भोपाल, बृहस्पतिवार, 2 फरवरी 2017 (वीआर अंग्रेजी): वाटिकन प्रतिनिधि कार्डिनल लोरेंत्सो बाल्दीसेरी ने भोपाल में चल रहे भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की 29वीं आमसभा के दूसरे दिन, माता-पिता की जिम्मेदारियों पर चिंतन प्रस्तुत किया।
विश्व काथलिक धर्माध्यक्षीय धर्मसभा के महासचिव कार्डिनल बाल्दीसेरी सन् 1999 से 2002 के बीच भारत के प्रेरितिक राजदूत रह चुके हैं।
ख्रीस्तयाग प्रवचन में उन्होंने कहा, ″एक पिता हमेशा ‘हाँ’ कह कर अपने बच्चे को शिक्षा नहीं दे सकता, किन्तु निश्चय ही, बच्चे को बढ़ने और विकास में मदद देने हेतु उसे कभी कभी ‘नहीं’ कहना पड़ता है। पिता होना आसान नहीं है बल्कि यह एक उत्तरदायित्वपूर्ण कार्य है।″
संत पापा फ्राँसिस का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि परिवार में एक पिता को बच्चों की देखभाल के कार्य की अवहेलना नहीं करनी चाहिए बल्कि बच्चों के लिए समय निकालना चाहिए।
पाठ पर चिंतन करते हुए उन्होंने मानव कष्ट हेतु ईश्वर की अनुमति का अर्थ समझाया। ″हमारे परिवारों में प्रेम के आनन्द को बढ़ावा देना″ कार्डिनल के प्रवचन का केंद्र बिन्दु था।
उन्होंने धर्माध्यक्षों, पुरोहितों एवं प्रेरितिक कार्य से जुड़े लोगों को जोर दिया कि वे परिवार की प्रेरिताई में नया जोश जगायें। उन्होंने कहा कि आज विवाह को नष्ट करने के लिए विश्व युद्ध की स्थिति है। आज वैचारिक औपनिवेशीकरण है जो हथियारों द्वारा नहीं किन्तु विचारों द्वारा विनाश लाता है। कार्डिनल ने कहा कि परिवार पर प्रेरितिक उदबोधन ‘अमोरिस लेतित्सिया’ करुणा की जयन्ती के दरमियान संत पापा फ्राँसिस की देन है जिसमें परिवारों की प्रेरिताई द्वारा परिवार में प्रेम के आनन्द को प्रोत्साहन देने की सलाह दी गयी है।
भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की आमसभा मंगलवार को शुरू हुई जिसकी विषयवस्तु है ″हमारे परिवारों में प्रेम के आनन्द को प्रोत्साहन।″ आठ दिवसीय इस सभा में 130 धर्माध्यक्ष हिस्सा ले रहे हैं।
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