2017-03-07 11:53:00

येसु ख्रीस्त प्रार्थना में निर्णय लेते थे उपदेशक ने स्मरण दिलाया


आरिच्चया, इटली, मंगलवार, 7 मार्च 2017 (सेदोक): इटली के आरिच्च्या नगर में सन्त पापा फ्राँसिस एवं परमधर्मपीठीय रोमी कार्यालय के कार्डिनलों एवं धर्माध्यक्षों एवं की आध्यात्मिक साधना का नेतृत्व कर रहे फादर जूलियो मिखेलीनी ने स्मरण दिलाया कि प्रभु येसु ख्रीस्त प्रार्थना में निर्णय लिया करते थे।

रविवार 05 मार्च से शुक्रवार 07 मार्च तक जारी चालीसा कालीन आध्यात्मिक साधना के पहले दिन, सोमवार को, उपदेशक फादर मिखेलीन ने उपस्थित 74 धर्माध्यक्षों एवं कार्डिनलों का आह्वान किया कि वे प्रार्थना और मनन-चिन्तन के बाद ही किसी काम के लिये अपना फैसला दें। उन्होंने कहा, "येसु प्रार्थना में निर्णय लिया करते थे, स्वप्नों एवं जादू के द्वारा नहीं जैसा कि, प्लुतारको के अनुसार, एलेक्ज़ेन्डर महान किया करता था।"       

उन्होंने कहा कि हमें अपने समक्ष कुछेक प्रश्न रखने होंगे जैसे, "किस मानदण्ड के आधार पर मैं प्रभेद कर रहा हूँ? क्या मैंने यह फैसला आवेग में आकर लिया है? क्या मैं अपनी आदत के अनुसार फैसला ले रहा हूँ और ईश राज्य के आगे अपने स्वार्थ को रख रहा हूँ?  या फिर मैं ईश्वर की आवाज़ को सुनकर विनम्र तरीके से बोल रहा हूँ?"     

सन्त मत्ती रचित सुसमाचार में निहित सन्त पेत्रुस के मनपरिवर्तन एवं जैरूसालेम की ओर अग्रसर तीर्थयात्रा के वृतान्त पर चिन्तन करते हुए फादर मिखेलीनी ने कहा कि पेत्रुस इस बात को स्वीकार करते हैं कि येसु ख्रीस्त ही मसीह हैं और यह इस बात का प्रमाण है कि पिता ईश्वर ने केवल ईश पुत्र द्वारा ही नहीं अपितु पेत्रुस द्वारा भी हम पर सत्य को प्रकट किया।

फादर मिखेलीनी ने इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि प्रभु येसु ख्रीस्त शनैः शनैः हम पर अपना मिशन प्रकट करते हैं ताकि हम उस मिशन के अनुकूल विश्व में ईश राज्य की प्रकाशना कर सकें और इसके लिये अनिवार्य है, सतत् प्रार्थना। उन्होंने कहा कि नाज़रेथ के येसु के जीवन में साक्षात्कारों की विशिष्ट भूमिका रही है जिससे कि लोग यह जान सकें कि ईश्वर बहुत ही विनम्र तरीकों से मानव जाति से अनवरत बोलते रहे हैं जैसा कि कई बार हमने उन्हें नन्हें बच्चों एवं जनसमुदाय के मुख से सुना है।

उन्होंने परामर्श दिया, "येसु के मिशन में संलग्न समस्त लोगों को सभी पूर्वधारणाओं से मुक्त होकर, विनम्रतापूर्वक एक दूसरे की बात सुननी चाहिये तथा ध्यानपूर्वक उन्हीं बातों का स्वागत करना चाहिये जो ईश इच्छा के अनुकूल हैं।" उन्होंने स्मरण दिलाया कि अपने क्रूस मरण से पहले येसु ने भी एकान्त में सतत् प्रार्थना की थी, येसु के मिशन को पूरा करने का दावा करनेवाले को उनके ये शब्द याद रखने चाहिये, "जो मेरा अनुसरण करना चाहता है वह आत्मत्याग करे और क्रूस उठाकर मेरे पीछे हो ले।"








All the contents on this site are copyrighted ©.