2017-02-20 15:13:00

प्रतिशोध नहीं, अपने शत्रुओं से प्रेम करें


वाटिकन सिटी, सोमवार, 20 फऱवरी 2017 (सीएनए): संत पापा ने कहा कि पवित्रता एवं सिद्धि के रास्ते पर चलना शत्रुओं से प्रेम तथा अत्याचारियों के लिए प्रार्थना करने के द्वारा, ख्रीस्त के अनुकरण की मांग करता है।

 उन्होंने 19 फरवरी को रोम स्थित येसु के पवित्र हृदय को समर्पित संत मरिया जोसेफा पल्ली में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कहा, ″यह सच है कि पिता ईश्वर करुणावान हैं″ उन्होंने विश्वासियों से प्रश्न किया ″किन्तु क्या हम उनके प्रति दयालु हो सकते हैं जिन्होंने हमें दुःख दिया है अथवा हम से प्रेम नहीं करते?

उन्होंने कहा, ″यदि वे दयालु हैं, पवित्र हैं, पूर्ण हैं तो हमें भी दयालु, पवित्र और पूर्ण बनना चाहिए। यही पवित्रता है जो स्त्री और पुरुष ऐसा करता है वह संत घोषित किये जाने के योग्य है। वह संत बन जाता है और साधारण शब्दों में यही ख्रीस्तीय जीवन है।″

प्रवचन में संत पापा ने पवित्रता के रास्ते पर चिंतन किया। उन्होंने कहा कि इस रास्ते पर तब तक आगे बढ़ा नहीं जा सकता है जब तक कि हम असंतोष को आश्रय देते अथवा किसी के प्रति बदले की भावना रखते हैं। येसु के शब्दों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ″अपने शत्रुओं से प्रेम करो और अपने अत्याचारियों के लिए प्रार्थना।″ संत पापा ने कहा कि उनके लिए प्रार्थना करनी चाहिए जो हमें दुःख देते हैं क्योंकि यह हमारे जीवन को बदल देता है। यदि हमें लगता है कि ऐसा करना असम्भव है तो हम प्रार्थना करें। प्रत्येक को क्षमा करने और उनसे प्रेम करने के लिए प्रार्थना करें। 

संत पापा ने सुसमाचार पाठ पर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि इसकी शिक्षा है ″पवित्र बनो, क्योंकि मैं तुम्हारा ईश्वर पवित्र हूँ तब तुम भी तुम्हारे स्वर्गीय पिता के समान पूर्ण बनोगे।″ उन्होंने कहा कि क्षमा करना एवं प्रार्थना करना ही, पूर्ण बनने का रास्ता है। यही पवित्रता का मार्ग है यदि सभी स्त्री और पुरुष इसे सीख जायेंगे तब कहीं युद्ध नहीं होगा। युद्ध की शुरूआत कड़वाहट, विद्वेष तथा बदले की भावना से होती है किन्तु यह बहुतों के परिवार को नष्ट कर देता है कितनों की मित्रता एवं पड़ोसी को तोड़ डालता और बहुत अधिक विनाश लाता है। 

उन्होंने कहा कि यही कारण है कि घृणा की भावना से बचने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। अपने शत्रुओं और जो हम से प्रेम नहीं करते हैं उनके लिए भी दुआ करनी चाहिए। संत पापा ने प्रत्येक दिन अपने दुशमनों के लिए प्रार्थना करने की सलाह दी जिसके द्वारा हम पवित्रता एवं पूर्णता में आगे बढ़ सकते हैं। बुराई को भलाई से तथा पाप को उदारता द्वारा जीत सकते।

प्रार्थना घृणा और युद्ध को समाप्त करने की एक औषधि है। संत पापा ने सभी विश्वासियों से शांति हेतु प्रार्थना करने की सलाह दी। 








All the contents on this site are copyrighted ©.