2017-02-06 15:07:00

कारितास निदेशक: मानव संसाधन में निवेश औद्योगिक विकास हेतु एक शर्त


मुम्बई, सोमवार, 6 फरवरी 2017 (वीआर सेदोक): कारितास इंडिया के निदेशक फा. फ्रेड्रिक डीसूजा ने कहा कि ″मानव संसाधन की खोज औद्योगिक विकास की एक शर्त है।″  

एशियान्यूज़ से बातें करते हुए उन्होंने 2017 एवं 2018 के केंद्रीय बजट के नकारात्मक एवं सकारात्मक आयामों पर प्रकाश डाला जो हाल में वित्तमंत्री द्वारा पेश की गयी है। उन्होंने विशेष रूप, से वंचित आदिवासी समूहों पर "निवेश करने की जरूरत पर जोर दिया।

फा. ने गौर किया कि नये बजट में नौकरी के अवसरों में वृद्धि करने के उद्देश्य से औद्योगिक विकास के लिए एक बड़ा आवंटन शामिल है किन्तु उनका मानना है कि ‘रोजगार का सृजन बेरोजगार युवाओं में कौशल के विकास पर ज्यादा निर्भर करता है’ अतः विशेष ध्यान मानव संसाधनों पर दिया जाना चाहिए।

कारितास इंडिया के निदेशक ने चिंता जतायी कि कृषि क्षेत्र को मात्र 5% बढ़त दी गई है जो अपर्याप्त है क्योंकि सूखा एवं पेयजल की कमी से परेशान होकर आत्महत्या का मामला किसानों में ही अधिक पाया गया है।

उन्होंने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के लिए 9% की वृद्धि पर संतोष व्यक्त किया किन्तु गौर किया कि मानसिक स्वास्थ्य तथा तम्बाखू रोक कार्यक्रम के लिए रकम पिछले साल के बराबर ही दिया गया है जबकि लक्ष्य था उन लोगों तक पहुँचना जो चिकित्सा सुविधा प्राप्त करने में असमर्थ हैं।

केंद्रीय बजट में लैंगिक समानता के विकास हेतु धन की वृद्धि हुई है, खासकर, महिलाओं एवं गरीब बच्चों के लिए। इस कार्यक्रम में भी भारी कटौती की गयी है जिसमें महिलाओं की स्थिति में सुधार एवं उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की योजना बनायी गयी थी उदाहरणार्थ, निरभया फंड।  

"अनुसूचित जाति" और "अनुसूचित जनजाति" को दी गई ऋण के बारे में, कुल बजट का क्रमशः, 2.44% और 1.49% है जिसके बारे भी फादर का कहना है कि यह काफी नहीं हैं। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि "वंचित जातियों तथा आदिवासी समूहों और साथ ही अल्पसंख्यकों की शिक्षा तथा कौशल विकास के लिए और अधिक धन की जरूरत है।"








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