वाटिकन सिटी, सोमवार, 3 अप्रैल 2017 (वीआर सेदोक): ″ येसु दया के साथ न्याय करते हैं। वे सहिंता की पूर्णता हैं। वे दूसरों का न्याय करने नहीं पर माफ करने के लिए आमंत्रित करते हैं।″ उक्त बातें संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार को अपने प्रेरितिक निवास संत मार्था के प्रार्थनालय में प्रातःकालीन ख्रीस्तयाग समारोह के दौरान प्रवचन में कही।
संत पापा ने संत योहन के सुसमाचार से लिए गये दैनिक पाठ व्यभिचार में पकड़ी गई स्त्री पर चिंतन करते हुए अपने प्रवचन में कहा कि येसु ने व्यभिचार में पकड़ी गई स्त्री पर आरोप लगाने वालों से कहा, ″ जिसने पाप न किया हो वह इनपर पत्थर मारे। नबी दानिएल के ग्रंथ से लिए गये आज के प्रथम पाठ में भी दो न्यायधीशों ने सुसाना पर व्यभिचार का झूठा आरोप लगाया था। उन्हें ईश्वर एवं सहिंता के प्रति निष्ठा और अपने जीवन की रक्षा के बीच चुनाव करने के लिए बाध्य किया गया था। हालंकि उसने छोटे मोटे पाप किये थे पर वह अपने पति के प्रति वफादार थी।
इन दोनों घटनाओं में "मासूमियत, पाप, भ्रष्टाचार और कानून" की चर्चा है और "दोनों ही मामलों में न्यायाधीश भ्रष्ट और पापी हैं।"
संत पापा ने कहा कि आज भी हमें दुनिया में अन्याय और भ्रष्टाचार देखने को मिलता है। लोग भ्रष्ट क्यों है? क्योंकि वे ईश्वर के प्रति अविश्वासी हैं। सुसाना को दंड दिलाने वालों ने झूठी गवाही दी थी। संत पापा ने याद दिलाया कि येसु को भी झूठी गवाही के आधार पर मौत की सजा दी गई। यह अनुग्रह के खिलाफ कानूनी भ्रष्टाचार था।
येसु ने न्याय के लिए लाई गई स्त्री के सामने लोगों से थोड़ी सी बात की। उन्होंने कहा जिसने पापा नहीं किया है वह सबसे पहले पत्थर मारे और स्त्री से कहा, मैं भी तुम्हें दंड नहीं दूँगा अब से पापा मत करना। येसु सहिंता की पूर्णता हैं वे दया के साथ न्याय करते हैं।
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