2017-04-18 15:45:00

फ्राँसिस एवं जसिन्ता मारतो ने माता मरियम के संदेश की सच्चाई को प्रकट किया


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 18 अप्रैल 2017 (वीआर इताली): वाटिकन में संत पापा फ्राँसिस बृहस्पतिवार 20 अप्रैल को कार्डिनलों की तीसरी आमसभा परिषद का नेतृत्व करेंगे जो 36 नये संतों की घोषणा पर विचार करेगी। जिनमें से दो हैं फ्राँसिस एवं जसिन्ता मारतो जिन्होंने फातिमा में माता मरियम का दिव्य दर्शन किया था और अब उसका एक सौ साल हो चुका है।

इन दो नन्हें चरवाहों की संत घोषणा के महत्व को समझने हेतु लिये गये एक साक्षात्कार में कतानिया और फातिमा के उच्च धार्मिक संस्थान 'संत लुका' के प्रोफेसर ने कहा कि सब कुछ फातिमा संदेश, दिव्य दर्शन एवं उसके रहस्य से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि उन दिव्य दर्शन देखने वालों ने अपने जीवन द्वारा माता मरियम के संदेश की सच्चाई को प्रकट किया तथा पवित्रता के शिखर पर पहुँचे जो प्रमाणित करता है कि दिव्य दर्शन जिसका उन्होंने साक्ष्य दिया वे उसके ठोस साक्षी हैं। इन दो गड़ेरियों की संत घोषणा महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने माता मरियम के संदेश को ग्रहण किया तथा अपने लघु जीवनकाल में उसका अभ्यास किया। माता मरियम ने शांति हेतु प्रार्थना करने तथा पापियों के लिए तपस्या करने की मांग की थी जिसको उन्होंने पूरा किया।

क्या यह माता मरियम द्वारा सीधे उनसे मांगा गया था? इस सवाल के उत्तर में प्रोफेसर ने कहा, ″माता मरियम के दिव्य दर्शनों में से एक में उन्होंने साक्षात् रूप से प्रकट करते हुए कहा था कि अनेक आत्माएँ नरक की ओर जा रही हैं। जिसके लिए उन नन्हे गड़ेरियों ने अपना जीवन, अपना त्याग, पीड़ा एवं बीमारी अधिक से अधिक आत्माओं को बचाने के लिए अर्पित किया। इस प्रकार उन्होंने अपने जीवन से पवित्रता एवं दिव्य दर्शन की सच्चाई को प्रकट किया।″  

इन नन्हें चरवाहों की आध्यात्मिकता क्या थी, के जवाब में उन्होंने कहा कि जसिन्ता ने तीन चीजों के प्रति भक्ति को विकसित किया, पवित्र यूखरिस्त, माता मरियम के निष्कलंक हृदय एवं संत पापा। वे सहर्ष आत्मदमन करती थीं। उन्होंने पश्चाताप हेतु अपने कमर में एक ऐसे कमरबंध का प्रयोग तब तक किया जब तक कि वे बीमार नहीं हो गयीं। वे जमीन पर अथवा पत्थर पर बैठती थी तथा यह दुहराती रहती थीं कि ″मुझे उन आत्माओं के लिए कितना अधिक दुःख है जो नर्क में चली गयी हैं और इसके लिए उसने विलाप किया तथा लगातार प्रार्थना एवं त्याग किया।   

जसिन्ता ने पापियों के लिए बीमारी स्वीकार किया, भोजन एवं दवाई से अपने को दूर रखा तथा परिवार से अलग रहने का प्रयास किया। उनकी इच्छा थी कि वे अकेले में प्राण त्याग दें जो सच हुआ।   

फ्राँसिस दूसरों के दुःख के प्रति बहुत अधिक सहानुभूति रखते थे। उन्हें बहुधा छिपकर घुटनों के बल प्रार्थना करते एवं येसु पर चिंतन करते हुए पाया गया। उन्होंने दुःखी होकर कहा कि वे ऐसा अनेक पापों के लिए करते हैं। आत्माओं की मुक्ति के लिए उन्होंने प्रार्थना और पश्चाताप किया तथा मुख्य रूप से वे प्रभु को सांत्वना देना चाहते थे।

प्रोफेसर ने कहा कि इस प्रकार उन्होंने अपने जीवन द्वारा माता मरियम के संदेश की सच्चाई को प्रकट किया है।








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