोगों का मनोभाव होगा अच्छाई, सद इच्छा, आनन्द, शांति, आत्मसंयम एवं कोमलता।″

संत पापा ने कहा कि वचन के साथ विनम्रता हमें पवित्र आत्मा का विरोध करने से बचायेगी। वह हमें जीवन की राह पर आगे ले जायेगी और हम ख्रीस्तीय मनोभाव में बढ़ेंगे।

जब साइप्रस और साइरेन के लोगों द्वारा अंतियोख में सुसमाचार सुनाये जाने की खबर येरूसालेम आयी तो लोग थोड़ा घबराये किन्तु जब बरनाबस ने वहाँ जाकर देखा तो वह ईश्वर की कृपा देखकर आनन्दित हुआ तथा प्रभु के प्रति निष्ठावान बने रहने का आग्रह किया क्योंकि वह पवित्र आत्मा से पूर्ण था।

संत पापा ने कहा कि पवित्र आत्मा हमें गलती नहीं करने, पवित्र आत्मा के प्रति विनम्र रहने, उन्हें पहचानने तथा उससे प्रेरित होकर जीने हेतु हमारा मार्गदर्शन करता है। 








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