2017-04-14 13:28:00

संत पापा ने पालिअनो के कैदखाने में प्रभु भोज की यादगारी मनाते हुए ख्रीस्तयाग अर्पित किया


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 14 अप्रैल 2017 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने पुण्य बृहस्पतिवार 13 अप्रैल को रोम के पालिअनो स्थित कैदखाने में, प्रभु भोज की यादगारी मनाते हुए ख्रीस्तयाग अर्पित किया जिसमें उन्होंने कैदियों के पैर धोये।

जानकारी के अनुसार संत पापा ने 12 कैदियों के पैर धोये जिनमें तीन महिनाएँ थीं, एक मुस्लिम जिसने जून माह में बपतिस्मा संस्कार ग्रहण किया है, एक अर्जेंटीना से, एक अल्बानिया और बाकी सभी इताली थे। उनमें से दो आजीवन कारावास की सज़ा भोग रहे हैं।

संत पापा ने प्रवचन में कहा, ″सुसमाचार बतलाता है कि येसु अपने चेलों के साथ अंतिम बयारी पर भोजन कर रहे थे। वे यह अच्छी तरह जान रहे थे कि इस दुनिया से विदा होकर पिता के पास जाने का समय अब आ गया है। वे यह भी जान रहे थे कि उन्हें धोखा दिया जाएगा और यह धोखा उसी रात यूदस द्वारा दिया जाएगा। वे अपनों को इस दुनिया में प्यार करते आये थे और उन्होंने अंत तक उन्हें प्यार किया।″ संत पापा ने कहा कि ईश्वर अंत तक हमें भी प्यार करते हैं। वे हम प्रत्येक को जीवन देते हैं। वे इसलिए देते हैं क्योंकि वे हमें अंत तक प्यार करते हैं। यह आसान नहीं है क्योंकि हम सभी पापी हैं। हम सभी में कई कमज़ोरियाँ और त्रुटियाँ हैं। हम सभी प्रेम करना जानते हैं किन्तु प्रेमी ईश्वर के समान नहीं जो बिना कुछ आशा किये अंत तक प्रेम करते हैं। जिसे दिखाने के लिए वे एक उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। वे एक गुरु और ईश्वर होकर भी चेलों के पैर धोते हैं।

पैर धोना उस समय का एक प्रचलन था जिसको दोपहर के भोजन और शाम के भोजन के पहले किया जाता था क्योंकि रास्ते पक्के नहीं थे और लोग धूल पर चलते थे। यह व्यक्ति को घर में स्वागत किये जाने एवं भोजन में सम्मिलित करने का भी चिन्ह था। सिमोन येसु को पैर धोने नहीं देना चाहता था किन्तु येसु ने कहा कि वे सेवा कराने नहीं किन्तु सेवा करने के लिए इस दुनिया में आये हैं। एक दास का रूप लेकर जीवन अर्पित करने ताकि अंतिम तक प्रेम कर सकें।

संत पापा ने कहा, ″आज जब मैं रास्ते से होकर पार हो रहा था लोग मुझे प्रणाम करने आये। उन्होंने कहा कि यह संत पापा का प्रणाम था कलीसिया के शीर्ष का प्रणाम। कलीसिया के शीर्ष येसु हैं। संत पापा येसु के प्रतीक हैं और मुझे वैसा ही करना चाहिए जैसा येसु ने किया। इस समारोह में पुरोहित विश्वासियों के पैर धोते हैं जो बिलकुल उलटा प्रतीत होता है। बड़े व्यक्ति द्वारा दास का काम करना क्या दिखलाता है उन्होंने कहा कि यह प्रेम को दिखलाता है। आपसी प्रेम को दिखलाता है।

संत पापा ने कहा कि यदि मैं आज आपसे आपस में एक-दूसरे के पैर धोने को कहूँ तो शायद यह एक मजाक बन कर रह जाएगा किन्तु प्रतीकात्मक रूप से निश्चय ही मैं ऐसा करने को कहूँगा। मैं कहूँगा कि यदि किसी को किसी मदद की आवश्यकता है तो एक-दूसरे की मदद करें क्योंकि यह प्रेम है और यही पैर धोने के समान है। हम एक-दूसरे के सेवक बनें। जब शिष्य एक-दूसरे से बहस कर रहे थे कि उनके बीच कौन बड़ा है, येसु कहते हैं, ″जो सबसे बड़ा होना चाहता है वह सबसे छोटा और सबका सेवक बनें। यही कारण है कि ईश्वर हमारे बीच आये। हम जो कि गरीब हैं हमें एक सेवक की आवश्यकता थी, येसु महान एवं भले हैं क्योंकि वे हमारी कमज़ोरियों के बावजूद प्रेम करते हैं।  

संत पापा ने सभी लोगों को चिंतन हेतु निमंत्रण देते हुए कहा कि इस समारोह के समय हम ईश्वर को येसु के रूप में चिंतन करें। यह जनता का कोई उत्सव नहीं है किन्तु एक चिन्ह है जिसे येसु ने दिया है। उन्होंने रोटी ली और उसे अपने शरीर में बदल दिया तथा दाखरस को अपने लोहू में तथा हमें प्रदान किया अतः यह ईश्वर का प्रेम है। आज हम ईश्वर के प्रेम पर चिंतन करें।

ख्रीस्तयाग की धर्मविधि समाप्त कर संत पापा संध्या 19.15 बजे वाटिकन वापस लौटे।








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