2017-03-30 16:39:00

प्रभु अपने लोगों से क्यों निराश हो जाते हैं


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 30 मार्च 2017 (वीआर सेदोक): काल्पनिक एवं मिथ्य देवताओं से सावधान रहें क्योंकि केवल ईश्वर हमें प्रेम करते हैं तथा पिता के समान हमारे लिए इंतजार करते हैं। यह बात संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

निर्गमन ग्रंथ से लिए गये पाठ पर चिंतन करते हुए संत पापा ने प्रवचन में अपने लोगों के लिए उनके विश्वासघात के बावजूद ईश्वर के प्रेम पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि आज हमें अपने आप से ये सवाल पूछना चाहिए कि क्या हम अन्य देवमूर्तियों एवं सांसारिक मोह-माया की ओर जाते हुए, प्रभु से अपने को दूर कर देते हैं।   

संत पापा ने निर्गमन ग्रंथ में ईश्वर की आशा एवं निराशा पर अपना उपदेश केंद्रित करते हुए कहा, ″उनकी प्रजा ही उनकी आशा हैं। उन्होंने उनके लिए स्वप्न संजोये तथा उनसे प्रेम किया किन्तु लोगों ने पिता ईश्वर के प्रेम को धोखा दिया अतः वे इसराईली प्रजा से निराश होने लगे तथा मूसा को आदेश दिया कि वह पर्वत जहाँ वे संहिता प्राप्त करने हेतु गये हुए थे नीचे उतरे। लोगों को 40 दिन ईश्वर का इंतजार करने पर धीरज नहीं था। उन्होंने स्वयं एक सोने के बछड़े का निर्माण किया तथा उस ईश्वर को भूला दिया जिन्होंने उन्हें बचाया था। 

ईश्वर के प्रति विश्वासघात हेतु प्रलोभन

संत पापा ने कहा, ″नबी बारूक ने इन लोगों के बारे सही कहा है तुम उन्हें भूल गये हो जिन्होंने तुम्हारा पालन-पोषण किया।″ 

उन्होंने कहा, ″उस ईश्वर को भूल जाना जिन्होंने हमारी सृष्टि की, बढ़ाया तथा जीवन के रास्ते पर हमारा साथ देते हैं, यही ईश्वर की निराशा है। सुसमाचार में येसु दृष्टांतों में दाखबारी के मालिक के बारे बतलाते हैं जिन्होंने दाखबारी लगाया था किन्तु वह निराश हो गया क्योंकि नौकर उसे अपने लिए ले लेना चाहते थे। मानव हृदय में ये बेचैनी सदा बनी रहती है। यह ईश्वर से संतुष्ट नहीं होती, उनके विश्वसनीय प्रेम से तृप्त नहीं होती है। मानव हृदय हमेशा ही विश्वासघात की ओर बढ़ने के झुकाव से खिंची रहती है।  

संत पापा ने कहा कि यही प्रलोभन है। ईश्वर अपने उन लोगों से निराश हो जाते हैं जो धोखा देकर देवताओं की ओर चले जाते हैं।

जिसके कारण वे नबियों के द्वारा अपने लोगों को फटकारते हैं जो बिलकुल अस्थिर है और नहीं जानती कि किस तरह इंतजार करना है। वे दूसरे देवताओं की खोज में ईश्वर से दूर चले जाते हैं।

ईश्वर की निराशा उनके लोगों का विश्वासघात है, संत पापा ने कहा और हम उनकी प्रजा हैं। हम जानते हैं कि हमारा हृदय किस तरह है। हमें प्रतिदिन उन रास्तों से बचना है जो हमें देवमूर्तियों, कल्पनाओं, दुनियादारी तथा विश्वासघात की ओर ले जाते हैं। संत पापा ने ईश्वर की निराशा पर चिंतन करने एवं अपने आप से पूछने की सलाह दी कि क्या मेरे कारण प्रभु निराश हैं? 

चालीसा काल में हम चिंतन करें कि क्या हमने अपने को प्रभु से दूर कर लिया है-

संत पापा ने कहा कि पिता ईश्वर का हृदय कोमल है। उन्होंने याद किया कि येसु येरूसालेम को देखकर रो पड़े थे। उन्होंने कहा हम अपने आप से पूछें कि क्या मेरे लिए भी ईश्वर रोते हैं? क्या वे मुझसे निराश हैं? मेरी कितनी देवमूर्तियाँ हैं जिन्हें मैं दूर नहीं कर पा रहा हूँ जो मुझे गुलाम बनायी हुई हैं? मेरे अंदर की मूर्तिपूजा के कारण ईश्वर रो रहे हैं।   

संत पापा ने सभी विश्वासियों से आग्रह किया वे ईश्वर की निराशा पर चिंतन करें जिन्होंने उन्हें प्रेम के लिए बनाया जबकि वे प्रेम की खोज में भटक जाते हैं। उन्होंने प्रार्थना करने की सलाह दी, ″प्रभु मेरे लिए आपने कई स्वप्न संजोये हैं मैं जानता हूँ कि मैं दूर भटक गया हूँ, मुझे बता कि मैं कहाँ और कैसे वापस लौट आऊँ। उन्होंने कहा कि हमारे लिए विस्मय की बात ये है कि वे हमेशा हमारा इंतजार करते हैं, उड़ाव पुत्र के पिता की तरह जिसने उसे दूर से देख लिया था क्योंकि वह उसका इंतजार कर रहा था।








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