रोम, बृहस्पतिवार, 26 जनवरी 2017 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने बुधवार 25 जनवरी को कलीसिया के महाप्रेरित संत पौलुस के मन-परिवर्तन महापर्व एवं ख्रीस्तीय एकता हेतु प्रार्थना सप्ताह समापन के अवसर पर रोम स्थित संत पौलुस को समर्पित महागिरजाघर में संध्या प्रार्थना का नेतृत्व किया।
इस अवसर पर दिए गये अपने संदेश में उन्होंने विश्वासियों से कहा कि पौलुस के मन-परिवर्तन के बाद उनके जीवन का अर्थ खुद के ताकत पर नहीं किन्तु ईश्वर के प्रेम पर आधारित हो गया।
उन्होंने कहा, ″दामिश्क के रास्ते पर येसु से मुलाकात ने संत पौलुस के जीवन को पूरी तरह बदल दिया। इस प्रकार उनके जीवन का अर्थ अब संहिता के अक्षरशः पालन पर नहीं किन्तु उनका पूरा अस्तित्व ईश्वर के अनुग्रह और असीम प्यार से सराबोर हो गया, येसु ख्रीस्त पर जो क्रूस पर मरे और फिर जी उठे।″
संत पौलुस ने पवित्र आत्मा में नये जीवन का एहसास किया। पुनर्जीवित प्रभु की शक्ति द्वारा उनमें, क्षमाशीलता, साहस एवं सहानुभूति की भावना का संचार हुआ। वे इस नवीनता को अपने अंदर नहीं रख सके, कृपा द्वारा वे प्रेम एवं मेल-मिलाप के सुसमाचार का प्रचार करने हेतु प्रेरित हुए तथा अपने आप को मानव जाति के लिए पूर्ण रूप से ईश्वर को समर्पित किया।
संत पापा ने अपने संदेश में कहा कि गैरयहूदियों के प्रेरित का ईश्वर के साथ मेल-मिलाप करना उनके लिए ख्रीस्त का वरदान था। जैसा कि वे कुरिथियों को लिखते हैं, ख्रीस्त का प्रेम हमें मजबूर करता है। हमारा प्रेम ख्रीस्त के लिए नहीं बल्कि ख्रीस्त का प्रेम हमारे लिए है। सबसे पहले ख्रीस्त के माध्यम से ईश्वर ने हमें मेल-मिलाप की कृपा प्रदान की है। विभाजन से बाहर आने के प्रयास में किसी मानवीय पहल के पूर्व यह ईश्वर की कृपा है। इस कृपा के कारण प्रत्येक व्यक्ति क्षमा एवं प्रेम किया जाता है तथा वचन एवं कर्म से मेल-मिलाप के सुसमाचार की घोषणा करने एवं उसका साक्ष्य प्रस्तुत करने हेतु बुलाया जाता है।
संत पापा ने विश्वासियों का अह्वान करते हुए कहा, सदियों के विभाजन के बाद भी हम मेल-मिलाप के सुसमाचार की घोषणा किस प्रकार करते हैं? संत पौलुस खुद हमें रास्ता दिखलाते हैं। वे स्पष्ट करते हैं कि ख्रीस्त के साथ मेल-मिलाप करने के लिए त्याग की आवश्यकता है। येसु ने मर कर सभी के लिए अपना जीवन अर्पित किया। उसी तरह मेल-मिलाप के संदेश वाहक उनके नाम पर अपना जीवन अर्पित करने के लिए बुलाये जाते हैं। जैसा कि येसु हमें शिक्षा देते हैं जब हम अपने जीवन को उनके लिए खो देते हैं तभी हम उसे सुरक्षित रख सकते हैं। यह प्रेरणा संत पौलुस से मिली थी किन्तु यह हमेशा के लिए एक क्रांति बन गयी। हम अपने लिए और अपनी पसंद के अनुसार नहीं किन्तु ख्रीस्त के प्रेम के लिए जीते हैं।
संत पापा ने सलाह दी कि हम अपने जीवन के विभिन्न कार्यक्रमों एवं योजनाओं में अत्यधिक व्यस्त न हो जाएँ बल्कि ख्रीस्त के क्रूस पर ध्यान केंद्रित करें जहाँ हम अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जब हम अपने आप को मरते हुए अनुभव करते हैं तब हमारा पुराना स्वभाव चला जाता है और संत पौलुस के अनुसार हम में नवजीवन का संचार होता है। क्रूस हमें हर प्रकार के अलगाव तथा आत्मलीनता को दूर करने हेतु प्रेरित करता है क्योंकि वह हमें परिवार के बाहर पवित्र आत्मा के कार्य को देखने से रोकता है।
संत पापा ने कहा कि पीछे मुढ़कर देखते हुए हम अपनी यादों को ताजी कर सकते हैं तथा विगत सालों में हुई गलतियाँ हमें पंगु बना सकते हैं। संत पापा ने खासकर प्रोटेस्टंट सुधार की 500वीं जयन्ती की याद करते हुए इसे काथलिकों एवं लुथेरनों द्वारा एक साथ मनाये जाने को एक उपलब्धि कहा।
ख्रीस्त एकता हेतु प्रार्थना में भाग ले रहे विभिन्न कलीसियाओं के प्रतिनिधियों का अभिवादन करते हुए संत पापा ने सभी से आग्रह किया कि वे एक साथ प्रार्थना करने के विभिन्न अवसरों का लाभ उठायें, एक साथ अपने विश्वास की घोषणा करें, साथ मिलकर प्रेम एवं सेवा में हाथ बटायें विशेषकर, उन लोगों की सेवा करें जो अत्यन्त गरीब तथा बहिष्कृत हैं।
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