2017-03-15 16:05:00

हमारा प्रेम निष्कपट हो


वाटिकन सिटी, बुधवार,15 मार्च 2017 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पेत्रुस के प्रांगण में जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को अपनी धर्मशिक्षा माला के दौरान संबोधित करते हुए कहा,

प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात

हम येसु के द्वारा दिये गये संहिता के सबसे बड़े नियम से वाकिफ हैं जो हमें अपने ईश्वर को अपने सारे हृदय अपनी सारी आत्मा और अपनी सारी बुद्धि से प्रेम करने को कहता और अपने पड़ोसी को भी अपने समान प्रेम करने की आज्ञा देता है। (मत्ती.22.37-39) हम अपने जीवन में प्रेम और सेवा के कार्य हेतु बुलाये गये हैं। यह हमारे जीवन का सार है जो ख्रीस्तीय आशा की खुशी से जुड़ी हुई है।

संत पौलुस रोमियों को लिखे अपने पत्र में विश्वासी समुदाय से आगाह करते हुए कहते हैं कि हमारा प्रेम निष्कपट हो। हम अपने आप से पूछ सकते हैं कि ऐसा कब होता है? हम निश्चित तौर से कब यह कह सकते हैं कि हमारा प्रेम निष्ठा पूर्ण है, हमारे कार्य कब सच्चे हैं?

संत पापा ने कहा कि कपट हमारे जीवन के किसी भी क्षण में प्रवेश कर सकता है यहाँ तक कि हमारे प्रेम पूर्ण जीवन में भी। ऐसा तब होता है जब हमारा प्रेम व्यक्तिगत स्वार्थ तक सीमित होकर रह जाता है। जब हम अपनी सेवा पूर्ण कार्य को अपनी संतुष्टि और स्वार्थसिद्धि हेतु करते हैं। जब हम अपने कार्यों के द्वारा अपनी बुद्धिमत्ता और अपनी क्षमताओं की नुमाइश करते हैं। संत पापा ने कहा इन सारी चीजों में हम एक वहम को पाते हैं जो यह घोषित करने की चेष्टा करता है कि हम अच्छे हैं, हमारे कार्य हमारे द्वारा संपादित किये जाते हों, मानो ये हमारे हृदय की उपज है। हमारा प्रेम पूर्ण कार्य हमारे लिए ईश्वर की कृपा है जो हमारे व्यक्तित्व को उजागर नहीं करता वरन यह ईश्वर से मिलने वाला एक दान है जिसके द्वारा हम अन्यों का अपने जीवन में स्वागत करते हैं। इसकी अभिव्यक्ति तब तक नहीं होती जब तक हम अपने जीवन में ईश्वर के कोमल और करुणामय चेहरे का अनुभव नहीं करते हैं।

 संत पौलुस हमें अपने आप को एक पापी के रुप में देखने का निमंत्रण देते हैं क्योंकि हमारा प्रेम हमारे पापों से प्रभावित होता है। फिर इसके द्वारा आशा की घोषणा की जाती है क्योंकि येसु हमारे लिए मुक्ति का एक मार्ग खोलते हैं। यह हमारे लिए ईश्वर के नियम को अपने जीवन में अनुभव करने, उनके प्रेम का माध्यम बनने का अवसर प्रदान करता है। इसके द्वारा हम अपने हृदय को येसु के पुनरुत्थान से चंगा और नवीन होने देते हैं। पुनर्जीवित येसु जो हमारे बीच में निवास करते हमें हृदयों को चंगाई प्रदान करते हैं। वे हमारे हृदय कि निर्धनता के बावजूद हमारे साथ ऐसा करते हैं जिससे हम अपने जीवन में पिता के प्रेम और आश्चर्य का अनुभव कर सकें। संत पापा ने कहा कि यह ईश्वर हैं जो हमारे जीवन और हृदय में निवास करते हैं जिनके सहायता से हम अपने रोज दिन के जीवन में जरूरतमंद लोगों की सेवा कर पाते हैं।

संत पौलुस हममें आशा का संचार करते हुए संहिता की सबसे बड़ी आज्ञा को जीने की प्रेरणा प्रदान करते हैं। यह हमारे लिए ईश्वर की कृपा है क्योंकि यह हमें इस बात की अनुभूति प्रदान करती है कि हम अपने आप में सच्चा प्रेम नहीं दिखा सकते हैं, हमें सदैव ईश्वर के साहचर्य की जरूरत है जिसके द्वारा वे हमारे हृदयों को अपनी असीम करुणा से नवीकृत करते हैं। इस तरह हम ईश्वर के कृपादानों से प्रेरित हो कर अन्यों का, छोटी चीजों का महत्व समझते और उनका सम्मान करते हैं। यह हमें ईश्वर में आनन्द और खुशी प्रदान करती है।
संत पापा ने कहा कि संत पौलुस हमें आशा में खुशी मनाने का आहृवान करते हैं क्योंकि हम यह जानते और अपने जीवन में अनुभव करते हैं कि सभी परिस्थितियों में यहाँ तक कि हमारे दुःख-दर्द, असफलताओं में भी ईश्वर का प्रेम हमें असफल होने नहीं देता है।
इतना कहने के बाद संत पापा ने अपनी धर्म शिक्षा माला समाप्त की और सभी तीर्थयात्रियों और विश्वासियों का अभिवादन किया और उन्हें चालीसा काल की शुभकामनाएँ अर्पित करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

 








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