2017-03-03 15:28:00

संत पापा, सच्चा उपवास लोगों की सेवा करना है


वाटिकन सिटी, शुक्रिवार, 03 मार्च 2017 (सेदोक) संत पापा फ्रांसिस ने संत मार्था के अपने निवास में शुक्रवार 03 मार्च को प्रातःकालीन मिस्सा बलिदान के दौरान कहा कि हमारा सच्चा उपवास अपने पडोसियों की सेवा करना है।

उन्होंने दैनिक पाठों पर चिंतन करते हुए कहा, “चालीसा काल हमें तपस्या के द्वारा येसु के निकट आने का आहृवान करता है। येसु पश्चातापी हृदय से खुश होते हैं जैसा कि स्तोत्र कहता है, “एक पापी हृदय अपने पापों का अनुभव करते हुए अपने को पापी स्वीकार करता है।” इसायस नबी के ग्रंथ से लिये गये प्रथम पाठ में ईश्वर धर्म का दिखावा करने वालों को फटकारते हैं जो उपवास करते और अपने व्यापार के लेन-देने में अपने क़र्जदारों को प्रताड़ित करते हैं। वे उनसे साथ न्याय नहीं करते हैं। इस तरह के उपवास को येसु आडम्बर की संज्ञा देते हैं क्योंकि यह उनके कार्यों का दिखावा मात्र है। ईश्वर हम सभों को सच्चा उपवास करने हेतु निमंत्रण देते हैं।

संत पापा ने येसु समाजियों के भूतपूर्व परमाधिकारी फादर पेद्रो अरूपे के जीवन की एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि जापान में एक धनी व्यापारी उन्हें प्रेरिताई कार्य हेतु दान दिया और यह छायाकार द्वार तस्वीर में उतारी गई लेकिन उस बंद लिफाफे में मात्रा दस डॉलर थे।

संत पापा ने कहा कि यदि हम लोगों को उनके अधिकार का उचित मूल्य नहीं देते तो यह उस दानी व्यक्ति के कार्य की तरह होता है। हम अपने जीवन में उपवास, प्रार्थना और दान-दक्षिणा करते लेकिन अपने पडोसियों के साथ उचित व्यवहार नहीं करते तो यह हमारा ढ़ोगीपन है। येसु कहते हैं जब हम प्रार्थना करें तो एकांत में गुप्त रुप से करें, दान दें तो इसके ढिंढोरा न पिटवायें, उपवास करें तो अपना मुख मलिन न करें। संत पापा ने कहा, “जब आप कोई अच्छा कार्य करते हैं तो इसका श्रेय अपने को न दें, इसका श्रेय केवल जीवनदाता पिता को जाता है।”

ईश्वर हमें उपवास के बदले अन्याय, कर्ज के लदे और लोगों में किये जा रहे अत्याचार के भार को तोड़ने का निमंत्रण देते हैं। वे हमें अपनी रोटी भूखों, अपने घरों को आश्रयविहीनों और परित्यक्त नंगे पड़ोसियों की सुधि लेने को कहते हैं। जब हम प्रार्थना करते, दान देते और उपवास करते तो येसु के इन वचनों पर चिंतन करें।








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