2017-03-28 16:11:00

आलस्य एक बड़ा पाप


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 28 मार्च 2017 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि येसु में विश्वास करने का अर्थ है जीवन को वैसा ही स्वीकार करना जैसा वह वास्तव में है तथा उसे आनन्द के साथ एवं बिना शिकायत किये स्वीकार करना, उसे आलस के बदसूरत पाप रूपी लकवा से दूर रखना।

वाटिकन के प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में मंगलवार को ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए संत पापा ने आज के सुसमाचार पाठ पर चिंतन किया जहाँ येसु एक लकवाग्रस्त व्यक्ति को चंगा करते हैं।

एक व्यक्ति 38 साल से बीमार था तथा येरूसालेम में बेथेस्दा नामक एक कुंड के किनारे पड़ा रहता था। उसके अगल-बगल कई रोगी थे। कहा जाता था कि प्रभु का दूत समय समय पर कुंड में उतरकर पानी हिला देता था पानी के लहराने के बाद जो सबसे पहले कुंड में उतरता था चाहे वह किसी भी रोग से पीड़ित क्यों न हो चंगा हो जाता था। येसु ने उस व्यक्ति को देखकर कहा, ″क्या तुम चंगा होना चाहते हो?″     

संत पापा ने कहा, ″यह कितना सुखद है येसु हमसे सदा यही प्रश्न करते हैं, क्या तुम चंगा होना चाहते हो? क्या तुम खुश रहना चाहते हो? क्या तुम अपने जीवन का विकास करना चाहते हो?   क्या तुम पवित्र आत्मा से भर जाना चाहते हो? क्या तुम ठीक होना चाहते हो? येसु के प्रश्न पर कुंड के पास उपस्थित सभी रोगियों ने हाँ में जवाब दिया होगा किन्तु केवल इसी व्यक्ति ने कहा कि मेरे पास कोई नहीं है जो मुझे जलाशय में उतार दे। मेरे उतरने से पहले ही मुझसे पहले कोई न कोई उसमें उतर जाता है। संत पापा ने कहा कि यह उत्तर एक शिकायत थी, प्रभु मुझे देखिये मेरा जीवन कितना बदसूरत और गलत है। सभी आगे जा सकते हैं, चंगाई पा सकते हैं किन्तु मैं 38 सालों तक कोशिश ही कर रहा हूँ। 

संत पापा ने कहा कि यह व्यक्ति उस पेड़ के समान है जो नदी के किनारे लगाया गया था जिसका जिक्र हम बाईबिल के स्तोत्र ग्रंथ में पाते हैं किन्तु इसकी जड़ें सूख गयी थीं वे पानी तक नहीं पहुँच पातीं थीं और न ही स्वस्थ जल ग्रहण कर सकती थीं।

संत पापा ने कहा कि यह मनोभाव निश्चय ही शिकायत का मनोभव है जिसमें दूसरे जो अपने से पहले जाते देख दोषी माना जाता है। यह एक कुरूप पाप है, आलस्य का पाप है।

यह व्यक्ति लकवा के कारण अधिक नहीं किन्तु आलस्य के कारण बीमार था। वह निरुत्साह का जीवन जी रहा था। उसके जीने का कोई उद्देश्य नहीं था। वह आनन्द की अनुभूति को खो चुका था। संत पापा ने कहा कि यह पाप है एक गंभीर बीमारी है। ऐसे लोग भले ही आराम से जीते हुए दिखाई देते हैं किन्तु उनके अंदर बहुत अधिक कड़वाहट है।

दूसरी ओर येसु रोगी व्यक्ति को नहीं फटकारते किन्तु कहते हैं- उठो और अपनी चारपाई उठाकर चलो।

संत पापा ने कहा कि प्रभु आज हम प्रत्येक से कह रहे हैं उठो, अपना जीवन जैसा है उसे वैसा ही स्वीकार करो, चाहे वह सुन्दर हो अथवा कुरूप, उसे लेकर आगे बढ़ो।

उन्होंने विश्वासियों से प्रश्न किया, ″क्या आप ठीक हो जाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि प्रभु कहते हैं जो लोग प्यासे हैं पानी के पास आयें, मुफ्त में पानी प्राप्त कर आनन्द से अपनी प्यास बुझायें और जब हम येसु को जवाब देंगे, जी हाँ, प्रभु मैं चंगा होना चाहता हूँ मुझे उठने में सहायता दीजिए, तब हमें मालूम होगा कि मुक्ति का आनन्द क्या है। 








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