2017-02-06 16:49:00

हम “पृथ्वी के नमक” और “संसार की ज्योति” बनें


वाटिकन रेडियो, सोमवार, 06 जनवरी 2017 ( सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने 06 फरवरी को अपने  रविवारीय देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में जमा हुए हजारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाई एवं बहनो, सुप्रभात,

इन दिनों हम कलीसियाई धर्मविधि के रविवारीय पाठों में संत मत्ती रचित सुसमाचार का श्रवण कर रहे हैं जो “पर्वत प्रवचन” कहलाता है। पिछले सप्ताह हमने धन्यताओ के बारे में सुना और आज हम येसु को अपने शिष्यों के लिए दुनिया में उनके प्रेरितिक कार्य के बारे में अधिकारपूर्ण शिक्षा देते हुए सुनते हैं। वे अपनी शिक्षा में नमक और ज्योति के रूपकों का उपयोग करते और दुनिया के अपने सभी अनुयायियों और हमारे समक्ष भी इसे रखते हैं।  

येसु हमें अपने कामों के द्वारा अपनी ज्योति का साक्ष्य देने को निमंत्रण देते हैं। वे कहते हैं, “तुम्हारी ज्योति मनुष्य के सामने चमकती रहें जिससे वे तुम्हारे भले कामों को देख कर पिता की महिमा कर सकें।” (मती. 5.16) येसु के ये वाक्य हमें इस बात की ओर इंगित करते हैं कि उनके अनुयायियों के रूप में हम दुनिया में ज्योति की तरह देखे और पहचाने जाते हैं जो हमारे कार्यों के द्वारा परिलक्षित होता है। वास्तव में, यह हमारा व्यवहार है जो अच्छा या बुरा जो भी हो दूसरों के जीवन को प्रभावित करता है। संत पापा ने कहा अतः यह हम सभी का उत्तरदायित्व है कि हम अपने जीवन के उपहार को अपने जीवन में भली-भांति जीये, विशेषकर, अपने विश्वास की ज्योति को जो हमें येसु ख्रीस्त में पवित्र आत्मा के द्वारा प्राप्त हुआ है। हम इसे अपने में इस तरह पकड़ कर न रखें मानों ये हमारी चीजें हैं अपितु हम इसके द्वारा अपने कार्यों को अन्यों के लिए करें जिससे सम्पूर्ण विश्व प्रकाशित हो सकें जिसके लिए हम बुलाये गये हैं। आज विश्व को सुसमाचार की इसी ज्योति की जरूरत है जिससे वह चंगाई प्राप्त कर सके, उन्हें परिवर्तित और मुक्ति मिल  सके जो इसके स्वीकार करते हैं। उन्होंने कहा कि हमें इस ज्योति को अपने अच्छे कार्यों के द्वारा जगमगाते रखना है।

विश्वास की ज्योति अपने को देने में बुझती नहीं वरन् अपने में और भी मजबूत होती है क्योंकि यह प्रेम में सेवा के कार्यों द्वारा प्रसारित होती है। इसी कारण ज्योति और नमक एक-दूसरे से मेल खाते हैं। सुसमाचार वास्तव में येसु के शिष्यों के रुप में हमें इस बातों को बतलाती है कि हम सभी पृथ्वी की नमक के समान हैं। नमक का मुख्य कार्य स्वाद लाना, खाद्य पदार्थ को बचा कर रखना है। येसु के समय खाद्य सामग्रियों को सुरक्षित या बचा कर रखने हेतु कोई फ्रीज नहीं थे। समाज में ख्रीस्तीयों को अपने विश्वासमय और ईश्वरीय प्रेमपूर्ण जीवन से प्रेरित होते हुए स्वार्थ रूपी कीटाणु, द्वेष, झूठी निंदा इत्यादि बातों से ऊपर उठने की आवश्यकता है जो मानव समाज को स्वादिष्ट बनाना है। उन्होंने कहा ये कीटाणु हमारे समुदाय के ताने-बाने को नष्ट कर देते हैं। इन अवगुणों के बदले हमें अपने जीवन में एक-दूसरे का स्वागत करते हुए एकता और मेल-मिलाप की बातों को बढ़ावा देना है। येसु ख्रीस्त के इस प्रेरितिक कार्य को पूरा करने हेतु हमें अपने को दुनियावी दुर्गुणों के प्रभाव से बचा कर रखने की जरूरत है। दुर्गुणों का दुष्प्रभाव हमारे जीवन में समाप्त नहीं होता अतः इसकी सफाई हमें निरंतर, अपने रोज दिन के जीवन में करने की जरूरत है।

हम से प्रत्येक जन का बुलावा दुनिया में ज्योति और नमक के रुप में हुआ है। हमारे इस कार्य में माता मरियम सदैव हमारी सहायता करती हैं जो अपने जीवन को अपनी बुलाहट और प्रेरिताई कार्य अनुरूप जीते हैं, क्योंकि वे येसु की पहली शिष्य और विश्वासियों की आदर्श हैं। वे हम सभों को हमारे दुगुणों से शुद्ध होने में मदद करे और अपने बेटे येसु ख्रीस्त की ज्योति से प्रज्वलित करें जिससे हम अपने जीवन में सही रुप में “पृथ्वी की नमक” और “संसार की ज्योति” बन सकें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने विश्वासी समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया और सबों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

अपने देवदूत प्रार्थना के उपरान्त संत पापा ने सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को अपने संबोधन में कहा कि आज इटली में जीवन दिवस मनाया जा रहा है जिसकी विषयवस्तु “कोलकाता की संत तेरेसा के जीवन के अनुरूप हमारा जीवन” है। मैं इटली के धर्माध्यक्षों के साथ मिलकर जीवन शिक्षा को प्रोत्साहित करता हूँ क्योंकि जीवन हमारा पवित्र है जिसे हमें भाई-बहनों के रुप में मिलकर बढ़ावा देना है। हम सब मिलकर बच्चों के लिए जो गर्भावस्था के दौरान खतरे की स्थिति में रहते हैं साथ ही उनके लिए जो अपने जीवन की अंतिम अवस्था में हैं, प्रार्थना करें। हम सबों का जीवन पवित्र है और हमें इसे प्रेम में सुरक्षित रखने और बचाने की जरूरत है। हम संत तेरेसा के वचनों की याद करें जो कहती हैं “जीवन सुन्दर है हमें इसकी रक्षा करनी है।”

उन्होंने कहा कि मैं रोम के विश्वविद्यालय जीवन विभाग कार्यकर्ताओं के साथ नवीन युवा पीढ़ी संरचना में संलग्न लोगों का अभिवादन करता हूँ जिससे वे समाज में हर व्यक्ति की गरिमा को बनाये रखने में कामयाब हो सकें। इतना कहने के बाद संत पापा ने सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया और उन्हें रविवारीय मंगलकामनाएँ अर्पित करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया। 








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