2017-02-10 16:39:00

सुपीरियर जेनरलों से संत पापा की मुलाकात पर एक पुस्तिका


वाटिकन रेडियो, शुक्रवार, 10 फरवरी 2017 (वी आर)  येसु समाज द्वारा प्रकाशित पत्रिका “चिभिलता काथोलिका” संत पापा फ्राँसिस द्वारा पुरुषों के 140 धर्मसमाजों के सुपीरियर जेनरलों से मुलाकात और उनसे की गई वार्ता पर एक पुस्तिका प्रकाशित करेगा। 

गुरुवार को इतालवी अख़बार कोरियेरा देला सेरा ने 25 नवम्बर 2016 को विभिन्न धर्मसमाज के अधिकारियों की 88वीं सामान्य सम्मेलन के दौरान उन्हें संत पापा द्वारा किये गये संबोधन के एक छोटा अंश को प्रकाशित करते हुए कहा कि कलीसिया को युवाओं के साथ चलने की अति आवश्यकता है जिसे वे अपने को ईश्वर के समक्ष खोलते हुए विश्व में जीवन यापन कर सकें।

संत पापा द्वारा सन् 2018 में होने वाली धर्माध्क्षीय सम्मेलन की विषयवस्तु का केन्द्र बिन्दु युवाओं पर आधारित है जो युवा द्वारा कलीसियाई जीवन और उनके आत्मा परीक्षण पर बल देता है। इस विषय पर उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि युवा येसु को कार्य करते हुए देखते हैं अतः हमें अपने को उनके साथ प्रेरिताई कार्य में संलग्न करने की जरूरत है। इस तरह कार्य सम्पादन के उपरान्त हमें उन कार्यों का मूल्यांकन करने की भी आवश्यकता है लेकिन मूल्यांकन मात्र हमें मदद नहीं करती क्योंकि यह केवल विचार मात्र है। अतः हमें सुनने और कार्य करने इन दो संकल्पनाओं की जरूरत है। हमें युवाओं को प्रशिक्षण देने के अलावा आज उन्हें सुनने की अति जरूरत है। 

संत पापा ने बुलाहट में आयी कमी की ओर भी ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि यह निश्चित रुप से जनसांख्यिकीय समस्या से जुड़ा हुआ है लेकिन इसके साथ ही युवाओं के प्रति हम अपनी प्रेरिताई और उनकी अपेक्षाओं पर हम खरा नहीं उतरे हैं।

वाटिकन की समास्याओं के बारे में संत पापा ने कहा कि वाटिकन में भ्रष्टचार है लेकिन वे शांति में हैं। उन्होंने कहाकि यदि कोई समस्या होती है तो वे उसे लिखकर संत योसेफ की मूर्ति के नीचे रख देते हैं। ऐसा लगता है कि संत योसेफ लिखित सवालों के बिछावन में सो रहे हैं जो मुझे भी भली भांति सोने में मदद करता है जो मेरे लिए ईश्वर की कृपा है। धर्मसमाजों के अधिकारियों को अपने संबोधन में संत पापा ने कहा कि हमें इस बात की खोज करनी चाहिए कि ईश्वर ने क्यों हमें बुलाया है। “उन्हें एक पिता की भांति कष्ट उठाने हेतु सीखने की जरूरत है। यह हम में नम्रता की माँग करता है जो हमें क्रूस से शांति को ओर ले चलती है। आप मुश्किलों से अपना पिंड न छुड़ाये लेकिन कलीसिया में पिलातुस के समान कुछ हैं जो कठिनाई से दूर भागते हुए अपने हाथों को धो लेते हैं। एक अधिकारी जो अपने हाथों को धोता है वह अच्छा पिता नहीं है।

यौवन शोषण पर पूछे गये सवाल के उत्तर में संत पापा ने कहा जो इस में सलिप्त हैं वे स्वयं इसके शिकार हुए हैं। दुराचार इस तरह बीज बोता है जो भयावह है। यह एक बीमारी के समान है जो येसु के कार्यों को नष्ट कर देता है। अतः धर्म समाज में किसी को दाखिल करने के पहले उसकी भावनात्मक विकास की उचित जाँच नितांत आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि यदि कोई किसी भी धर्मसमाज या धर्मप्रान्त से बेदखल किया गया है तो दूसरे समाज या धर्मप्रान्त में दखिल करने के पूर्व उसकी समुच्चित छान-बीन आवश्यक है।








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