2017-02-14 11:08:00

सन्त पापा ने लिखा यौन दुराचार पीड़ित की पुस्तक का प्राक्कथन


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 14 फरवरी 2017 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने यौन दुराचार के शिकार बने डेनियल पेतित द्वारा रचित पुस्तक का प्राक्कथन लिखकर, एक बार फिर, पादरियों एवं धर्मसमाजियों द्वारा यौन दुराचार की कड़ी निन्दा की है। किशोरावस्था में पादरियों के यौन दुराचारों के शिकार बने डेनियल पेतित इस समय एक पति और छः सन्तानों के पिता हैं।

प्राक्कथन में सन्त पापा ने लिखा, "ख्रीस्त एवं उनकी कलीसिया की सेवा के लिये वचनबद्ध पुरोहित  कैसे इस प्रकार की बुराई में लग सकता है? वह शख्स जिसने बच्चों को ईश्वर के प्रति अग्रसर करने के लिये अपना जीवन अर्पित कर दिया वह किस तरह उनका भक्षण, जैसा कि मैंने कहा है, "पैशाचिक बलिदान" में कर सकता है जो पीड़ित एवं कलीसिया के जीवन दोनों को नष्ट कर देता है?"    

प्राक्कथन में सन्त पापा फ्राँसिस बताते हैं कि उन्होंने समर्पित जीवन वर्ष के दौरान डेनियल से वाटिकन में मुलाकात की थी। लिखते हैं, "मैं सोच भी नहीं सकता था कि उस्ताह और उमंग से परिपूर्ण तथा ख्रीस्त के प्रति उत्कट यह व्यक्ति किसी पुरोहित द्वारा यौन शोषण का शिकार बनाया गया था। हालांकि, यही उसने मुझे बताया और उसकी पीड़ा ने मुझे गहन आघात पहुँचाया है। एक बार फिर मैंने यौन दुराचार से हुए भयावह विनाश तथा उस कष्टकर लम्बी यात्रा को देखा जिसका सामना यौन शोषण के पीड़ितों को करना पड़ता है।"  

प्राक्कथन में सन्त पापा ने इस ओर भी ध्यान आकर्षित कराया है कि कभी-कभी यौन दुराचार से पीड़ित व्यक्ति अपना जीवन भी समाप्त कर डालता है और ये मौतें, उन्होंने लिखा, "मेरे हृदय, मेरे अन्तःकरण और सम्पूर्ण कलीसिया पर एक भारी बोझ बन जाती हैं।"

यौन दुराचार के शिकार लोगों के परिजनों के प्रति प्रेम एवं गहन दुःख की अभिव्यक्ति करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस विनम्रतापूर्वक क्षमा की याचना करते हैं। कहते हैं, "पेतित का साक्ष्य एक निरपेक्ष कुरुपता, एक भयावह पाप है जो मौलिक रूप से उस सब के विपरीत है जो प्रभु ख्रीस्त हमें सिखाते हैं।" 

पुस्तक के प्राक्कथन में सन्त पापा फ्राँसिस कमज़ोर एवं दुर्बलतम लोगों की देख-रेख एवं सुरक्षा से सम्बन्धित कलीसिया के दायित्वों का स्मरण दिलाते हैं और साथ ही अपने मिशन के प्रति बेवफ़ाई करनेवाले पुरोहितों एवं उन्हें बचानेवाले धर्माध्यक्षों एवं कार्डिनलों के प्रति कठोर रुख अपनाये जाने की बात करते हैं।

प्रस्तावना के अन्त में सन्त पापा लिखते हैं, "कलीसिया यौन शोषण के शिकार बने सभी व्यक्तियों की सहायता के लिये वचनबद्ध है तथा उनकी कठिन जीवन यात्रा में सदैव उनके साथ है ताकि वे मानव एवं ईश्वर में आशा को न खोयें।

पेतित के साक्ष्य के लिये धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस लिखते हैं कि, "ऐसे  साक्ष्य ही मौन की उन दीवारों को तोड़कर कलीसियाई जीवन के उस भयंकर क्षेत्र पर प्रकाश डालते हैं जिनपर परछाई आच्छादित रहती है और साथ ही यौन दुराचारियों में उनके दुष्कर्मों के परिणामों के प्रति चेतना जाग्रत करते हैं।"








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