2017-04-24 15:12:00

करुणा हृदय द्वार खोल देता है, संत पापा


वाटिकन सिटी, सोमवार, 24 अप्रैल 2017 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 23 अप्रैल को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया, स्वर्ग की रानी प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, ″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

हम जानते हैं कि प्रत्येक रविवार हम प्रभु येसु के पुनरुत्थान की यादगारी मनाते हैं किन्तु पास्का के बाद का यह रविवार, और एक महत्वपूर्ण घटना को प्रकट करता है। कलीसिया की परम्परा में, पास्का के बाद के इस प्रथम रविवार को ″इन अलबीस″ कहा जाता है। संत पापा के कहा, ″इसका क्या अर्थ है?″ उन्होंने उत्तर देते हुए कहा, ″इस अभिव्यक्ति का उद्देश्य है, उन विश्वासियों की धर्मविधि को पुनः याद करना जिसमें उन्होंने पास्का जागरण के समय बपतिस्मा संस्कार ग्रहण करते हुए भाग लिया।″ उन प्रत्येक को सफेद वस्त्र दिये जाते हैं, जो ईश्वर की संतान होने की उन लोगों की नई प्रतिष्ठा का द्योतक है। आज तक ऐसा ही किया जाता रहा है। बच्चों को प्रतीक के तौर पर वस्त्र का एक छोटा टुकड़ा प्रदान किया जाता है जबकि प्रौढ़ श्वेत वस्त्र धारण करते हैं जैसा कि हमने पास्का जागरण में देखा। पहले के अनुसार उस श्वेत वस्त्र को, एक सप्ताह तक अर्थात् इस रविवार तक पहना जाता था और इसी से इसका नाम ″अलबीस देपोनंडिस″ पड़ा जिसका अर्थ है, वह रविवार जिसमें श्वेत वस्त्र को उतारा जाता है। इस प्रकार, सफेद कपड़ा उतारा जाता था और नये ख्रीस्तीय कलीसिया में ख्रीस्त के साथ अपने नये जीवन की शुरू करते थे। 

संत पापा ने दिव्य करुणा को समर्पित रविवार का स्मरण दिलाते हुए कहा कि एक दूसरी बात भी है। 2000 साल की जयन्ती वर्ष में संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने स्थापित किया है कि यह रविवार दिव्य करुणा को समर्पित किया जाए जो सचमुच एक अच्छी पहल है। पवित्र आत्मा ने उन्हें इसके लिए प्रेरित किया। संत पापा ने कहा कि कुछ महीनों पहले हमने करुणा की असाधारण जयन्ती का समापन किया है। यह रविवार पुनः निमंत्रण देता है कि हम ईश्वर की करुणा से मिलने वाली कृपा को ग्रहण करें।

आज का सुसमाचार पाठ ख्रीस्त के दर्शन की उस घटना का वर्णन करता है जिसको उन्होंने उस समय दिया, जब चेले उपरी कमरे में बंद थे। (योहन 20,19-31) सुसमाचार लेखक संत योहन लिखते हैं, ″ईसा उनके बीच आकर खड़े हो गये। उन्होंने शिष्यों से कहा, ″तुम्हें शांति मिले। जिस तरह पिता ने मुझे भेजा है उसी तरह मैं तुम्हें भेजता हूँ। इन शब्दों के साथ ईसा ने उन पर फूँक कर कहा, ‘पवित्र आत्मा को ग्रहण करो। तुम जिन लोगों के पाप क्षमा करोगे वे अपने पापों से मुक्त हो जायेंगे।’″ (vv.21-23) संत पापा ने कहा कि यही है दया की भावना जिसको येसु ने पापियों को क्षमा के रूप में पुनरुत्थान के दिन प्रदान किया। जी उठे येसु ने पहली जिम्मेदारी के रूप में अपनी कलीसिया को क्षमाशीलता की घोषणा करने के मिशन को पूरा करने के लिए प्रेषित किया है जिसको उन्होंने स्वयं हम सभी के लिए प्रदान भी किया है। उनकी करूणा का यह दृश्यमान चिन्ह है कि प्रभु से पुनः मुलाकात में हृदय को खुशी एवं शांति प्राप्त होती है।

पास्का के प्रकाश में करुणा ज्ञान के सच्चे प्रकार के रूप में देखा जाता है। यह महत्वपूर्ण है कि करुणा ज्ञान का एक सच्चा रूप है उस रहस्य का जिसको हम जीते हैं। हम कई प्रकार के ज्ञान से परिचित होते हैं। हम अपने ज्ञानेद्रियों और अपने अंतर्ज्ञान के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करते हैं, तर्क और अन्य माध्यमों द्वारा भी ज्ञान हासिल करते हैं। ये बातें सही हैं किन्तु व्यक्ति करुणा के अनुभव से भी ज्ञान प्राप्त कर सकता है क्योंकि करुणा मन के द्वार को खोल देता है ताकि हम ईश्वर एवं हमारे अस्तित्व के रहस्य को अधिक अच्छी तरह समझ सकें। करुणा यह समझने में मदद देता है कि हिंसा, विद्वेष और बदले की भावना का कोई मतलब नहीं होता और इसका पहला शिकार वही होता है जो इन भावनाओं को अपनाता है क्योंकि वह सच्ची प्रतिष्ठा से वंचित हो चुका है। करुणा हृदय के द्वार को भी खोल देता है तथा सामीप्य का अनुभव करने देता है, खासकर, उन लोगों से जो एकाकी एवं विस्थापित हैं क्योंकि उनके साथ हम एक ही पिता के पुत्र-पुत्रियाँ होने के कारण भाई-बहन होने का एहसास करते हैं। इसके द्वारा यह समझने की शक्ति मिलती है कि कितनों को सहानुभूति की आवश्यकता है और कितनों को उनके अच्छे कार्यों के लिए प्रशंसा दी जानी चाहिए।

संत पापा ने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, ″करुणा हृदय को उत्साह से भर देता है तथा उसे संवेदनशील बनाता है ताकि वह भाई-बहनों की आवश्यकताओं को समझ सके और उनके साथ सुख और दुःख को साझा कर सके एवं उनके साथ सहभागी हो सके। संक्षेप में, करुणा का अर्थ है कि हम सभी न्याय, मेल-मिलाप एवं शांति लाने के माध्यम बनते हैं। हम कभी न भूलें कि करुणा विश्वास के जीवन में एक कुँजी के समान है तथा ठोस रूप में इसके द्वारा हम येसु के पुनरुत्थान का साक्ष्य दे सकते हैं।

करुणा की माता मरियम, हमें विश्वास करने एवं इन सब को आनन्द के साथ जीने में मदद करें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

स्वर्ग की रानी प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने सूचना देते हुए कहा, ″कल स्पेन के ऑवियेदो में फा. लुईस अंतोनियो रोसा ओरमियेरेस की धन्य घोषणा हुई। उन्होंने 19वीं सदी में शिक्षा की सेवा हेतु कई मानवीय एवं आध्यात्मिक सद्गुणों को जिया तथा इसके लिए रक्षकदूत को समर्पित धर्मसंघ की स्थापना की। उनका आदर्श उदाहरण तथा उनकी मध्यस्थता उन लोगों को सहायता प्रदान करे, खासकर, जो स्कूलों एवं शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत हैं। 

उसके बाद संत पापा ने देश-विदेश के एकत्रित सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया। उन्होंने विशेष रूप से निदरलैंड के संत सेबास्तियन धर्मबंधुओं, नाईजिरिया एवं जर्मनी के काथलिकों का अभिवादन किया।

संत पापा ने पोलैंड से आये तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए कहा, ″मैं पोलैंड से आये तीर्थयात्रियों का अभिवादन करता हूँ तथा उस पहल की सराहना करना हूँ जिसको पौलैंड ने सीरिया के परिवारों की मदद हेतु शुरू किया है। सासिया स्थित संतो स्पीरितो गिरजाघर में दिव्य करुणा के सभी भक्तों एवं शांति हेतु दौड़ के सभी प्रतिभागियों का भी आज के इस दिन विशेष अभिवादन करता हूँ। आज यहाँ इस प्रांगण से रैली हेतु एक दल जर्मनी के वितेनबर्ग के लिए रवानी होगा।

संत पापा ने युवाओं के विभिन्न दलों का भी अभिवादन किया। अंततः उन्होंने उन सभी को धन्यवाद दिया जिन्हें पास्का पर्व हेतु संत पापा को शुभकामनाएँ अर्पित की थीं। सभी लोगों एवं परिवारों पर पुनर्जीवित ख्रीस्त की कृपा की याचना करते हुए उन्होंने सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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