जयपुर, शनिवार, 25 फरवरी 2017 (वीआर सेदोक): देश भर के विभिन्न तीर्थस्थलों तथा धर्मों के आध्यात्मिक गुरु पहली बार एक शांति सम्मेलन में भाग लेंगे जो 5 मार्च को अजमेर में शैक्षिक और चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित किया गया है।
शांति, देशभक्ति तथा धार्मिक सौहार्द को बढ़ावा देने के मकसद से आयोजित इस सम्मेलन में भारत के सभी प्रसिद्ध तीर्थस्थलों के प्रमुख भाग लेंगे। जिनमें दरगाह निजामुद्दीन औलिया, दिल्ली और मनेर शरीफ के प्रमुख भी उपस्थित होंगे।
अजमेर में शैक्षिक और चैरिटेबल ट्रस्ट के सचिव ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिस्ती ने कहा कि हिन्दू धार्मिक नेताओं को भी सम्मेलन में हिस्सा लेने हेतु निमंत्रित किया गया है। सम्मेलन कई सत्रों में सम्पन्न होगा जिसकी मुख्य विषयवस्तु है धार्मिक नेताओं द्वारा राष्ट्रभक्ति तथा धार्मिक सौहार्द की भावना को युवाओं के बीच प्रोत्साहन देना।
सम्मेलन के प्रवक्ता धार्मिक नेताओं की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए सहिष्णुता तथा आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि के साथ देश भक्ति, मानव अधिकार एवं विविधता पर चर्चा करेंगे।
हसन चिस्ती ने पीटीआई से कहा, ″समाज और महिलाओं को सशक्त बनाने तथा आर्थिक समानता को बढ़ावा देने में धार्मिक नेताओं की भूमिका पर भी विचार किया जाएगा।″
पाकिस्तान के एक दरगाह पर हाल में हुए हमले में मारे गये लोगों के मद्देनजर सम्मेलन में धार्मिक कट्टर पंथ के खिलाफ विचार-विमर्श किया जाएगा।
उन्होंने कहा, ″सूफी परम्परा तथा तीर्थस्थलों पर हाल के वर्षों में तालीबान एवं अन्य चरमपंथी दलों द्वारा हिंसक आक्रमण हुए हैं। हम मानवता के लिए इस संघर्ष में कैसे एकजुट खड़े हो सकते हैं, किस तरह सूफी तीर्थस्थलों की रक्षा कर सकते हैं तथा चरमपंथ के कार्यों को किस तरह रोक सकते हैं इन सभी विषयों पर भी सम्मेलन में बहस की जायेंगी।
उन्होंने कहा आध्यात्मिक नेता, समाज में घुसे राष्ट्र विरोधी तत्वों और उसे संबंधित गतिविधियों का बहिष्कार करने हेतु समाज को प्रेरित कर सकते हैं।
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