2017-02-21 12:15:00

आप्रवासियों के स्वागत एवं एकीकरण का सन्त पापा ने किया आह्वान


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 21 फरवरी 2017 (सेदोक): सन्त पापा फ्रांसिस ने आप्रवासियों के स्वागत, उनकी रक्षा एवं उनके एकीकरण का आह्वान किया है।

"आप्रवास एवं शांति" शीर्षक से रोम में आयोजित अन्तरराष्ट्रीय मंच की विचार गोष्ठी में भाग लेनेवाले लगभग 250 प्रतिनिधियों ने मंगलवार को वाटिकन में सन्त पापा फ्राँसिस का साक्षात्कार कर उनका सन्देश सुना।

सन्त पापा ने इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि आप्रवास इस युग का चलन नहीं है बल्कि मानव इतिहास के हर चरण में मनुष्य अपनी सुख शांति की खोज में एक जगह से दूसरी जगह तक आप्रवास करता रहा है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है कि वह अपने सुख एवं समृद्धि की खोज करे।

सन्त पापा ने इस बात की ओर भी ध्यान आकर्षित कराया कि तृतीय सहस्राब्दि के आरम्भ में विश्वव्यापी स्तर पर आप्रवास सघन हुआ है। इसका कारण असंख्य युद्ध एवं जलवायु परिवर्तन के फलस्वरूप हुए प्राकृतिक प्रकोप रहे हैं। उन्होंने कहा, "इस युग का आप्रवास राजनैतिक समाज, नागर समाज एवं कलीसियाई समाज के समक्ष महान चुनैतियाँ प्रस्तुत कर रहा है इसलिये यह पहले से कहीं अधिक अनिवार्य हो गया है कि समन्वयात्मक एवं प्रभावशाली ढंग से इन चुनौतियों का सामना किया जाये।" सन्त पापा ने कहा कि इन चुनौतियों के समक्ष, "हमारा सामान्य प्रत्युत्तर स्वागत, सुरक्षा, प्रोत्साहन एवं एकीकरण, इन चार शब्दों में दिया जा सकता है।"

उन्होंने कहा, "आज हमें जो एक साथ ला रही है वह है एक प्रकार की अस्वीकृति जो पड़ोसी को न देखने, भाई की मदद न करने, उसे हमारे क्षितिज से बाहर छोड़ने तथा उसे ऐसे शख्स में बदलने के लिये उकसा रही है जिसपर हम हावी हो सकें। हमारे अहंकार, स्वार्थ एवं लोकलुभावन में परिलक्षित अस्वीकृति एवं बहिष्कार की इस स्थिति के समक्ष यह अनिवार्य है कि हम अपना रवैया बदलें तथा अपनी उदासीनता को नियंत्रण में रखकर उन लोगों का स्वागत करें जो हमारे दरवाज़ों पर दस्तक दे रहे हैं।" 

सन्त पापा ने कहा कि आप्रवासियों के प्रति हमें अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन लाने की सख्त ज़रूरत है ताकि युद्ध, निर्धनता एवं भेदभाव से पलायन कर हमारे यहाँ आनेवाले इन भाइयों एवं बहनों का स्वागत किया जाये, इन्हें सुरक्षा प्रदान की जाये तथा समाज में इनके एकीकरण का प्रयास किया जाये।








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