2017-03-29 15:55:00

25 हजार लोग शांति हेतु चालीसा पैदल तीर्थयात्रा में शामिल हुए


मुम्बई, बुधवार 29 मार्च, 2017 (वी आर सेदोक) : मुम्बई में चालीसा की वार्षिक पैदल तीर्थयात्रा में करीब 25 हजार लोगों ने भाग लिया। जिनमें काथलिकों, अन्य ख्रीस्तीय समुदायों और अन्य धर्मावलम्बी भी शामिल हुए थे। मुम्बई के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल ग्रेसियस ओसवाल्ड के नेतृत्व में रातभर की पैदल तीर्थयात्रा में बड़ी संख्या में पुरोहितों, धर्मसंघियों और लोकधर्मियों ने भाग लिया। शनिवार 25 मार्च रात को मुम्बई के क्रोस मैदान से तीर्थयात्रा शुरु होकर 20 किलोमीटर की यात्रा तय करके रविवार सुबह माऊट मेरी महागिरजाघर में पवित्र ख्रीस्तयाग समारोह के साथ सम्पन्न हुआ।

तीर्थयात्रा के शुरु में कार्डिनल ग्रेसियस ने माता मरिया की मथ्यस्ता से मुम्बई वासियों और पूरे भारतवासियों के लिए प्रार्थना की जिससे कि सभी ख्रीस्तीय सद्भाव और शांति में अपने विश्वास को जी सकें।

तीर्थयात्रा में 50 प्रतिशत संख्या लड़के लड़कियों की थी जो गोराल,  उत्तान,  वसाई, अगासी,  कोरलाई, रोहा आदि सुदूर गावों और महाराष्ट्र के उपनगरों से आये थे। कार्डिनल ग्रेसियस ने युवाओं के लिए विशेष प्रार्थना की, ″मरिया प्रज्ञा का सिहासन हमारे युवा लोगों का मार्गदर्शन कीजिए। उन्हें देश और कलीसिया की सेवा हेतु आगे बढ़ने में मदद कीजिए। हम युवाओं के लिए प्रार्थना करते हैं कि वे अपने विश्वास में दृढ़ बने रहें तथा उन्हें अपने बुलाहट को पहचानने की कृपा मिले।″  कार्डिनल ग्रेसियस के आशीर्वाद के साथ तीर्थयात्रा शुरू हुई।

कई अनुप्राणदाताओं की अगुवाई में प्रार्थना करते और गाना गाते हुए पैदल तीर्थयात्रियों ने 7 घंटे की यात्रा तय की। तीर्थ यात्रा के आयोजकों में से एक फ़ेलिक्‍स सेक्वेरा ने एशिया न्यूज को बताया कि जुलूस में मरिया शांति का महारानी,  क्रूस ढोते हुए येसु,  मरिया दुखियों की माता और तीर्थयात्रा के संरक्षक संत जोसेफ की प्रतिमाओं को फूलों और रोशनी से सजाकर करीब 25 हजार तार्थयात्रियों ने अपने कंधों पर ढोया।

मरिया सेवा संघ के अध्यक्ष और तीर्थयात्रा के मुख्य आयोजक फ्राँसिस फर्नानडीस ने एशिया न्यूज को बताया कि चालीसा काल में प्रतिवर्ष मार्च महीने में तीर्थयात्रा का आयोजन किया जाता है। सर्वप्रथम मरिया वर्ष के अवसर पर 1988 में कुछ भक्त समुदाय द्वारा चालीसा काल में शांति के लिए तीर्थयात्रा की गई। उसी के बाद से प्रतिवर्ष प्रतिभागियों की संख्या बढती जा रही है। इस पद यात्रा में सभी मजहब और किसी भी धर्म के लोग भक्तिपूर्वक भाग लेते हैं।








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