2017-02-09 16:28:00

‘चिविलता कथोलिका’ के लेखकों से संत पापा ने की मुलाकात


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 9 फरवरी 2017 (वीआर सेदोक): संत पापा ने कहा कि ईश्वर हमें प्रेरिताई हेतु बाहर जाने के लिए बुलाते हैं, दूर-दूर तक जाने के लिए, न कि अपनी निश्चितता हेतु सेवानिवृत होने के लिए।

इताली काथलिक पत्रिका ‘चिविलता कथोलिका’ में योगदान देने वाले 60 लेखकों से बृहस्पतिवार को वाटिकन के सामान्य लोकसभा परिषद भवन में मुलाकात करते हुए उन्होंने कहा, ″यह एक अनूठा मील का पत्थर है, पत्रिका ने 167 वर्षों की यात्रा पूरी कर चुकी है तथा साहस पूर्वक खुले सागर में अपना जहाज खे रही है।″ 

चिविलता कथोलिका जेस्विट पुरोहितों द्वारा संचालित महीने में दो बार प्रकाशित की जाने वाली इताली पत्रिका है जिसकी स्थापना सन् 1850 ई. में हुई थी और इसका विस्तार अब अंग्रेजी, फेंच, स्पानी एवं कोरियन भाषाओं में भी किया जा रहा है।

पत्रिका के 4000वें अंक के प्रकाशन पर उन्होंने पत्रकारों को शुभकामनाएँ देते हुए कहा, ″आपका लेख मात्र काथलिक विचारधाराओं की रक्षा न करे किन्तु अथक, खुले विचारों तथा कल्पनात्मक विचारों के साथ दुनिया में ख्रीस्त का साक्ष्य प्रस्तुत करे।”  

‘ला चिविलता कथोलिका’ के लम्बे इतिहास की तुलना, खुले सागर में नाव खेने से करते हुए उन्होंने इसके आधुनिक योगदान को चुनौतियों से कभी नहीं घबराने किन्तु साहसी बनकर पवित्र आत्मा से संचालित होने की सलाह दी। उन्होंने कहा, ″काथलिकों को खुले समुद्र से नहीं घबराना चाहिए और न ही सुरक्षित आसमान की खोज करनी चाहिए, विशेषकर, एक जेस्विट निश्चितता एवं सुरक्षा पर आसक्त नहीं होता। ईश्वर हमें प्रेरिताई हेतु बाहर भेजते हैं, दूर-दूर तक जाने के लिए, न कि निश्चितता की तलाश करते हुए सेवानिवृत होने के लिए। आप बाहर जाएँ तथा चुनौतियों का सामना करें, पर इस पवित्र यात्रा में सदा येसु के साथ आगे बढ़ें जो अपने शिष्यों से कहते हैं, धीरज रखो, मैं ही हूँ, डरो मत।″

उन्होंने कहा कि सभी येसु समाजी समाज के हाशिये पर जीवन यापन करने वाले लोगों को ध्यान में रखकर, वार्ता एवं आत्म परीक्षण की भावना से अपनी प्रेरिताई करने के लिए बुलाये गये हैं। पत्रिका हाशिये पर जीवन यापन करने वाले उन लोगों तक नई भाषाओं के साथ सेतु का निर्माण करे। उन्होंने कहा कि वे अपने दायरे को बढ़ायें तथा विश्व के विभिन्न लोगों के साथ वार्ता में योगदान दें। 

संत पापा ने उन्हें खुले विचारों वाले लेखक बनने का परामर्श दिया ताकि वे, सामान्यता, सापेक्षवाद, कठोरता तथा फेंकने की संस्कृति के संकट का सामना कर सकें।

अंततः संत पापा ने सभी लेखकों से अनुरोध किया कि वे कल्पनात्मक बनें। कलीसिया इसके द्वारा मानव प्रतिभा को प्राप्त करे तथा यह देखने में मदद करे कि मानव जीवन काला एवं श्वेत नहीं वरन् सूक्ष्म छायांकन के साथ एक रंगीन पेंटिंग है। उन्होंने कहा कि वे हास्य की भावना, एक दयालु हृदय और एक अंतरिक स्वतंत्रता के साथ लचीला लेखक बने रहें।








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