2017-03-09 16:20:00

भारत की शीर्ष पत्रिका ने वार्षिक महिला पुरस्कार में काथलिक धर्मबहन को किया सम्मानित


नई दिल्ली, बृहस्पतिवार, 9 मार्च 2017 (मैटर्स इंडिया): भारत की सर्वाधिक लोकप्रिय पत्रिका ‘वानिता’ (महिला) ने एक काथलिक धर्मबहन सि. सुधा वर्गीस को वर्ष के सबसे प्रतिष्ठित महिला पुरस्कार से सम्मानित किया।

हर दो सप्ताह में प्रकाशित भारत की विभिन्न भाषों में छपने वाली पत्रिका ने विश्व महिला दिवस की पूर्व संध्या 7 मार्च को, इसकी घोषणा की। मनोरमा समाचार पत्र के अनुसार पुरस्कार हेतु एक लाख की राशि प्रदान की गयी है।

68 वर्षीय धर्मबहन सि. सुधा वर्गीस पटना की नोटर डेम धर्मसमाज की सदस्य हैं। उन्होंने मुशाहार लोगों के बीच शिक्षा, खासकर, बालिकाओं की शिक्षा पर तीन दशकों तक सेवा प्रदान की और अब खासकर बिहार में दलित लोगों के बीच अपनी सराहनीय सेवा दे रही हैं।

उन्होंने मुशाहार लोगों की सामाजिक आर्थिक प्रगति हेतु पूर्ण रूप से समर्पित होने के लिए शिक्षा के अपने कार्य को त्याग दिया तथा जाति प्रथा से शोषित लोगों के साथ गुलाम जैसा जीवन व्यतीत करना स्वीकार किया है। उनके बीच प्रचलित बाल-विवाह को समाप्त करने एवं ऊँच समझी जाने वाली जातियों द्वारा निम्न जाति के लोगों से शोषित होने की जाँच करने में धर्मबहन ने अपना बड़ा सहयोग दिया है।

सि. सुधा ने 1987 में ‘नारी गुंजन’ (महिलाओं की आवाज) की स्थापना की है जिसके माध्यम से शिक्षा, वकालत और कल्याणकारी योजनाओं जैसी उसकी बहु-स्तरीय गतिविधियों का समन्वय करने हेतु सहायता मिल सके। उनका संगठन पटना और सारन जिला में महिला मूशाहार के 1,020 स्वयं सहायता समूह का संयोजन करता है। प्रत्येक दल में 10 से 15 सदस्य होते हैं जो अपने सदस्यों को उनके अधिकारों की शिक्षा देते तथा बचत करते हुए आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में मदद करते हैं।

वानिता जो लोगों को विभिन्न क्षेत्रों में पुरस्कृत करती है भारत के ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलंस के मुताबिक दिसम्बर 2013 में उसकी औसत 6,87,915 प्रतियों की बिक्री हुई थी।








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